कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया पर मुकदमा चलाने की मंजूरी, भूमि घोटाले का है आरोप
MUDA Land Scam Case: घोटालों की जद में आये मुख्यमंत्रियों की लिस्ट में केजरीवाल और हेमंत सोरेन के साथ सिद्धरमैया का नाम जुड़ गया है।
MUDA Land Scam Case: कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने कथित मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण भूमि घोटाले मामले में कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति दे दी है। यह मंजूरी तीन निजी शिकायतों के आधार पर दी गई है। इनमें से दो ने पहले ही अदालत में निजी शिकायत दर्ज कर दी है। इससे पहले राज्यपाल ने एक निजी शिकायतकर्ता टी जे अब्राहम को आज राजभवन में पेश होने को कहा था।
इसके साथ अब घोटालों की जद में आये मुख्यमंत्रियों की लिस्ट में केजरीवाल और हेमंत सोरेन के साथ सिद्धरमैया का नाम जुड़ गया है।
मामला क्या है
सिद्धारमैया पर मैसूर में अपनी पत्नी को 14 आवासीय स्थल आवंटित करने और अनुसूचित जनजातियों के कल्याण के लिए राज्य विकास निगम से 89.73 करोड़ रुपये की चोरी से जुड़े कथित भूमि सौदे का आरोप है।
कर्नाटक में कांग्रेस का शासन है सो इस घटनाक्रम पर कांग्रेस प्रवक्ता रमेश बाबू ने कहा है कि राज्यपाल की सहमति “येदियुरप्पा मामले में राज्य उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ है, पक्षपातपूर्ण है और एक साजिश का हिस्सा है। कांग्रेस राज्यपाल के कदम को रद्द करने के लिए कानूनी लड़ाई शुरू करेगी।”
कर्नाटक सरकार सोमवार को इस मंजूरी को उच्च न्यायालय में चुनौती देगी। कथित भ्रष्टाचार के मामले में मुख्यमंत्री के खिलाफ निजी शिकायत दर्ज करने के लिए राज्यपाल की मंजूरी की आवश्यकता होती है। अदालत में दायर निजी शिकायतों और राज्यपाल द्वारा दी गई मंजूरी के आधार पर अदालत यह तय करेगी कि मामले में एफआईआर दर्ज की जा सकती है या नहीं।
ये घोटाला मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण की 50:50 प्रोत्साहन योजना में कथित अनियमितताओं से जुड़ा है। आरोप हैं कि कुछ व्यक्तियों को हाई वैल्यू वाले क्षेत्रों में न्यूनतम दामों पर जमीनें मिली हैं। इस विसंगति के कारण मैसूर प्राधिकरण को सैकड़ों करोड़ रुपये का महत्वपूर्ण वित्तीय नुकसान हुआ है। घोटाले की रिपोर्ट सामने आने के बाद, भाजपा के नेता प्रतिपक्ष आर अशोक ने आरोप लगाया था कि सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती को भी "मानदंडों का उल्लंघन करते हुए" एक वैकल्पिक साइट मिली थी। उन्होंने कथित अनियमितताओं की रकम 4,000 करोड़ रुपये बताई थी। आरटीआई कार्यकर्ता गंगाराजू ने आगे आरोप लगाया कि प्राधिकरण द्वारा पार्वती की जमीन पर देवनूर लेआउट विकसित करने के बाद, उन्हें विजयनगर में एक वैकल्पिक साइट आवंटित की गई, जहां जमीन की कीमतें अधिक थीं। गंगाराजू का तर्क है कि ऐसा तब किया गया जब विकसित देवनूर लेआउट में ऐसी जगहें उपलब्ध थीं जो पार्वती को दी जा सकती थीं।