Roopa-Sindhuri Controversy: कर्नाटक में रूपा-सिंधुरी के विवादों का कोई अंत नहीं

Roopa-Sindhuri Controversy: चुनावी मौसम के दौरान कर्नाटक में राजनीतिक विवादों की कभी न खत्म होने वाली कड़ी के बीच, एक आईएएस और एक आईपीएस अधिकारी के बीच विवाद ने अन्य सभी राजनीतिक हलचलों को दबा दिया है।

Report :  Neel Mani Lal
Update:2023-02-21 15:29 IST

Roopa-Sindhuri Controversy (Photo: Social Media)

Roopa-Sindhuri Controversy: चुनावी मौसम के दौरान कर्नाटक में राजनीतिक विवादों की कभी न खत्म होने वाली कड़ी के बीच, एक आईएएस और एक आईपीएस अधिकारी के बीच विवाद ने अन्य सभी राजनीतिक हलचलों को दबा दिया है। दरअसल, आईपीएस अधिकारी डी रूपा और आईएएस अधिकारी रोहिणी सिंधुरी उस विवाद के केंद्र में हैं, जिसने राज्य के नौकरशाही हलकों को हिलाकर रख दिया है। वैसे, इन दोनों अधिकारियों का विवादों से पुराना नाता रहा है।

क्या है मामला

रूपा ने सिंधुरी के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों सहित 19 आरोप लगाए हैं। इसके अलावा उन पर तीन पुरुष आईएएस अधिकारियों को फोटो भेजने का आरोप लगाया है। आईएएस अधिकारी ने सिंधुरी पर नग्न तस्वीरें साझा करने का आरोप लगाया है।

सीएम की ताकीद

मामला इतना बढ़ गया है कि मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा है कि मुख्य सचिव वंदिता शर्मा ने अधिकारियों को "अनुशासन बनाए रखने" का निर्देश दिया था और उनसे व्यक्तिगत रूप से बात की थी। उन्होंने लिखित में अपनी शिकायतें दी हैं। इनकी समीक्षा मुख्य सचिव कर रहे हैं। तब तक उन्हें नियमों का पालन करने के लिए कहा गया है।

डी रूपा

2000 बैच की आईपीएस अधिकारी रूपा वर्तमान में कर्नाटक राज्य हस्तशिल्प विकास निगम लिमिटेड (केएसएचडीसी) की प्रबंध निदेशक हैं। उन्होंने पहली बार 2004 में सुर्खियां बटोरीं थीं जब उन्होंने 1994 के एक मामले में अदालत के आदेश के बाद मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती को गिरफ्तार किया। कर्फ्यू के बावजूद 15 अगस्त, 1994 को धारवाड़ के ईदगाह मैदान में झंडा फहराने के बाद उमा भारती के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया था। रूपा उस समय धारवाड़ की पुलिस अधीक्षक (एसपी) थीं। उमा भारती की कार्रवाई के बाद दंगा भड़क गया और पुलिस फायरिंग में छह लोग मारे गए थे।

2016 में सराहनीय सेवा के लिए रूपा को राष्ट्रपति के पुलिस पदक से सम्मानित गया था।इसके बाद रूपा ने हाल के वर्षों में विभिन्न विवादों के कारण सुर्खियां बटोरीं। जुलाई 2017 में, पुलिस उप महानिरीक्षक (जेल) के रूप में तैनात होने के दौरान, उन्होंने अपने बॉस एचएन सत्यनारायण राव पर अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (अन्नाद्रमुक) की नेता वी के शशिकला को जेल में बन्द होने के दौरान सुविधाएं देने का आरोप लगाया।

एक रिपोर्ट में, रूपा ने आरोप लगाया कि शशिकला को सभी तरह की सुविधाएं प्रदान करने के लिए जेल अधिकारियों को लगभग 2 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया था। इसके बाद राव ने रूपा पर जमकर निशाना साधा और आरोपों के समर्थन में स्पष्टीकरण और सबूत की मांग की। आखिरकार, रूपा को जेल विभाग से बाहर स्थानांतरित कर दिया गया और उन्हें यातायात और सड़क सुरक्षा आयुक्त के रूप में नियुक्त किया गया। हालांकि, इसने उन्हें राव के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो में शिकायत दर्ज करने से नहीं रोका।

तीन साल बाद, 2020 में, वह वर्तमान पुलिस महानिरीक्षक हेमंत निम्बालकर के साथ एक सार्वजनिक विवाद में पाईं गईं, जो उस समय बेंगलुरु सिटी पुलिस के अतिरिक्त पुलिस आयुक्त (प्रशासन) थे। इनका विवाद सेफ सिटी प्रोजेक्ट से जुड़ा था। निंबालकर ने मुख्य सचिव को एक आईपीएस अधिकारी के खिलाफ एक निविदा के बारे में गोपनीय जानकारी हासिल करने के प्रयास के लिए जांच की मांग करते हुए लिखा। सरकार द्वारा मामले की जांच शुरू करने के बाद, रूपा ने स्वीकार किया कि उन्होंने निविदा के लिए एक परियोजना प्रबंधन सलाहकार को बुलाया था। हालांकि, उन्होंने कहा कि वह टेंडर फाइल का अध्ययन कर रही थीं और उन्हें गंभीर अनियमितताएं मिलीं। इस विवाद के चलते राज्य सरकार को दोनों अधिकारियों को बाहर कर दिया।

