Bank strike : 1 दिन में 21000 करोड़ रुपये का लेनदेन प्रभावित

वेतन वृद्धि की मांग को लेकर बुधवार को देश भर में 10 लाख से अधिक बैंककर्मियों द्वारा की गई हड़ताल के कारण 21,700 करोड़ रुपये के लेनदेन नहीं किए जा सके। अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ (एआईबीईए) के महासचिव सी.एच. वेंकटचलम ने आईएएनएस को बताया, "भारतीय स्टेट बैंक और कुछ निजी बैंकों सहित देश भर में फैली करीब 85,000

Update:2018-05-30 21:21 IST
Bank strike : 1 दिन में 21000 करोड़ रुपये का लेनदेन प्रभावित

नई दिल्ली/ लखनऊ : वेतन वृद्धि की मांग को लेकर बुधवार को देश भर में 10 लाख से अधिक बैंककर्मियों द्वारा की गई हड़ताल के कारण 21,700 करोड़ रुपये के लेनदेन नहीं किए जा सके। अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ (एआईबीईए) के महासचिव सी.एच. वेंकटचलम ने आईएएनएस को बताया, "भारतीय स्टेट बैंक और कुछ निजी बैंकों सहित देश भर में फैली करीब 85,000 बैंक शाखाएं दो दिनों तक बंद रहेंगी। हड़ताल प्रभावी है।"

यूपी में 12 हजार करोड़ की क्लियरिंग प्रभावित

यूनाइटेड फोरम ऑफ़ बैंक यूनियन के प्रवक्ता अनिल तिवारी और संयोजक एस के संतानी ने बताया कि प्रदेश में 5500 बैंक शाखाएं हैं, आज की हड़ताल से प्रदेश में 12 हजार करोड़ की क्लियरिंग प्रभावित हुई है। लखनऊ की बात करें तो यहां 730 बैंक शाखाये हैं और 1073 एटीएम हैं।लखनऊ में हड़ताल के चलते 950 करोड़ की क्लियरिंग प्रभावित हुई है।

बैंकरों ने वेतन वृद्धि जल्द लागू करने को लेकर दवाब डलाने के लिए देश भर में धरना-प्रदर्शन किया।

वेंकटचलम ने कहा, "अखिल भारतीय स्तर पर हड़ताल के कारण 39 लाख लेन-देन प्रभावित हुए, जिसका कुल मूल्य 21,700 करोड़ रुपये रोजाना है। यह पिछले 15 दिनों का औसत है।"वेंकटचलम ने कहा कि यूनियनों ने इंडियन बैंक एसोसिएशन (आईबीए) से प्रस्तावित दो प्रतिशत से अधिक वेतन वृद्धि की मांग की थी, ताकि हड़ताल को टाला जा सके।

उन्होंने कहा कि आईबीए से स्केल 4-7 के बैंक अधिकारियों का वेतन संशोधन अलग नहीं करने के लिए भी कहा था। लेकिन आईबीए ने कुछ भी नहीं किया।

इस संबंध में सोमवार को हुई समझौता बैठक में मुख्य श्रम आयुक्त(सीएलसी) ने आईबीए से वेतन संशोधन के अलावा नए विवाद उठाने के लिए नहीं कहा, जिसमें 4-7 स्केल के अधिकारियों का वेतन संशोधन अलग से करने का विरोध भी शामिल है।

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ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कॉन्फेडरेशन (एआईबीओसी) के महासचिव डी.टी. फ्रांसो ने इससे पहले कहा था, "सीएलसी ने हालांकि हड़ताल के मुद्दों को सुलझाने का सर्वोत्तम प्रयास किया, लेकिन कोई सकारात्मक परिणाम नहीं निकला। इसलिए 30 और 31 मई को हड़ताल होगी।"वेंकटचलम के मुताबिक, स्केल 4-7 के अधिकारियों के वेतन संशोधन के संबंध में आईबीए ने कहा कि उसे इस मामले पर छह बैंकों की मंजूरी नहीं मिली, क्योंकि वे वेतन संशोधन में स्केल 3 स्तर तक के अधिकारियों का वेतन ही शामिल करना चाहते हैं।

