Karnataka Hijab Controversy: हिजाब प्रकरण पर आया मलाला यूसुफजई का बयान, कहा- महिलाओं को हिजाब में स्कूल जाने से रोकना भयावह

Karnataka Hijab Controversy: नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित मलाला यूसुफजई ने कर्नाटक में चल रहे हिजाब प्रकरण और लड़कियों को हिजाब पहनकर स्कूल जाने से रोकने पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।

Report :  Rajat Verma
Published By :  Shashi kant gautam
Update: 2022-02-08 17:36 GMT

Karnataka Hijab Controversy: नोबेल शांति पुरस्कार (Nobel Peace Prize) से सम्मानित मलाला यूसुफजई (Malala Yousafzai) ने कर्नाटक में चल रहे हिजाब प्रकरण और लड़कियों को हिजाब पहनकर स्कूल जाने से रोकने पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। ऐसे में मलाला यूसुफजई ने कड़ा रुख अपनाते हुए इस निर्णय को भयावह करार दिया है।

मलाला यूसुफजई ने इस प्रकरण के मद्देनज़र ट्विटर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए लिखा कि-"कॉलेज हमें पढ़ाई और हिजाब के बीच चयन करने के लिए मजबूर कर रहा है। लड़कियों को उनके हिजाब में स्कूल जाने से रोकने का निर्णय भयावह है। महिलाओं को हमेशा कम या ज्यादा पहनने के लिए आपत्ति का सामना करना पड़ता है। भारतीय नेताओं को आवश्यक रूप से मुस्लिम महिलाओं पर हो रही इस उपेक्षा को रोकना चाहिए।"

स्कूलों को 3 दिनों के लिए बंद करने का निर्णय

कर्नाटक में यह प्रकरण दिन-प्रतिदिन बढ़ते हुए वाकई में एक भयावह रूप ले रहा है तथा इसी के मद्देनज़र अब राज्य प्रशासन ने मामले में त्वरित कार्यवाही करते हुए राज्य के सभी स्कूलों को 3 दिनों के लिए बंद करने का निर्णय लिया है। इसके चलते जल्द ही हालात सुधरने की उम्मीद लगाई जा रही है।

आपको बता दें कि मलाला यूसुफजई हमेशा से ही लड़कियों की शिक्षा, महिलाओं के अधिकार, सम्मान आदि मुद्दों को वैश्विक पटल पर उठाती आ रही हैं। इसी के चलते साल 2012 पाकिस्तान में मुस्लिम लड़कियों की शिक्षा के विषय में बोलने के चलते आतंकी संगठन तालिबान ने महज 15 वर्षीय मलाला यूसुफजई पर गोली चला दी थी।

मलाला यूसुफजई की इच्छाशक्ति, कम उम्र की नोबेल पुरस्कार विजेता

मलाला यूसुफजई की इच्छाशक्ति और सकारात्मक सोच ने उन्हें ज़िंदा रखा और वह आज भी महिलाओं के अधिकार और शिक्षा के लिए लड़ती और हमेशा आगे खड़ी नज़र आती है। मलाला यूसुफजई को तत्पश्चात उनके अदम्य साहस के लिए 17 वर्ष को आयु में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था तथा वह आज भी सबसे कम उम्र की नोबेल पुरस्कार विजेता हैं। 

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