पिछले जून में, रूपा और केएसएचडीसी के पूर्व अध्यक्ष बेलूर राघवेंद्र शेट्टी ने एक दूसरे पर अनियमितताओं और शक्ति का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया था। रूपा ने आरोप लगाया कि केएसएचडीसी कार्यालय में सीसीटीवी कैमरों और डीवीआर के साथ छेड़छाड़ की गई और शेट्टी ने अपनी शक्तियों का दुरुपयोग किया और अपने परिचितों को लाभ पहुंचाने के लिए निविदा प्रक्रिया को प्रभावित किया। राघवेंद्र शेट्टी ने पलटवार किया और मुख्य सचिव के पास शिकायत दायर करते हुए रूपा पर 18 महीने की अवधि में केएसएचडीसी को दिए गए प्रस्तावों को लटकाए रखने का आरोप लगाया।

रोहिणी सिंधुरी

रोहिणी सिंधुरी 2009 बैच की आईएएस अधिकारी हैं। वह उन डिप्टी कलेक्टर (डीसी) में से थीं, जिन्हें केंद्र ने 2015 में स्वच्छ भारत अभियान के कार्यान्वयन में अनुकरणीय प्रदर्शन करने वालों के रूप में पहचाना था। रोहिणी का नाम आईएएस अधिकारी डी के रवि की आत्महत्या के कुछ महीने बाद उछला।मौत से पहले रवि ने कथित तौर पर उसे कई एसएमएस भेजे थे। केंद्रीय जांच ब्यूरो ने इस मामले की जांच की थी और 2016 में एक क्लोजर रिपोर्ट पेश की, जिसमें कहा गया कि रवि की मौत "व्यक्तिगत कारणों" से हुई थी।

2017 में सिंधुरी हासन जिले के डीसी के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान कांग्रेस नेताओं के साथ काफी टकराव में रही थीं। जनवरी 2018 में किए गए उनके स्थानांतरण को चुनाव आयोग ने रोक दिया था क्योंकि उस समय विभिन्न जिलों में मतदाता सूची सत्यापन की प्रक्रिया चल रही थी। अप्रैल 2018 में उनके स्थानांतरण आदेश को बरकरार रखने के बाद,

सिंधुरी ने कर्नाटक उच्च न्यायालय का रुख किया और अपने पद को बचाये रखने में सफल रहीं। कांग्रेस-जेडी (एस) गठबंधन सरकार के सत्ता में आने के बाद, लोक निर्माण विभाग के मंत्री एचडी रेवन्ना के साथ सार्वजनिक असहमति के बाद सिंधुरी को बाहर कर दिया गया था।

सिंधुरी फिर डीसी के रूप में मैसूरु भेजी गईं। वहां उन पर डीसी के सरकारी आवास को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया गया। ये एक हेरिटेज बिल्डिंग है जहां कोई बदलाव वर्जित है। लेकिन सिंधुरी ने इस आवास में स्विमिंग पूल का निर्माण करा लिया था। इसके अलावा, केआर नगर के विधायक सा रा महेश ने भी आईएएस अधिकारी पर बढ़े हुए दाम पर घटिया बैग खरीदने का आरोप लगाया।

जिसके कारण राज्य सरकार ने पिछले साल उनके खिलाफ जांच का आदेश दिया। कोरोना महामारी के दौरान, सिंधुरी एक बड़े मामले में फंस गईं। हुआ ये कि मैसूरु के पड़ोसी चामराजनगर में 24 लोगों की मौत हो गई थी, क्योंकि सिंधुरी ने कथित तौर पर ऑक्सीजन सिलेंडरों को वहां ले जाने से रोका था। बाद में उच्च न्यायालय और सरकार द्वारा नियुक्त समिति ने आरोपों को खारिज कर दिया।

दिसंबर में, गायक लकी अली ने आरोप लगाया था कि सिंधुरी की मदद से भू-माफिया द्वारा बेंगलुरु में उनकी एक संपत्ति का अवैध रूप से अतिक्रमण किया गया है। सिंधुरी ने आरोपों से इनकार किया और उसके बहनोई मधुसूदन रेड्डी ने एक बयान जारी कर कहा कि उसके पास विवादित संपत्ति के स्वामित्व को साबित करने के लिए दस्तावेज हैं। बहरहाल, इन दोनों अधिकारियों के कारनामे अब क्या रंग दिखाते हैं, ये देखने वाली बात है।

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