Karnataka Hubballi Airport: "चार्ली" ने अपना खून दे कर बचाई "माया" की जान

Karnataka Hubballi Airport: जर्मन शेफर्ड "चार्ली" ने हुबली हवाई अड्डे पर सुरक्षा कुत्ते के रूप में काम करने वाली बेल्जियन शेफर्ड "माया" की जान बचाने के लिए रक्तदान किया।

Written By :  Neel Mani Lal
Update:2022-09-21 18:05 IST

 "चार्ली" ने अपना खून दे कर बचाई "माया" की जान। (social Media)

Karnataka Hubballi Airport: इंसानों द्वारा रक्तदान करके दूसरों की जान बचाने के वाकये तो बहुत सुने होंगे लेकिन कोई कुत्ता अपना खून देकर किसी की जान बचाये, ये शायद ही सुना होगा। हुबली-धारवाड़ शहरों में ऐसी ही एक रेयर घटना हुई है। जहां एक जर्मन शेफर्ड "चार्ली" (German Shepherd Charlie) ने हुबली हवाई अड्डे (Hubli Airport) पर सुरक्षा कुत्ते के रूप में काम करने वाली बेल्जियन शेफर्ड "माया" (Belgian Shepherd Maya) की जान बचाने के लिए रक्तदान किया। गंभीर रूप से बीमार माया अब ठीक हो रही है और एक हफ्ते के भीतर एयरपोर्ट ड्यूटी पर वापस आ जाएगी।

किस्सा कुछ यूं है कि हुबली हवाई अड्डे पर 15 महीने के एक खोजी कुत्ते "माया" को एर्लिचिया संक्रमण हो गया था। जो एक जीवाणु रोग है जो बुखार, रक्तस्राव, खराब भूख और सुस्ती का कारण बनता है। यह रोग तब होता है जब कोई संक्रमित टिक या किलनी कुत्तों को काटती है। समय पर इस संक्रमण का इलाज बेहद जरूरी है।

बीमार माया को कुछ दिन पहले धारवाड़ स्थित कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय परिसर के पशु चिकित्सालय में इलाज के लिए लाया गया लेकिन उसकी दशा में कोई सुधार नहीं हुआ और उसे रक्तस्राव भी होने लगा। हालात बिगड़ती देख कर बीते रविवार को डॉक्टरों ने उसे खून चढ़ाने का फैसला किया। अब माया के ब्लड ग्रुप वाले कुत्ते को ढूंढना एक बड़ी चुनौती थी। कुत्तों में 12 प्रकार के रक्त समूह होते हैं और डोनर खोजना आसान नहीं होता है।

कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय परिसर में डॉग शो का आयोजन

इत्तेफाक से रविवार को कृषि मेला के तहत कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय परिसर में एक डॉग शो का आयोजन किया गया था जिसमें सैकड़ों कुत्तों ने भाग लिया। उनमें जर्मन शेफर्ड "चार्ली" भी शामिल था। डॉक्टरों ने चार्ली के खून के साथ माया के खून को मैच किया। इसकी पुष्टि के बाद चार्ली के मालिक, सोमशेखर चन्नाशेट्टी से संपर्क किया गया। सोमशेखर एक पशु बचावकर्ता भी हैं और वे रक्तदान के लिए राजी हो गए। ये भी इत्तेफाक की बात है कि धारवाड़ के आठ साल के कुत्ते चार्ली ने इससे पहले पिछले साल रक्तदान कर एक रोटवीलर की जान बचाई थी। एक दुर्घटना के बाद रॉटवीलर का काफी खून बह गया था।

माया का हीमोग्लोबिन काउंट 7.3 तक गिर गया था: प्रमुख डॉ एएस पाटिल

कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय, धारवाड़ के पशु चिकित्सा विज्ञान विभाग के प्रोफेसर और प्रमुख डॉ एएस पाटिल ने कहा, "माया का हीमोग्लोबिन काउंट 7.3 तक गिर गया था और छह के खतरे के निशान के करीब था। इसलिए, हमने रविवार को रक्त चढ़ाने का फैसला किया। रक्त चढ़ाने के बाद, माया को रविवार को ही छुट्टी दे दी गई। अब, वह ठीक हो रही है और स्वस्थ है।"

कुत्तों में 12 से अधिक होते हैं ब्लड ग्रुप

कुत्तों में 12 से अधिक ब्लड ग्रुप होते हैं। उनकी लाल रक्त कोशिकाओं में इनमें से कोई भी संयोजन हो सकता है क्योंकि प्रत्येक रक्त समूह स्वतंत्र रूप से विरासत में मिलता है। इनमें से सबसे महत्वपूर्ण को डॉग एरिथ्रोसाइट एंटीजन (डीईए) 1.1 कहा जाता है। रक्तदान से पहले रक्तदाताओं और प्राप्तकर्ताओं की मैचिंग की जाती है। लगभग 40 फीसदी कुत्ते डीईए 1.1 के लिए सकारात्मक पाए जाते हैं।

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