Karnataka New CM: बोम्मई को क्यों बनाया सीएम, BJP ने एक तीर से साधे कई निशाने, येदियुरप्पा से क्या है नाता
Karnataka New CM Basavaraj Bommai: बोम्मई के चयन से भाजपा को कर्नाटक के सबसे ताकतवर लिंगायत समुदाय को साधने में कामयाबी मिली है।
Karnataka New CM Basavaraj Bommai : कर्नाटक में बीएस येदियुरप्पा (BS Yediyurappa) ने भले ही मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा (CM Ka Istifa) दे दिया हो मगर वे अपने सबसे करीबी बसवराज बोम्मई (Basavaraj Bommai) को अपनी गद्दी सौंपने में कामयाब रहे। भाजपा ने एक बड़ी रणनीति के तहत बोम्मई का मुख्यमंत्री पद के लिए चयन किया है। नए मुख्यमंत्री के रूप में बोम्मई का चयन करके भाजपा ने एक तीर से कई निशाने साधे हैं।
भाजपा ने बोम्मई को क्यों बनाया सीएम (BJP Ne Bommai Ko Kyu Banaya CM)
बोम्मई के चयन से भाजपा को कर्नाटक के सबसे ताकतवर लिंगायत समुदाय को साधने में कामयाबी मिली है। इसके साथ ही भाजपा नेतृत्व पद से हटाए जाने के कारण नाराज येदियुरप्पा को भी साधने में कामयाब रहा है। इस कदम के जरिए भाजपा लिंगायत समुदाय के मठाधीशों को भी मनाने में कामयाब रही है और उनकी रजामंदी के बाद ही बोम्मई का नाम फाइनल किया गया है। बोम्मई आज मुख्यमंत्री पद की शपथ (Bommai Ki Oath Ceremony) लेंगे।
कर्नाटक में लिंगायत समुदाय काफी ताकतवर
कर्नाटक में काफी दिनों से येदियुरप्पा के इस्तीफे की अटकलें लगाई जा रही थीं और आखिरकार दो साल का कार्यकाल पूरा होते ही उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। पिछले दिनों उनकी दिल्ली यात्रा के बाद ही यह तय माना जा रहा था कि वे अब ज्यादा दिनों तक अपनी कुर्सी पर नहीं बने रहेंगे। खराब स्वास्थ्य और अधिक उम्र हो जाने के कारण येदियुरप्पा को हटाए जाने से लिंगायत समुदाय के मठाधीश काफी नाराज थे और उन्होंने यहां तक चेतावनी दे डाली थी कि भाजपा को इसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ सकती है।
कर्नाटक में लिंगायत समुदाय की आबादी करीब 17 फ़ीसदी है और राज्य विधानसभा की 224 सीटों में से 90-100 सीटों पर यह समुदाय निर्णायक भूमिका निभाता रहा है। लिंगायत समुदाय के रुख से ही इन सीटों पर हार-जीत का फैसला होता है। यही कारण है कि येदियुरप्पा को पद से हटाए जाने के बाद भाजपा नेतृत्व लिंगायत समुदाय के रुख को लेकर काफी चिंतित और परेशान था।
भाजपा नेतृत्व को दी थी चेतावनी
लिंगायत समुदाय के मठाधीशों की बैठक के बाद कर्नाटक के मशहूर लिंगेश्वर मंदिर के मठाधीश शरनबसव लिंगा ने तो यहां तक कह दिया था कि दिल्ली में बैठे लोगों को नहीं पता कि कर्नाटक में कैसे चुनाव लड़े और जीते जाते हैं। यह सरकार येदियुरप्पा ने बनाई है।
इसलिए उन्हें हटाने का फैसला भाजपा को कष्ट में डाल सकता है। उनका यह भी कहना था कि 1990 से लिंगायत समुदाय भाजपा को समर्थन देता रहा है और इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि येदियुरप्पा लिंगायत समुदाय से हैं।
मठाधीशों की बैठक में उभरा बोम्मई का नाम (Bommai Kaun hai)
सियासी जानकारों का मानना है कि इस चेतावनी के बाद भाजपा पर लिंगायत समुदाय से जुड़े किसी नेता और येदियुरप्पा की पसंद का ध्यान रखने के लिए दबाव बढ़ गया था। सूत्रों के मुताबिक भाजपा विधायक दल की बैठक से पहले येदियुरप्पा की लिंगायत मठाधीशों के साथ बैठक हुई थी। लिंगायत मठाधीशों को मनाने के लिए येदियुरप्पा ने अपनी ओर से बोम्मई का नाम सामने रखा था।
