आखिर अबुल कलाम आज़ाद की जयंती पर क्यों मनाया जाता है #NationalEducationDay? जानें वजह
लखनऊ: प्रसिद्ध भारतीय मुस्लिम विद्वान मौलाना अबुल कलाम आज़ाद या अबुल कलाम गुलाम मुहियुद्दीन की आज 130वीं जयंती है। कवि, लेखक, पत्रकार और भारतीय स्वतंत्रता सेनानी रहे आजाद आजादी के बाद भी एक महत्त्वपूर्ण राजनीतिक रहे। वह हमेशा से महात्मा गांधी के सिद्धांतो का काफी समर्थन करते थे।
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वैसे मौलाना अबुल कलाम आज़ाद की जयंती को देश में नेशनल एजुकेशन डे के रूप में भी मनाया जाता है। जी हां, नेशनल एजुकेशन डे भारत के पहले शिक्षा मंत्री एवं भारत रत्न से सम्मानित मौलाना अबुल कलाम आज़ाद की याद में हर 11 नवंबर को मनाया जाता है। वैधानिक रूप से इस दिवस की शुरुआत 11 नवंबर 2008 से हुई।
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चूंकि आज मौलाना अबुल कलाम आज़ाद की 130वीं जयंती है, इसलिए हम आपको उनके बारे में कुछ रोचक बातें बताएंगे। आजाद हिंदू-मुस्लिम एकता के लिए काम करते थे और वे अलग मुस्लिम राष्ट्र (पाकिस्तान) के सिद्धांत का विरोध करने वाले मुस्लिम नेताओं में से थे। खिलाफत आंदोलन में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही।
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वे भारतीय नेशनल काग्रेंस के साल 1923 में सबसे कम उम्र के प्रेसीडेंट बने। वे साल 1940 और साल 1945 के बीच काग्रेंस के प्रेसीडेंट रहे। आजादी के बाद वह उत्तर प्रदेश राज्य के रामपुर जिले से 1952 में सांसद चुने गए और वे भारत के पहले शिक्षा मंत्री बने। वे धारासन सत्याग्रह के अहम इन्कलाबी (क्रांतिकारी) थे। उन्हें साल 1992 में मरणोपरान्त भारत रत्न से सम्मानित किया गया।