लखनऊ: सुप्रीम कोर्ट में जब गुरुवार (8 फरवरी) को अयोध्या के विवादित जमीन पर मालिकाना हक के मामले में सुनवाई चल रही थी, तब उत्तर प्रदेश के मुस्लिम समाज के प्रतिनिधियों का एक दल 'आर्ट ऑफ लिविंग' के संस्थापक श्रीश्री रविशंकर से बेंगलुरु में मुलाकात कर इस मसले को कोर्ट से बाहर सुलझाने पर बात कर रहा था। मुस्लिम पक्ष के लोगों के आए बयान से तो ऐसा लग रहा कि इस मसले के अदालत से बाहर सुलझने के आसार नजर आ रहे हैं।
छह सदस्यीय इस प्रतिनिधि मंडल में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के कार्यकारी अधिकारी मौलाना सलमान हुसैनी नदवी, उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष जफर फारूकी, पूर्व आईएएस अधिकारी अनीस अंसारी, अधिवक्ता इमरान अहमद, टीले वाली मस्जिद के मौलाना वासिफ हसन वैजी, ऑब्जेक्टिव रिसर्च ऐंड डिवेलपमेंट के निदेशक अतहर हुसैन थे। अयोध्या के जमीन विवाद पर दोनों पक्षों की बैठक लगभग 3 से 4 घंटे तक चली।
अगली बैठक मार्च में
अतहर हुसैन ने बताया, 'बैठक में विवाद के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई। हिंदुओं और मुसलमानों के बीच बढ़ती दूरियों पर बात की गई। इस मुद्दे पर अब अगली बैठक मार्च में रखी गई है। यह बैठक अयोध्या में होगी, जहां संत और मौलाना मिलकर बात करेंगे।'
वक्फ बोर्ड हर तरह से समझौता करने को राजी
फारूकी ने बताया, कि 'वक्फ बोर्ड हर तरह से समझौता करने को राजी है। दोनों पक्षों का एक साथ बैठकर बात करना जरूरी है। श्रीश्री रविशंकर के प्रवक्ता गौतम ने बताया, कि बैठक में बेंगलुरु के भी कुछ संगठन शामिल हुए, कुल 16 संगठनों ने प्रतिनिधित्व किया। उन्होंने कहा, कि श्रीश्री रविशंकर का उद्देश्य सिर्फ इतना है कि यह मुद्दा जल्द से जल्द सौहार्दपूर्ण तरीके से निपटा लिया जाए।'
अगली बैठक अयोध्या में
उन्होंने बताया, कि लोगों से बात चल रही है। अगली बैठक अयोध्या में अगले महीने की जानी है, उसकी तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। बैठक में कौन-कौन शामिल होगा इसकी लिस्ट तैयार की जा रही है। श्रीश्री रविशंकर मार्च में होने वाली बैठक के पहले एक बार फरवरी में अयोध्या जाएंगे। पिछले साल नवंबर में श्री श्री रविशंकर ने लखनऊ और अयोध्या मामले के विभिन्न पक्षकारों से बात करके विवाद को आपसी समझौते से निपटाए जाने की बात कही थी।
फैसला किसी एक के ही हक में होगा
दूसरी ओर, ऑल इंडिया पर्सनल लॉ बोर्ड के पदाधिकारी सलमान नदवी ने कहा, कि सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हो गई है। उम्मीद है फैसला जल्द आएगा। फैसला किसी एक के ही हक में होगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि यह उनके लिए जमीन के मालिकाना हक का मामला है, कोई भावनात्मक मुद्दा नहीं है।' उन्होंने कहा, कि कोर्ट के लिए ये भले ही भावनात्मक मुद्दा नहीं हो लेकिन इससे दोनों पक्ष की भावनाएं जुड़ी हैं। मुस्लिम पक्ष भी कोर्ट के बाहर ही इसका समाधान चाहता है ताकि पूरे देश में अच्छा संदेश जाए।
हालांकि, मंदिर निर्माण के समर्थक लोगों का पक्ष तो उस वक्त सामने आएगा जब श्रीश्री रवि शंकर अगले महीने दोनों पक्षों से बात करने अयोध्या आएंगे। हालांकि, रविशंकर ने फिर से नई पहल कर सालों से अदालतों के चक्कर काट रहे इस मुद्दे को हल करने की कोशिश तो जरूर कर दी है।