बैठक में लिंगायत मठाधीश शरनबसव लिंगा ने कहा था कि येदियुरप्पा की नाराजगी पर लिंगायत भाजपा के खिलाफ रुख अपना सकते थे मगर उनकी ओर से बोम्मई का नाम रखे जाने के बाद सभी मठाधीश उनके नाम पर सहमति जता दी थी। इसके बाद येदियुरप्पा ने पार्टी हाईकमान को बोम्मई के नाम का सुझाव दिया था। माना जा रहा है कि भाजपा नेतृत्व भी इसी कारण बोम्मई के नाम पर मुहर लगाने को मजबूर हो गया।
पहले ही लिखी जा चुकी थी पटकथा
भाजपा विधायक दल की बैठक से पहले ही सारी सियासी पटकथा लिखी जा चुकी थी और येदियुरप्पा को ही बोम्मई का नाम रखने की बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई थी। शाम सात बजे भाजपा विधायक दल की बैठक शुरू होते ही येदियुरप्पा ने सबसे पहले नए नेता के रूप में बोम्मई का नाम रखा जिसे सर्वसम्मति से मंजूर कर लिया गया। बैठक में केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और कर्नाटक के प्रभारी जी किशन रेड्डी भी सहित राज्य भाजपा के सारे वरिष्ठ नेता मौजूद थे। प्रस्ताव मंजूर होते ही केंद्रीय पर्यवेक्षक धर्मेंद्र प्रधान ने नए नेता के रूप में बोम्मई के नाम का ऐलान किया।
बोम्मई आज मुख्यमंत्री पद की शपथ (Bommai Ka Shapath Grahan) लेंगे। जानकारों का कहना है कि राज्य में तीन डिप्टी सीएम (Karnataka 3 Deputy CM) भी बनाए जाएंगे। इस पर भी पार्टी नेतृत्व की ओर से मंजूरी दी जा चुकी है। डिप्टी सीएम के नामों को फाइनल करने में भी जातीय और सियासी समीकरण का पूरा ध्यान रखा गया है। सूत्रों के मुताबिक डिप्टी सीएम पद पर आर अशोक (वोक्कालिंगा), गोविंद करजोल (एससी) और श्रीरामालु (एसटी) के नाम शामिल हैं।
येदियुरप्पा के काफी करीबी हैं बोम्मई (Yediyurappa Bommai Relation)
बोम्मई का जीवन परिचय (Bommai Ka Jeevan Parichay)- नए मुख्यमंत्री के रूप में चुने गए बसवराज बोम्मई राज्य के गृह और कानून मंत्री हैं। उनके पिता एसआर बोम्मई भी कर्नाटक के मुख्यमंत्री रह चुके हैं और उनकी गिनती कर्नाटक के ताकतवर नेताओं में होती थी। 28 जनवरी 1960 को जन्मे बोम्मई ने अपने सियासी सफर की शुरुआत जनता दल के साथ की थी। मैकेनिकल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएट बोम्मई ने 2008 में भाजपा की सदस्यता ग्रहण की थी।
भाजपा में शामिल होने से पहले उन्होंने कर्नाटक से जुड़े वरिष्ठ नेताओं एचडी देवगौड़ा और रामकृष्ण हेगड़े के साथ भी काम किया है। सिंचाई मामलों के जानकार माने जाने वाले बोम्मई को कर्नाटक में कई बड़े सिंचाई प्रोजेक्ट शुरू करने का श्रेय हासिल है। वे येदियुरप्पा के काफी विश्वासपात्र रहे हैं और यही कारण है कि उनके नाम पर येदियुरप्पा ने तत्काल हामी भर दी।
लिंगायत और येदियुरप्पा को साधने में कामयाबी
सियासी जानकारों का कहना है कि बोम्मई का नाम फाइनल करके भाजपा नेतृत्व ने एक तीर से कई निशाने साधने में कामयाबी हासिल की है। भाजपा लिंगायत समुदाय की नाराजगी को दूर करने में कामयाब रही है और इसके साथ ही येदियुरप्पा को साधने में भी पार्टी नेतृत्व कामयाब रहा है।
भाजपा नेतृत्व की ओर से दिए गए राज्यपाल पद के ऑफर को ठुकराने वाले येदियुरप्पा ने आगे भी भाजपा को जिताने के लिए पूरी ताकत लगाने की बात कही है। हालांकि वे राजनीति में सक्रिय अपने दोनों बेटों को भी आगे बढ़ाने की कोशिश में जुटे हुए हैं। उन्होंने अपने बेटों को लेकर भी भाजपा नेतृत्व के सामने कुछ शर्तें रखी हैं। अब देखने वाली बात यह होगी कि भाजपा नेतृत्व इन शर्तों पर क्या कदम उठाता है।