Waqf Act: वक्फ कानून खत्म करने का निजी विधेयक राज्यसभा में पेश, विपक्षी दल गुस्साए

Waqf Act:

Written By :  Neel Mani Lal
Update:2023-12-08 21:49 IST

Parliament Winter Session 2023  (photo: social media )

Waqf Act: अधिनियम, 1995 को निरस्त करने की मांग करने वाला एक निजी विधेयक विपक्षी दलों के भारी विरोध के बीच राज्यसभा में पेश किया गया।

वक्फ निरसन विधेयक 2022 को भाजपा सदस्य हरनाथ सिंह यादव ने पेश करने का प्रस्ताव किया। कांग्रेस, टीएमसी, डीएमके, सीपीआई, सीपीआई (एम) और राजद सहित कई दलों के सदस्यों ने इसका कड़ा विरोध किया और वोटों का विभाजन हुआ।

53 सदस्यों ने किया समर्थन

विधेयक को पेश करने की मंजूरी तब दी गई जब 53 सदस्यों, जिनमें ज्यादातर सत्ता पक्ष से थे, ने इसके पक्ष में मतदान किया जबकि 32 ने इस कदम का विरोध किया। हरनाथ यादव ने इसके बाद विधेयक पेश किया जिस पर बाद में सदन में चर्चा की जाएगी।

लोकतंत्र के प्रतिकूल बताया

बिल को पेश करते हुए हरनाथ सिंह यादव ने कहा कि वक्फ एक्ट 1995 लोकतंत्र के प्रतिकूल है और यह देश की तमाम विधि व्यवस्थाओं के अनुरूप नहीं है इसलिए देश हित में इसे समाप्त किया जाना चाहिए। यादव ने राज्यसभा सभापति से कहा कि यह एक्ट पीड़ित पक्षों को उनके अधिकारों के उल्लंघन के खिलाफ अदालत जाने से रोकता है। न्यायपालिका और अदालत की सर्वोच्चता को खंडित करता है। अत: मैं आपकी अनुमति से देश हित में वक्फ बोर्ड अधिनियम 1995 को निरस्त करने के वाले विधेयक को पुनर्स्थापित करने की इजाजत देने की मांग करता हूं।

कई सांसदों ने किया विरोध

राज्यसभा के कई सांसद इस प्राइवेट मेंबर बिल के खिलाफ खड़े नजर आए। कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने बिना अनुमति के बोलते हुए कई बार प्राइवेट मेंबर बिल पर डिवीजन की मांग की। यह मांग दोहराने पर सभापति ने जयराम रमेश को फटकार लगाते हुए कहा कि यह सदन है कोई मछली बाजार नहीं है, यह काफी महत्वपूर्ण स्थान है। थोड़ी देर बाद इस विषय पर जयराम रमेश ने मत विभाजन की बात फिर से कही। इस पर सभापति ने कहा, "मैं जयराम रमेश को कहूंगा कि मेरी कुर्सी पर आकर बैठ जाएं। मुझे लगता है कि वह स्थिति को बेहतर नियंत्रित कर सकते हैं, या मुझे अपना काम करने दीजिए।"

सीपीआई (एम) के इलामारम करीम ने इस बिल का विरोध किया और कहा कि वक्फ बोर्ड कई शिक्षण संस्थान व अनाथालय चलाता है। यह एक काफी संवेदनशील विषय है और यह समाज के विभिन्न संप्रदायों के बीच नफरत व बंटवारा पैदा करेगा इसीलिए इस बिल को इजाजत नहीं दी जानी चाहिए। वहीं, राष्ट्रीय जनता दल के राज्यसभा सांसद मनोज झा ने इस बिल का विरोध करते हुए कहा कि संसद का यह दायित्व है कि संसद भवन से कोई ऐसा विचार कोई कोई ऐसा संवाद न हो जिससे समाज में बंटवारा हो।

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