उन्होंने कहा कि हालांकि 14 बैंकों ने वेतन संशोधन में स्केल 7 के अधिकारियों के वेतन को भी शामिल करने को मंजूरी दी है, जैसा कि पहले के वेतन संशोधनों में किया जाता रहा है।

फ्रैंको ने आईएएनएस को बताया, "छह बैंकों - एसबीआई (भारतीय स्टेट बैंक), पंजाब नेशनल बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स और इंडियन बैंक स्केल 4-7 के अधिकारियों का वेतन अलग से तय करना चाहते हैं और वेतन संशोधन की वार्ता से उन्हें अलग रखना चाहते हैं।"

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बैंकों में वेतन संशोधन एक नवंबर, 2017 में ही किया जाना था। वेंकटचलम के मुताबिक, केंद्र सरकार ने आईबीए को सलाह दी थी कि साल 2017 के नवंबर तक वेतन संबंधी मुद्दों को सुलझा ले। ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कन्फेडरेशन (एआईबीओसी) के महासचिव वाई. सुदर्शन ने बेंगलुरू में आईएएनएस को बताया, "कर्नाटक में एक लाख से ज्यादा बैंक कर्मचारी हड़ताल पर रहे, जिसमें अधिकारी भी शामिल थे।"नेशनल कन्फेडरेशन ऑफ बैंक इम्पलाइज (एनसीबीई) की त्रिपुरा इकाई के सचिव स्वप्न मोदक ने मीडिया से कहा, "त्रिपुरा में सरकारी बैंकों की करीब 500 शाखाओं के 4,000 बैंक कर्मचारी हड़ताल में शामिल हुए।"हड़ताल के कारण सरकारी और विदेशी एक्सचेंज के लेनदेन भी प्रभावित हुए, जबकि एटीएम मशीनों में कैश की अतिरिक्त आपूर्ति की गई।

फाइनेंसियल सॉफ्टवेयर एंड सिस्टम्स (एफएसएस) के अध्यक्ष वी. बालासुब्रह्मण्यम ने आईएएनएस को बताया, "हमने एटीएम्स में करीब 15 लाख रुपये कैश डाले जो चार दिनों में डालेजाने वाले कैश का औसत है।"चेन्नई की कंपनी एफएसएस देश में कई बैंकों के एटीएम का प्रबंधन करती है। इस दौरान उद्योग लॉबी संस्था एसोचैम ने यूएफबीयू से हड़ताल खत्म करने का आह्वान किया और कहा कि इससे 20,000 करोड़ रुपये के लेन-देन प्रभावित हो रहे हैं।

एसोचैम के महासचिव डी. एस. रावत ने एक बयान में कहा, "सरकारी बैंकों की बहुत सारी पूंजी बुरे कर्ज (फंसे हुए कर्ज) में फंसी हुई है। रिपोर्टों के मुताबिक मार्च में खत्म हुई तिमाही में उन्हें कुल 50,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। ऐसी स्थिति में सरकार को सरकारी बैंकों की मदद करनी चाहिए।"

हालांकि, बैंक यूनियनों का कहना है कि बैंकों को नुकसान इसलिए हुआ है, क्योंकि उनका फंसा हुआ ज्यादातर कर्ज कॉरपोरेट कंपनियों को दिया गया है और बैंकों ने उस रकम का प्रावधान किया है। ये घाटे 'असली' नहीं हैं।

यूनियन नेताओं ने कहा कि लॉबी बॉडीज के कॉरपोरेट सदस्य बैंकों से लिए गए कर्ज को चुका दें तो बैंक के बैलेंस शीट में दिखाया जा रहा नुकसान नहीं रहेगा।

--आईएएनएस

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