Mission 2024: कर्नाटक में BJP-JDS गठबंधन पर लगी मुहर, साथ लड़ेंगे लोकसभा चुनाव, पूर्व पीएम एचडी देवेगौड़ा ने किया ऐलान

Mission 2024: पूर्व प्रधानमंत्री ने अपने समर्थकों को इस फैसले की वजह भी बताई। उन्होंने बताया कि बीजेपी के साथ गठबंधन का निर्णय जेडीएस के अस्तित्व को बचाने के लिए लिया गया है।

Update: 2023-09-11 09:04 GMT

पीएम नरेंद्र मोदी और पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा (सोशल मीडिया)

Mission 2024: कर्नाटक में भारतीय जनता पार्टी और जनता दल सेक्यूलर के साथ आने की पुष्टि आखिरकार हो गई। पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के बाद अब पूर्व प्रधानमंत्री और जेडीएस सुप्रीमो एचडी देवेगौड़ा ने दोनों पार्टियों के बीच लोकसभा चुनाव को लेकर हुए गठबंधन की बात स्वीकार कर ली है। रविवार को बेंगलुरू में अपने पार्टी के कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि जेडीएस और बीजेपी के बीच साथ चुनाव लड़ने पर सहमति बन गई है।

पूर्व प्रधानमंत्री ने अपने समर्थकों को इस फैसले की वजह भी बताई। उन्होंने बताया कि बीजेपी के साथ गठबंधन का निर्णय जेडीएस के अस्तित्व को बचाने के लिए लिया गया है। वहीं, सीट शेयरिंग को लेकर उन्होंने कहा कि इस पर एचडी कुमारस्वामी और पीएम मोदी आपस में मीटिंग कर तय करेंगे। दरअसल, पूर्व सीएम और देवेगौड़ा के बेटे कुमारस्वामी ने बीते दिनों बीजेपी के साथ गठबंधन की चर्चा को खारिज कर दिया था।

इंडिया अलायंस पर देवेगौड़ा ने साधा निशाना

पूर्व प्रधानमंत्री और जेडीएस मुखिया एचडी देवेगौड़ा ने बीजेपी के साथ गठबंधन का ऐलान करते हुए नवगठित इंडिया गठबंधन पर निशाना भी साधा। उन्होंने कहा कि वे इतने बड़े धर्मनिरपेक्ष नेता हैं, इसके बावजूद कांग्रेस और इंडिया अलायंस के दूसरे नेताओं ने इस गठबंधन का हिस्सा बनने के लिए उन्हें संपर्क नहीं किया। दरअसल, कर्नाटक चुनाव नतीजे के बाद से ही बीजेपी-जेडीएस गठबंधन की चर्चा जोर पकड़ने लगी थी। जेडीएस ने नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह का बहिष्कार नहीं किया था और न ही वे किसी विपक्षी एकता की मीटिंग का हिस्सा बने थे।

पूर्व सीएम येदियुरप्पा के बयान पर लगी मुहर

कर्नाटक में बीजेपी की इस नई सियासी रणनीति के संकेत पूर्व सीएम बीएस येदियुरप्पा ने पहले ही दे दिए थे। कद्दावर लिंगायत नेता ने गठबंधन की अटकलों पर कहा था, मुझे प्रसन्नता है कि देवगौड़ाजी हमारे प्रधानमंत्री से मिले और वे पहले ही करीब चार सीटों को फाइनलाइज कर चुके हैं। मैं उनका स्वागत करता हूं। भाजपा नेता ने कहा कि इसने हमें काफी ताकत दी है और इससे हमें 25-26 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल करने में मदद मिलेगी।

पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा का यह बयान अहम इसलिए माना गया था क्योंकि वे भाजपा संसदीय बोर्ड के सदस्य भी हैं। इसके अलावा मीडिया में जेडीएस प्रमुख और पूर्व पीएम एचडी देवगौड़ा के अमित शाह और जेपी नड्डा से मुलाकात की खबरें भी सूत्रों के हवाले से चल रही थीं।

मुश्किल में देवेगौड़ा परिवार की सियासत

देश के पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा की पार्टी जेडीएस कभी कर्नाटक में पहले नंबर की पार्टी हुआ करती थी। मौजूदा सीएम एस सिद्धारमैया उन्हीं के चेले रहे हैं। लेकिन पारिवारिक मोह में फंसने के बाद पार्टी का जनाधार खिसकता गया और पार्टी पहले से तीसरे स्थान पर खिसक गई और महज ओल्ड मैसूर रीजन की पार्टी बनकर रह गई। 2019 में जेडीएस को लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ गठबंधन होने के बावजूद महज एक सीट पर जीत मिली थी। पूर्व प्रधानमंत्री देवेगौड़ा तक अपनी सीट नहीं बचा पाए।

