Women Reservation Bill: कानून बना तो लागू कबसे होगा?
Women Reservation Bill: बिल को संसद के दोनों सदनों में दो तिहाई समर्थन की जरूरत होगी। राज्यों की आधी विधानसभाओं का भी समर्थन चाहिए होगा।
Women Reservation Bill: महिलाओं को विधायिका यानी संसद और विधानसभाओं की सीटों में आरक्षण देने की सुगबुगाहट है। मुमकिन है इसके लिए एक विधेयक संसद के वर्तमान सत्र में पेश कर दिया जाए। विधेयक पेश होने के बाद यदि इसी सत्र में पास भी हो गया तो आरक्षण रोलआउट होगा कबसे, यह भी एक सवाल है।
क्या अगले लोकसभा चुनावों में यह लागू हो जाएगा? राज्यसभा में क्या होगा जहां सदस्यों के कार्यकाल आने वाले वर्षों तक हैं। यही नहीं, संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन का भी समय आ रहा है। तो आरक्षण लागू हुआ तो रोलआउट कबसे होगा? यह अभी स्पष्ट नहीं है।
जानकारों के मुताबिक जहां तक लोकसभा की बात है तो शायद परिसीमन हो जाने के बाद आरक्षण रोलआउट किया जाए। मुमकिन है कि 2029 के आम चुनावों में यह प्रभावी हो।
फिलहाल, बिल को संसद के दोनों सदनों में दो तिहाई समर्थन की जरूरत होगी। राज्यों की आधी विधानसभाओं का भी समर्थन चाहिए होगा। 2026 में फ्रीज हटने के बाद परिसीमन का काम होगा। उसके बाद स्थिति साफ होगी।
1996 से इंतजार
महिला आरक्षण बिल की बात करें तो यह 1996 से ही अधर में लटका हुआ है। तत्कालीन देवगौड़ा सरकार ने 12 सितंबर 1996 को इस बिल को 81वें संविधान संशोधन विधेयक के रूप में संसद में पेश किया था। लेकिन बिल पारित नहीं हो सका था।
आरक्षण में आरक्षण
महिला आरक्षण बिल में संसद और राज्यों की विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 फ़ीसदी आरक्षण का प्रस्ताव था। इस 33 फीसदी आरक्षण के भीतर ही अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए उप-आरक्षण का प्रावधान तो था लेकिन ओबीसी के लिए आरक्षण का प्रावधान नहीं था।
- बिल में प्रस्ताव है कि लोकसभा के हर चुनाव के बाद आरक्षित सीटों को रोटेट किया जाना चाहिए। आरक्षित सीटें राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों में रोटेशन के ज़रिए आवंटित की जा सकती हैं।
- बिल में यह भी कहा गया था कि संशोधन अधिनियम के लागू होने के 15 साल बाद महिलाओं के लिए सीटों का आरक्षण ख़त्म हो जाएगा।
- 2014 में लोकसभा भंग होने के बाद यह बिल अपने आप ख़त्म हो गया। लेकिन चूंकि राज्यसभा स्थायी सदन है, इसलिए यह बिल अभी भी जीवित है।
- अब इसे लोकसभा में नए सिरे से पेश करना होगा जहां अगर ये पास हो गया तो राष्ट्रपति की मंज़ूरी के बाद यह क़ानून बन जाएगा।
- अगर महिला आरक्षण क़ानून बन जाता है तो महिलाओं को 33 फ़ीसदी आरक्षण मिल जाएगा और लोकसभा की हर तीसरी सदस्य महिला होगी।