Year Ender 2022: गुजरात की जीत ने बताया नरेंद्र मोदी हैं अजेय, 'मोदी मैजिक' अभी भी बरकरार
Year Ender 2022: गुजरात चुनाव में प्रचंड जीत के बाद जब बीजेपी का विजय रथ आगे बढ़ चुका है। इस जीत ने साबित किया कि नरेंद्र मोदी अभी भी हैं 'अजेय' हैं। मोदी मैजिक अभी भी बरकरार है।
Year Ender 2022: गुजरात विधानसभा चुनाव के नतीजे आ चुके हैं। 27 वर्षों से राज्य की सत्ता में काबिज भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने लगातार 7वीं बार 'प्रचंड जीत' के साथ वापसी की है। ऐसी जीत पर बस यही कह सकते हैं, 'न भूतो न भविष्यति..। गुजरात में बीजेपी ने जहां अपनी बादशाहत कायम रखी, वहीं एक बार फिर 'मोदी मैजिक' देखने को मिला। 182 सीटों वाली गुजरात विधानसभा में इस बार बीजेपी के 156 प्रत्याशी चुनाव जीतकर पहुंचे हैं। गुजरात चुनाव के इन नतीजों से एक बात जो स्पष्ट होती है, कि गुजरात में नरेंद्र मोदी 'अजेय' हैं।
गुजरात में 27 वर्षों से बीजेपी सत्तारूढ़ है। जाहिर है राज्य में सत्ता विरोधी रुझान आने ही थे। आया भी। बावजूद, विधानसभा चुनाव में इस तरह का प्रदर्शन 'सामान्य' बात नहीं है। भारतीय राजनीति में ऐसे बिरले ही उदाहरण होंगे। गुजरात की ये जीत इसलिए भी मायने रखती है कि, वहां एक के बाद बीजेपी को 3 बार अपने मुख्यमंत्री बदलने पड़े थे। सवाल कई थे। अगर, बीजेपी के मुख्यमंत्रियों से जनता नाराज नहीं थी, तो पार्टी अपने मुख्यमंत्रियों को बदल क्यों रही थी। लेकिन, चुनाव तो समय पर होने ही थे। हुआ भी। राज्य के मुख्यमंत्री भले ही भूपेंद्र भाई पटेल थे, मगर EVM का बटन दबाते वक्त मतदाताओं के जेहन में नरेंद्र मोदी ही थे।
मोदी के रूप में 'तुरुप का पत्ता'
गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले भी राजनीतिक विश्लेषक मान रहे थे कि, भारतीय जनता पार्टी (BJP) ही चुनाव जीतेगी। लेकिन, बहुमत का आंकड़ा इतना पीछे छूट जाएगा ये अनुमान किसी ने नहीं किया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी ने सारी ताकत झोंक दी। स्वयं पीएम मोदी ने तीन दर्जन के करीब रैलियां की। अहमदाबाद में 54 किलोमीटर का रोड शो किया। रिजल्ट आया तो ऐसा लगा मतों की बरसात हुई हो। राजनीतिक पंडित और तर्क देने वाले भले ही ये कह कर मन को सांत्वना दे दें कि, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी में मतों का विभाजन हुआ। जिसने बीजेपी की राहें आसान की। ऐसे लोगों को ये नहीं भूलना चाहिए कि बीजेपी के पास नरेंद्र मोदी के रूप में 'तुरुप का पत्ता' है। बीजेपी की जीत में ये 'मास्टर कार्ड' रिकॉर्ड दर्ज कर गया।
सच साबित हुआ 'मोदी है तो मुमकिन है'
बीजेपी का नारा है- 'मोदी है तो मुमकिन है।' गुजरात विधानसभा चुनाव में इस नारे ने वास्तविक तस्वीर पेश कर दी। बीजेपी की इस 'लैंडस्लाइड विक्ट्री' के बाद प्रधानमंत्री मोदी के लिए इस नारे का इस्तेमाल किया जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। गुजरात चुनाव में जिस तरह मोदी के चेहरे के सहारे बीजेपी ने 'एंटी इनकम्बेंसी', मोरबी ब्रिज हादसे से उपजे आक्रोश, बेरोजगारी और महंगाई के मुद्दे को एक झटके में बगल किया, वो जादू से कम नहीं। एकतरफा जीत का ऐसा इतिहास कभी-कभी ही लिखा जाता है। पीएम मोदी ने इस बार विधानसभा चुनाव में जहां रैली और रोड शो किए उनमें से 88 प्रतिशत सीटों पर बीजेपी को जीत मिली है। प्रधानमंत्री ने जिन 52 सीटों पर प्रचार किया था, उनमें बीजेपी को 46 सीटें हासिल हुई है। ये मैजिक नहीं तो क्या है?
