Karnataka News: कर्नाटक सीएम की कुर्सी खतरे में, विधानसभा चुनावों के बाद पार्टी ले सकती है बड़ा फैसला
दरअसल हाल ही में हुए विधानसभा उपचुनाव औऱ निकाय चुनावों में पार्टी का प्रदर्शन खराब रहा। सीएम के गृह जिले हंगल में भी पार्टी को हार का मुंह देखना पड़ा।
Karnataka News: दक्षिण भारत में बीजेपी का एकमात्र गढ़ माने जाने वाले कर्नाटक में एकबार फिर सियासी उथल – पूथल देखऩे को मिल सकती है। बीते साल ही राज्य के कद्दावर लिंगायत नेता बीएस येदुयरप्पा (BS Yediyurappa) को हटाकर बसवराज बौम्मई को नया सीएम बनाने वाली बीजेपी उनके प्रदर्शऩ से खुश नहीं बतायी जा रही है।
दरअसल हाल ही में हुए विधानसभा उपचुनाव औऱ निकाय चुनावों में पार्टी का प्रदर्शन खराब रहा। सीएम के गृह जिले हंगल में भी पार्टी को हार का मुंह देखना पड़ा। राज्य में पार्टी के इस प्रदर्शऩ से केंद्रीय नेतृत्व चिंतित बताया जा रहा है। यही वजह है कि बीजेपी आलाकमान एकबार फिर राज्य में नेतृत्व परिवर्तन पर विचार कर रहा है।
किसे मिलेगी कमान
बीजेपी किसी भी कीमत पर दक्षिण के अपने इस गढ़ को गंवाना नहीं चाहती है। दक्षिण में बीजेपी की राजनीति का द्वार माने जाने वाले कर्नाटक में कांग्रेस बेहद मजबूत है। यही वजह है कि पार्टी यहां किसी युवा और ऊर्जावान चेहरे को मुख्यमंत्री की गद्दी पर बैठाना चाहती है। दलित वोटों को अपने पक्ष में लामबंद करने के लिए पार्टी किसी दलित चेहरे पर भी दांव लगा सकती है। वहीं बीजेपी के कोर वोट औऱ राज्य की सबसे ताकतवर जाति लिंगायत से भी बीजेपी किसी को सीएम बना सकती है।
पूर्व सीएम बीएस येदियूरप्पा औऱ मौजूदा सीएम बसवराज बौम्मई भी लिंगायत समुदाय से आते हैं। ऐसे में किसी लिंगायत को हटाकर गैर लिंगायत को सीएम बनाना बीजेपी के लिए नुकसानदेह भी हो सकता है। 2013 के चुनावों में बीजेपी इसका हश्र देख चुकी है। मुख्यमंत्री बदलने के बाद पार्टी सरकार में काबिज कुछ वरिष्ठ मंत्रियों की छुट्टी भी कर सकती है।
कर्नाटक में चुनाव
गौरतलब है कि अगले साल यानि 2023 में कर्नाटक में विधानसभा चुनाव होने हैं। बीजेपी का आलाकमान चुनाव से पहले राज्य में एक मजबूत नेतृत्व को स्थापित करना चाहता है। जो उसके दक्षिण के एकमात्र गढ़ की सुरक्षा कर सके। अगर बीजेपी यहां चुनाव हारती है तो दक्षिण भारत में उसकी राजनीति को जबरदस्त झटका लगेगा। इसके साथ ही महाराष्ट्र के बाद एक और संसाधन से संपन्न राज्य उसके हाथ से निकल जाएगा।
तेलंगना और केरल में पांव जमाने की सोच रही बीजेपी के लिए कर्नाटक की सत्ता पर काबिज रहना जरूरी है। इन्हीं कारणों से बीजेपी एक साल के अंदर ही नेतृत्व को बदलने के फैसले पर विचार कर रही है। जनता दल एस से बीजेपी मे आए सीएम बसवराज बौम्मई को पूर्व मुख्यमंत्री औऱ कद्दावर लिंगायत नेता बीएस येदूयरप्पा का आर्शीवाद प्राप्त है।
येदूयरप्पा को कुर्सी से हटाने में बीजेपी के पसीने छुट गए थे। काफी मान मनौव्वल के बाद येदि कुर्सी छोड़ने को तैयार हुए औऱ बसवराज बौम्मई सीएम बने। ऐसे में आलाकमान के इस फैसले पर येदूयरप्पा क्या रूख अपनाते हैं, ये देखने वाली बात होगी।
कांग्रेस के लिए उम्मीद
राज्य में हर पांच साल बाद सत्ता पलटने की रीति रही है। 2013 में बीजेपी से सत्ता छिनने वाली कांग्रेस 2018 में बहुमत खो चुकी थी, हालांकि राजनीतिक कुशलता दिखाकर उसने जेडीएस के साथ सरकार बना ली और बीजेपी अधिक सीटें जीतने के बावजूद विपक्ष में बैठी। हालांकि ये गठजोड़ अधिक दिन नहीं चला. 2019 में लोकसभा चुनाव के बाद विधायकों के बगावत के बाद गठबंधन सरकार गिरी औऱ बीजेपी सत्ता में आई। ऐसे में राज्य में लगातार नेतृत्व संकट झेल रही बीजेपी के लिए जहां अगला चुनाव कठिन होने वाला है वहीं कांग्रेस इसे अपने लिए बड़ा अवसर मान रही है।