वहीं, 2023 के विधानसभा चुनाव में पार्टी का प्रदर्शन निराशाजनक रहा और विधायकों की संख्या घटकर 19 रह गई। कांग्रेस के मजबूत होकर उभरने के कारण मुस्लिम वोट भी पार्टी से छिटक चुका है। ऐसे में जेडीएस खासकर देवगौड़ा परिवार को लोकसभा चुनाव की राह काफी मुश्किल नजर आने लगी है। पूर्व पीएम खुद इस बात को स्वीकार भी कर चुके हैं। यही वजह है कि संसद में अपनी पहुंच बनाए रखने के लिए पार्टी बीजेपी से गठबंधन करने के लिए तैयार हो गई। जेडीएस पूर्व में भी बीजेपी के साथ गठबंधन कर चुकी है।

डिमांड 5 सीट की लेकिन बीजेपी 4 पर सहमत

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, बीजेपी आलाकमान से बातचीत के दौरान जेडीएस ने लोकसभा की पांच सीटों का प्रस्ताव सामने रखा है। ये वो सीटें जहां से देवेगौड़ा परिवार के सदस्य चुनाव लड़ते आए हैं। इनमें हासन, तुमाकुरू, मांड्या, चिकबल्लापुर और बेंगलुरू ग्रामीण की सीटें शामिल हैं, ये सभी सीटें वोक्कालिगा मतदाता बहुल सीटें हैं। बताया जाता है कि ओल्ड मैसूर रीजन की इन सभी सीटों में से एक (चिकबल्लापुर) को छोड़कर बाकी चारों सीट बीजेपी छोड़ने को तैयार है। हासन सीट से पूर्व पीएम के पोते प्रज्वल रेवन्ना सांसद हैं, जो एकमात्र लोकसभा एमपी हैं अपने पार्टी के।

बीजेपी को भी कर्नाटक में साथी की दरकार

कर्नाटक जो साउथ इंडिया में एकमात्र राज्य है, जहां बीजेपी का व्यापक जनाधार है, वहां इसी साल मई में हुई विधानसभा चुनाव में पार्टी को कांग्रेस के हाथों बड़ी शिकस्त सामना करना पड़ा। पार्टी दक्षिण से पूरी तरह साफ हो गई। अब भगवा दल के सामने लोकसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन करने की चुनौती है। बीजेपी ने गत आम चुनाव में शानदार प्रदर्शन किया था, जिसे बरकरार रखने के लिए जनता दल (सेक्यूलर) यानी जेडीएस से गठबंधन करने का निर्णय लिया है। विधानसभा चुनाव में मिली करारी शिकस्त से पार्टी का थोड़ा मनोबल गिरा है। इसके अलावा लिंगायत समुदाय जो कि उसका कोर वोटर रहा है, इसमें भी कांग्रेस सेंध मारने में कामयाब रही है। लिहाजा भगवा दल ने जेडीएस जो कि राज्य के दूसरे सबसे बड़े जातीय समुह वोक्कालिगा का प्रतिनिधित्व करती है, उसे तालमेल कर जातीय समीकरण को अपने पक्ष में करने की कोशिश कर रही है। पार्टी को लगता है कि इससे उसे पुराने मैसूरू क्षेत्र में खासतौर पर फायदा मिलेगा। कर्नाटक में लिंगायत 17 प्रतिशत के बाद वोक्कालिगा 15 प्रतिशत के साथ दूसरा सबसे बड़ा समुदाय है।


2019 में क्या रहा था परिणाम ?

कर्नाटक में लोकसभा की कुल 28 सीटें हैं। 2019 के आम चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन के बीच सीधा मुकाबला हुआ था। राज्य में कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन सरकार होने के बावजूद बीजेपी ने 25 सीटों पर जीत हासिल की थी और एक पार्टी समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार ने भी जीत हासिल की थी। वहीं, जेडीएस-कांग्रेस महज एक-एक सीट पर सिमट गए थे। 2023 के विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद कांग्रेस राज्य में मजबूत ताकत बनकर उभरी है। ऐसे में बीजेपी के सामने 2019 का प्रदर्शन बरकरार रखने की चुनौती है। 

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