अपना भारत/न्यूज़ट्रैक Exclusive: डीजीपी ने सीबीआई से वापस मांगे यूपी के अफसर
लखनऊ। देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसियों में से एक सीबीआई इन दिनों काम के बोझ तले दबी हुई है। जांच के बढ़ते बोझ के बीच अब सीबीआई में अफसरों की कमी होने की आशंका बढऩे लगी है। पहले ही मैनपावर की कमी से जूझ रही सीबीआई को यूपी पुलिस के मुखिया की चिठ्ठी ने बड़ा झटका दिया है।
डीजीपी ने प्रतिनियुक्ति पर सीबीआई में समय पूरा कर चुके यूपी पुलिस के अफसरों को वापस करने के लिए सीबीआई निदेशक को चिठ्ठी लिखी है। यूपी पुलिस के दो दर्जन अफसरों को कार्यमुक्त करते ही सीबीआई में अफसरों की भारी कमी हो जायेगी। इससे कई महत्वपूर्ण जांचों की रफ्तार सुस्त पडऩे की संभावना बढ़ जाएगी।
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यूपी में काम के बोझ तले दबी है सीबीआई
यूपी में सीबीआई इन दिनों जांच के बोझ तले दबी हुई है। मौजूदा समय में एनआरएचएम घोटाला, सचल पालना गृह घोटाला, रिवर फ्रंट घोटाला, 455 करोड़ का हाइवे घोटाला, खनन घोटाला, जवाहर बाग कांड, यादव सिंह प्रकरण, आईएएस अधिकारी अनुराग तिवारी की मौत का प्रकरण, लखनऊ का श्रवण साहू हत्याकांड और मनरेगा घोटाले जैसी बड़ी जांचें सीबीआई के पास हैं।
अब योगी आदित्यनाथ सरकार ने 2012 से 2017 तक उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के जरिये हुई भॢतयों की सीबीआई जांच कराने का फैसला लिया है। एनआरएचएम घोटाला, सचल पालना, गृह घोटाले और मनरेगा की जांच का दायरा प्रदेश के 72 जिलों में फैला हुआ है। खनन और वक्फ घोटाले की जांच भी करीब तीन दर्जन जिलों में फैली हुई है।
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दिल्ली बैठक में छाया रहा यह मुद्दा
इन जांचों के बोझ तले दबी सीबीआई को उत्तर प्रदेश पुलिस के मुखिया सुलखान सिंह की चिठ्ठी ने 440 वोल्ट का झटका दिया है। डीजीपी ने प्रतिनियुक्ति पर सीबीआई में इन बड़ी जांचों की जिम्मेदारी संभाल रहे दो दर्जन अफसरों को वापस भेजने को कहा है। सीबीआई में काम कर रहे इन अफसरों को पांच वर्ष के लिए यूपी पुलिस से सीबीआई में प्रतिनियुक्ति पर पोस्टिंग मिली थी।
पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा होने के बाद नियमत: सीबीआई के अफसरों को खुद ही यूपी पुलिस के इन अफसरों को कार्यमुक्त कर देना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इसी वजह से पुलिस महानिदेशक ने सीबीआई निदेशक को चिठ्ठी लिखकर यूपी पुलिस के दो दर्जन अफसरों को कार्यमुक्त करने को कहा है।
सीबीआई के लिए सबसे बड़ी मुश्किल यह है कि अगर दो दर्जन अफसरों को एक साथ कार्यमुक्त कर दिया जाता है तो कई बड़ी जांचें प्रभावित होंगी। दिल्ली में होने वाली सीबीआई की मासिक समीक्षा बैठक और तिमाही बैठक में भी यह मुद्दा उठा छाया रहा।
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पुलिस-सीबीआई के काम के तरीके में काफी अंतर
सीबीआई अगर यूपी पुलिस के दो दर्जन अफसरों को कार्यमुक्त करती है तो उनकी जगह यूपी पुलिस के अफसरों को ही प्रतिनियुक्ति पर सीबीआई में तैनाती मिलेगी। तैनाती पाने वाले अफसरों को नए सिरे से ट्रेनिंग देकर जांच में निपुण बनाने में करीब छह माह का समय लगेगा।
इससे न सिर्फ जांच प्रभावित होगी बल्कि जांच में फंसने वाली बड़ी मछलियों को अपने बचाव के लिए और समय भी मिल जाएगा। यूपी पुलिस और सीबीआई के काम करने के तरीके में काफी अन्तर है। यूपी पुलिस में जहंा केस डायरी से लेकर चार्जशीट तक हस्तलेख में लेकर ही कोर्ट पहुंचती है वहीं सीबीआई हाईटेक तरीकों से जांच करने के साथ विवेचना से लेकर केस डायरी और चार्जशीट कम्प्यटरीकृत पेश करती है।
दरअसल यूपी पुलिस के जिन अफसरों को कम्प्यूटर का ज्ञान है वे सीबीआई में अपनी सेवाएं देना नहीं चाहते हैं जबकि जो अफसर सीबीआई में काम करने के इच्छुक होते हैं उन्हें कम्प्यूटर का ज्ञान नहीं होता है। यही वजह है कि सीबीआई अफसरों के सामने ऐसे अफसर फेल हो जा रहे हैं।
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अफसरों की वापसी से प्रभावित होगा काम
डीजीपी के पत्र पर अगर सीबीआई दो दर्जन अफसरों को कार्यमुक्त करती है तो एसीबी लखनऊ और एसीबी गाजियाबाद यूनिट की जांच का काम प्रभावित होगा।
एसीबी गाजियाबाद यूनिट के जिम्मे गाजियाबाद, नोएडा, आगरा, फिरोजाबाद, मैनपुरी, सहारनपुर, अलीगढ़, बिजनौर, मेरठ, एटा, मुरादाबाद, बुलंदशहर, मथुरा, मुजफ्फरनगर और रामपुर समेत 18 जिले हैं। जबकि एसीबी लखनऊ के पास वाराणसी, इलाहाबाद, लखनऊ, बरेली, गोरखपुर, कानपुर, झांसी, जालौन, हमीरपुर, फतेहपुर समेत प्रदेश के करीब 50 जिले हैं।
सीबीआई जिन घोटालों की जांच में उलझी हुई है उनके अलावा वक्फ बोर्ड घोटाला, चीनी मिल घोटाला, यूपी लोक सेवा आयोग के जरिये होने वाली भर्ती की जांच भी सीबीआई के सुपुर्द किये जाने की तैयारी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 2012 से लेकर 2017 तक हुई भर्ती की सीबीआई जांच कराने की घोषणा सदन में कर चुके हैं, जबकि वक्फसंपत्ति घोटाले की जांच के लिए योगी सरकार सिफारिश करने की तैयारी में हैं।
गृह सचिव भगवान स्वरूप श्रीवास्तव कहते हैं कि वक्फ संपत्ति घोटाले की जांच की सिफारिश के लिए औपचारिकताएं पूर्ण की जा रही हैं। प्रक्रिया पूरी होते ही जांच की सिफारिश की जाएगी।