जेल पहुंचाएंगे धर्म स्थल: सरकारी संपत्ति पर कब्जा करने वालों की अब खैर नहीं

राष्ट्रीय राजमार्गों और प्रमुख सड़कों के किनारे सरकारी जमीन पर मंदिर, मस्जिद, मजार के नाम पर कब्जा करने वालों पर सरकार ने एक्शन लेना शुरु कर दिया है।

Update: 2021-03-20 04:11 GMT

रामकृष्ण वाजपेयी

लखऩऊः सार्वजनिक स्थानों पर कब्जा करने की अपने देश में बहुत बड़ी बीमारी है। किसी भी स्थान पर चार पत्थर जोड़कर रख दो उस पर चादर डाल दो धूप बत्ती जला कर लोबान सुलगा दी हो गई इबादतगाह। या पीपल के पेड़ के नीचे चार मूर्तियां रख दीं एक शिवलिंग लाकर रख दिया। हो गई पूजा शुरू बन गया मंदिर।

सड़कों के किनारे मंदिर, मस्जिद, मजार के नाम पर हटेगा कब्जा

पहले ये काम पार्कों गांव की जमीनों पर अधिक होता था लेकिन हाल के दिनों में जमीनों की बढ़ती कीमतों को देखकर राष्ट्रीय राजमार्गों और प्रमुख सड़कों के किनारे मंदिर, मस्जिद, मजार के नाम पर कब्जा करके उसमें चार दुकानें निकाल कर कारोबार शुरू कर देने का चलन बहुत तेजी से बढ़ा है। धार्मिक आस्था की आजादी के नाम पर जनजीवन को प्रभावित और अस्तव्यस्त करने वाले इन कृत्यों में पुलिस की भूमिका मूकदर्शक की रहती है। ऐसे में इन स्वार्थी तत्वों पर अंकुश की जरूरत काफी समय से महसूस की जा रही थी।

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सार्वजनिक स्थानों पर बने धार्मिक स्थलों को हटाया जाएगा

कोर्ट के भी आदेश हैं कि मार्गों के बीच में आने वाले धार्मिक स्थलों को अन्यत्र स्थानांतरित किया जाए और 2011 के बाद सार्वजनिक स्थानों पर निर्मित धार्मिक स्थलों को हटाया जाए। लेकिन क्षेत्रीय नेताओं की वोटरों को नाराज न करने की नीति से इस पर प्रभावी अंकुश नहीं लग पा रहा है।

 

सरकारी जमीनों पर धार्मिक स्थलों के कब्जे पर जेल

अब राज्य विधि आयोग ने मुख्यमंत्री को इस संबंध में प्रस्तावित कानून का जो मसौदा सौंपा है उसके मुताबिक सार्वजनिक संपत्ति पर अतिक्रमण करके धार्मिक ढांचा खड़ा करने वालों को तीन साल तक की सजा और जुर्माना हो सकता है।

अतिक्रमण कर बनाए गए धार्मिक स्थलों को हटाने को लेकर कानून

आयोग ने माना है कि मात्र एग्जीक्यूटिव आदेश से इस समस्या का समाधान नहीं निकलेगा। बल्कि दंड का भय लोगों में होना चाहिए। सजा और जुर्माने के अलग अलग राज्यों में पहले से अलग अलग प्रावधान हैं। मध्य प्रदेश व राजस्थान में तीन महीने की सजा और जुर्माने, आंध्र प्रदेश व तेलंगाना में छह माह से पांच साल की सजा और पांच हजार रुपये जुर्माना व हिमाचल प्रदेश व बिहार में सजा का पहले से प्रावधान है।

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कई राज्यों में 5 साल तक की कैद और 5 हजार जुर्माना

वास्तव में सरकार को यह व्यवस्था भी करनी चाहिए कि यदि किसी क्षेत्र में ऐसा अतिक्रमण होता है तो उस क्षेत्र के पुलिस प्रशासन के अधिकारियों पर भी कार्रवाई कर उन्हें दंडित किया जाए। क्षेत्रीय सभासद और विधायक को भी इस मामले में सजा दी जानी चाहिए तभी इस पर कारगर रोक लग सकती है।

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