फूट-फूट कर रोई बेटियां: कर्ज में डूबे पिता का किया अंतिम संस्कार, सिपाही पर लगाया आरोप
अपने सुसाइड नोट में सुनील कुमार गुप्ता ने लिखा है कि अपनी ज़मीन को वापस पाने के लिए उन्होंने अदालत का दरवाज़ा खटखटाया। पिछले 15 वर्षों से केस लड़ते-लड़ते आर्थिक स्थिति खराब हो गई। परिवार चलाने के लिए कर्ज लेना पड़ा। कर्जदार घर आते और सबके सामने बेइज्जत करते।
झारखंड: रांची के सुखदेव नगर थाना क्षेत्र के रहने वाले 59 वर्षीय सुनील प्रसाद गुप्ता ने अपने घर में ही फांसी लगाकर जान दे दी। तीन बेटियों के पिता सुनील प्रसाद क़र्ज़ में डूबे थे। रोज़गार का कोई ज़रिया नहीं होने की वजह से कई लोगों से उधार ले रखी थी। बार-बार तगादा से सुनील प्रसाद परेशान थे। कर्जदार घर में आकर गाली-गलौज करते। मुहल्ले के सामने बेइज्जत करते। अपने सुसाइड नोट में उन्होने लिखा कि, सीआईडी के सिपाही कहने वाले मदन मिश्रा ने ज़मीन अपने नाम लिखवा ली लेकिन पैसे नहीं दिए। लिहाज़ा, आर्थिक स्थिति बिगड़ती गई। घर परिवार चलाना मुश्किल हो गया।
सुसाइड नोट में आरोपियों के नाम
अपने सुसाइड नोट में सुनील कुमार गुप्ता ने लिखा है कि अपनी ज़मीन को वापस पाने के लिए उन्होंने अदालत का दरवाज़ा खटखटाया। पिछले 15 वर्षों से केस लड़ते-लड़ते आर्थिक स्थिति खराब हो गई। परिवार चलाने के लिए कर्ज लेना पड़ा। कर्जदार घर आते और सबके सामने बेइज्जत करते। अभिषेक कुमार नामक व्यक्ति का नाम लिखकर सुनील कुमार गुप्ता ने लिखा कि, वे हर रोज़ घर आते और सबकी मौजूदगी में गाली देते। जमीन बेचकर आर्थिक स्थिति सुधारने की कोशिश की लेकिन ज़मीन के पैसे नहीं मिले। इसके लिए मदन मिश्रा नामक व्यक्ति ज़िम्मेदार है।
बेटियों ने दी मुखाग्नि
सुनील कुमार गुप्ता अब इस दुनिया में नहीं रहे। उनकी तीन बेटियां हैं। लिहाज़ा, उन लोगों ने ही पिता को मुखाग्नि दी। बेटियां कहती हैं कि, कर्ज की वजह से पिता ने जान दी है। ज़मीन बेचने के बाद भी समस्या का समाधान नहीं हुआ। लिहाज़ा, पिता ने जान देना ही बेहतर समझा। मृतक की छोटी बेटी कहती हैं कि, पिता कहा करते थे कि, उनकी बेटियां ही मुखाग्नि देंगी। बहरहाल, इस मामले में रांची के एसएसपी सुरेंद्र कुमार झा ने कहा कि, सुसाइड के लिए जो लोग भी ज़िम्मेदार होंगे उन्हे बख्शा नहीं जाएगा।
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रांची से शाहनवाज़ की रिपोर्ट।