इस एक ख्याल ने बनाया 'अवनी' को देश की पहली 'फाइटर' पायलट महिला

Update: 2018-02-22 05:48 GMT

नई दिल्ली। कहते है, 'अगर हौंसलें बुलंद हो, तो मुश्किल से मुश्किल जंग को आसानी से जीता जा सकता है। कुछ ऐसे ही बुलंद हौंसले लेकर पलीं-बढ़ी रीवा गाँव की अवनी चतुर्वेदी ने आज अकेले फाइटर प्लेन उड़ाकर इतिहास रच दिया है।

जी हां। अवनी फाइटर प्लेन को उड़ाने वालीं देश की पहली महिला बन गईं हैं। बता दें कि, अभी तक महिलाएं वायुसेना में केवल ट्रांसपोर्ट विमान और हेलीकॉप्टर ही उड़ा सकती थी, लेकिन अवनी ने मिग-21 को अकेले ही उड़ाकर इतिहास के सुनहरे पन्नों पर अपना नाम दर्ज कर लिया है, लेकिन क्या आप जानते है कि एकदम साधारण सी दिखने वालीं अवनी में इतना हौंसला आया तो आया कहां से?
दरअसल, अवनी को इतना मजबूत बनाने के पीछे उस एक ख्याल का हाथ है, जो कभी कॉलेज के दौर में अवनी ने अपनी पलकों पर संजोया था।
दरअसल, अवनी के कॉलेज के दिनों में उन्हें एक बार फ्लाईंग क्लब में विमान उड़ाने का मौका दिया गया था। जिसके बाद से उन्होनें तय कर लिया था कि वह आगे चलकर भारतीय वायुसेना में पायलट ही बनेंगी।
साल 2016 में जब अवनी वायुसेना में बतौर फाइटर प्लेन पायलट कमीशन बनी थीं। तब उन्होंने कहा था कि 'हर किसी का सपना होता है कि वो उड़ान भरें। अगर आप आसमान की ओर देखते हैं तो पंछी की तरह उड़ने का मन करता है। वह कहती हैं, 'आवाज की स्पीड में उड़ना एक सपना होता है और अगर ये मौका मिलता है तो एक सपना पूरे होने के सरीखा है।'
बता दें कि, अवनी ने हैदराबाद की वायु सेना अकादमी से पढ़ाई की है। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा दियोलैंड से की जो कि मध्य प्रदेश के शहडोल जिले में स्थित एक छोटा सा शहर है।

अवनी ने साल 2014 में राजस्थान के वनस्थली यूनिवर्सिटी से कंप्यूटर साइंस में बीटेक किया है। जिसके बाद उन्होंने भारतीय वायु सेना की परीक्षा पास की। उन्हें अपनी दो साथियों- मोहन सिंह और भावना कंठ के साथ पहली बार लड़ाकू पायलट घोषित किया गया था। अवनी के पिता मध्य प्रदेश सरकार में एक्जीक्यूटिव इंजीनियर है तो, वहीँ भाई आर्मी में कैप्टन हैं।

अवनी को पेंटिंग व स्केचिंग करना काफी पसंद है। पहली बार फाइटर प्लेन उड़ाकर देश को गर्वित करने वालीं अवनी ने मीडिया से अपने संघर्षों के बारे में खुलकर बात कि और बताया कि, उनकी इस सफलता में उन्हें फैमिली का पूरा सपोर्ट मिला साथ ही साथ अवनी ने इस सफलता को हासिल कर ये भी साबित कर दिखाया कि महिलाएं अगर कुछ चाह लें, तो वो कुछ भी कर सकतीं हैं।

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