एक ऐसा देश जहां के सभी नागरिक 1 जनवरी को ही मनाते हैं जन्मदिन!

Update: 2018-01-01 05:10 GMT
एक ऐसा देश जहां के नागरिक 1 जनवरी को ही मनाते हैं अपना जन्मदिन!

काबुल: क्या आपको पता है कि एक ऐसा भी देश है जहां सभी अपना जन्मदिन 1 जनवरी को ही मनाते हैं! ये देश है अफगानिस्तान। इस बात को इस तरह समझा जा सकता है कि अगर किसी व्यक्ति का जन्मदिन 1 जनवरी को है तो उसकी पत्नी और बच्चों का जन्मदिन भी 1 जनवरी को ही होगा।

यह वह सुविधाजनक तारीख है जिसे हर वह शख्स चुन लेता है जो अपने जन्म की तारीख नहीं जानता। जन्म प्रमाण पत्र और आधिकारिक रिकॉर्ड की गैर मौजूदगी में बहुत से अफगान अपने उम्र की गणना मौसम या ऐतिहासिक घटनाओं से जोड़कर करते हैं। जन्मदिन चुनने की विवशता सोशल नेटवर्किंग साइट के विस्तार की वजह से हुई है।

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कई वजहों से बढ़ी जन्मदिन तय करने की मज़बूरी

अफगानी बताते हैं कि इसके अलावा पासपोर्ट और वीजा की बढ़ती जरूरतों की वजह से लोगों के सामने जन्मदिन चुनने की मजबूरी रहती है। इसलिए 1 जनवरी सबसे आसान होता है जिस दिन को वो जन्मदिन के लिए तय करते हैं। अधिकतर अफगानी 1 जनवरी को ही अपना बर्थडे मान लेते हैं।

ये भी एक कारण

एक स्थानीय नागरिक अलवी कहते हैं, कि 'ऐसा लगता है कि अफगानिस्तान में सभी लोगों का जन्मदिन 1 जनवरी को ही है। यहां तक कि जिन लोगों को अपना जन्मदिन पता भी है वे भी सोलर हिजरी से बर्थडे की गणना से बचने के लिए अक्सर 1 जनवरी को ही चुन लेते हैं। इस इस्लामिक कैलेंडर का इस्तेमाल ईरान और अफगानिस्तान में किया जाता है।' बता दें, कि हिजरी में साल का पहला दिन आमतौर पर 21 मार्च को होता है।

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मैं हिजरी कैलेंडर 1365 में तीन साल का था

एक अन्य नागरिक अब्दुल हदी (34 वर्ष) का कहना है कि 'मेरा तजकीरा कहता है कि मैं हिजरी कैलेंडर 1365 में तीन साल का था, जो पश्चिमी कैलेंडर के मुताबिक 1986 था। अफगान तजकीरा में डेट ऑफ बर्थ के लिए कोई खाली जगह नहीं है। आप अपना जन्मदिन कैसे याद रख सकते हैं? यदि यह सरकारी रिकॉर्ड में भी नहीं है तो?'

सालों से रुकी है प्रक्रिया

हालांकि, उन्होंने बताया कि प्राधिकरण की तरफ से इसे बदलने का प्रयास किया जा रहा है। पिछले कुछ सालों में बड़े अस्पतालों ने अपने यहां पैदा होने वाले बच्चों को बर्थ सर्टिफिकेट जारी करना शुरू किया है। सरकार भी अपने नागरिकों को ई-तजकीरा या कंप्यूटराइज्ड नेशनल आईडी कार्ड देने पर विचार कर रही है। इसमें जन्म की तारीख भी होगी। लेकिन यह प्रक्रिया राजनीतिक और तकनीकी कारणों से सालों से रुकी हुई है।

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