लखनऊः डेस्टिनेशन वेडिंग का चलन इन दिनों बिहार में आम हो गया है। यह बाद दीगर है कि इन दिनों खास डेस्टिनेशन वेडिंग कर रहे बिहारवासी सुदूर विवाह का गंतव्य तलाशने में गोरखपुर, वाराणसी और रांची से अलग जगह तलाश नहीं पा रहे हैं। इस डेस्टिनेशन वेडिंग की वजह भी अजीब है। यूपी के वाराणसी, गोरखपुर और झारखंड के रांची शहर महज इसलिए डेस्टिनेशन वेडिंग के नए मुकाम बने हैं, क्योंकि इन शहरों में शादियों की शाम शराब से रंगीन की जा सकती है।
बिहारी शादियों के नए वेडिंग डेस्टिनेशन
नीतीश कुमार ने बतौर सीएम अपने इस बार के कार्यकाल में बिहार में शराबबंदी का ऐलान कर बिहार के लिए शादियों के ये नए मुकाम गढ़ दिए हैं। बनारस और गोरखपुर की स्थिति तो ये है कि पांच में से दो शादियां यहां आकर बिहार के लोग कर रहे हैं। हालांकि, रांची बिहारवासियों के लिए गोरखपुर और बनारस जैसा डेस्टिनेशन वेडिंग का आकर्षक मुकाम नहीं बन सका है। वजह यह कि रांची तुलनात्मक रूप से ज्यादा महंगा है।
कम है लगन, उस पर बिहार इफेक्ट
इसकी वजह यह है कि वर्ष 2016 में विवाह के कुल 85 दिन ही लगन थी। इनमें से अब सिर्फ 43 दिन बचे हैं। हालांकि, ऋषिकेश पंचाग के मुताबिक कुल 24 लगन ही हैं। इन्हीं 43 दिनों में शादियां करनी हैं। इतने कम दिन तो बनारस और गोरखपुर जैसे आबादी वाले शहर के लिए भी कम थे, लेकिन बिहार के लोगों ने आकर इन शहरों के बाशिंदों की मुश्किलें बढ़ा दीं। बनारस और गोरखपुर में भी कैटरिंग उद्योग अचानक फलने-फूलने लगा है। गोरखपुर और बनारस में शराब की बिक्री भी कई गुना बढ़ गई है।
बिहारी मेहमानों की आवक बढ़ी
लगन वाले दिनों में इन शहरों के किसी छोटे या बड़े होटलों में आज भी बुकिंग कराई जाय तो वहां कमरे मिलने ही मुश्किल हैं। बिहार में शराब की रोक से परेशान लोगों के लिए यूपी ने उम्मीद का दरवाजा खोल दिया है। देवरिया, कुशीनगर, बलिया, महाराजगंज, गाजीपुर, चंदौली, सोनभद्र और बनारस जैसे शहरों में तो बिहार से मेहमानों का आना जाना बढ़ गया है। इन जिलों के बॉर्डर वाली दुकान की लाइसेंस फीस अचानक आसमान छूने लगी है। बिहार से लगे यूपी के बॉर्डर वाले जिलों में नशाबंदी के पहले शराब घाटे का सौदा थी, लेकिन अब यहां अकूत कमाई हो रही है।
कम पड़े बाजे-गाजे
यूपी के आबकारी विभाग ने बिहार बॉर्डर पर तकरीबन कई दर्जन नई दुकानें खोल दी हैं। इन दुकानों को बिहार के शराब कारोबारियों ने ही खरीदा है। शादी-ब्याह के बढ़ते चलन ने गोरखपुर और बनारस के बाहरी इलाकों में भी छोटे-बड़े कई मैरिज हाल बढ़ा दिए हैं। बैंड-बाजे वालों ने कमाई के लिए अपनी टोली छोटी कर ली है। जिस तरह बिहार के लोग बनारस और गोरखपुर को वेडिंग डिस्टिनेशन बना रहे हैं, उससे साफ है कि लगन वाले दिनों में कई जोड़ों को शहनाई और गाजे-बाजे के बिना ही फेरे लेने पड़ सकते हैं।