मोदी का 'विजय रथ' नहीं थमा
ऐसा नहीं है कि, देश के लोगों ने 'मोदी मैजिक' पहली बार देखा। साल 2014 से जारी मोदी का कमाल बदस्तूर जारी है। बीच-बीच में ये कुछ फीका जरूर पड़ा। लेकिन, गुजरात के परिणाम ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि, मोदी का चेहरा अभी भी जीत की गारंटी है। मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य में भारत में एकमात्र नेता नरेंद्र मोदी ही हैं, जिनका 'विजय रथ' बीते दो दशक से थमा नहीं है। नरेंद्र भाई को वर्ष 2001 में गुजरात का सीएम बनाया गया था। मुख्यमंत्री बनने के बाद से उन्होंने अब तक तक किसी भी चुनाव में हार का सामना नहीं किया है। नरेंद्र मोदी गुजरात में 2001 से 2013 तक मुख्यमंत्री रहे। इस बीच वोट प्रतिशत भले कम हुए हों। सीटों की संख्या घटी हो। लेकिन, बीजेपी को किसी विधानसभा चुनाव में हार का मुंह नहीं देखना पड़ा।
'प्रधानसेवक' पर नहीं कोई शक
साल 2014 में पीएम नरेंद्र मोदी केंद्र की राजनीति में आए और छा गए। 'प्रधानसेवक' के रूप में तब से अब तक वो अपनी सेवाएं दे रहे हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में देश के लोगों को 'मोदी लहर' शब्द खूब भाया। उनके नेतृत्व में बीजेपी को 2014 से भी बड़ी जीत 2019 मिली। ऐसा कतई नहीं है कि इस बीच विपक्ष ने उनकी राह में मुश्किलें खड़ी नहीं की। विरोधी पार्टियां मोदी पर गुजरात दंगे से लेकर हिंदुत्व और हिन्दू धर्म के नाम पर ध्रुवीकरण के आरोप लगाती रही। लेकिन, इससे बेपरवाह मोदी अपने लक्ष्य की ओर लगातार बढ़ते रहे। जनता में अभी भी उनकी जगह सबसे अलग है। आम लोगों में नरेंद्र मोदी की छवि एक कर्मठ और ईमानदार राजनेता की बन चुकी है। उसे तोड़ पाना विपक्षी पार्टियों के लिए टेढ़ी खीर है। ऐसे में अब सबकी नजर 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव पर टिकी है। एक बड़ा मतदाता वर्ग है जिसे बीजेपी के 'मिशन 2024' पर कोई शक नहीं है।
..अब 'मिशन 2024' पर नजर
गुजरात चुनाव में बड़ी जीत के बाद नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर खुद को साबित किया। वो इंडियन पॉलिटिक्स के सबसे बड़े चेहरे हैं और उनमें मतदाताओं को खींचने की असीम क्षमता है, ये एक बार फिर साबित हो चुका है। चुनावी विश्लेषक भी ये मानते हैं कि, गुजरात में पीएम मोदी के दिए भाषणों में ही 'मिशन 2024' के चुनाव की तैयारियों की झलक थी। नरेंद्र मोदी ने अभी से वर्ष 2024 के चुनावी अभियान की शुरुआत कर दी है। जिस तरह से वो पार्टी कार्यकर्ताओं से बात कर उनकी सराहना और अभिनंदन कर रहे थे, वो साफ़ संकेत था 2024 के लिए तैयार रहने की। सच कहूं, तो यही मोदी की सफलता का मूलमंत्र है। हमेशा तैयार। कुछ कर गुजरने को, नई इबारत लिखने को। विपक्ष के पास ऐसा कोई करिश्माई व्यक्तित्व नहीं है।
भारतीय लोकतंत्र में सत्ता संभाल रहा कोई नेता ऐसा नहीं होगा, जो सत्ता विरोधी लहर यानी एंटी इनकम्बेंसी से डरता न हो। लेकिन, बीजेपी ने गुजरात में लगातार 27 सालों की सरकार के बाद एक बार फिर अगले 5 साल के लिए रिकॉर्ड तोड़ बहुमत हासिल करना ये साबित करता है कि, वर्तमान समय में बीजेपी ही सबसे बड़ी राजनीतिक ताकत है। और इसके पीछे है वो शख्सियत जिसका जादू सिर चढ़कर बोल रहा। मतलब, मोदी मैजिक आगे भी कायम रह सकता है।