कश्मीर के लोग आतंकवाद से थक चुके हैं : सेना प्रमुख बिपिन रावत

Update: 2018-01-17 17:03 GMT

नई दिल्ली : सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने बुधवार को कहा कि जम्मू एवं कश्मीर के लोग आतंकवाद से थक चुके हैं, क्योंकि उन्हें यह अहसास हो गया है कि उन्हें इससे वह सब नहीं मिल सकता, जिसे वह चाहते हैं। ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन की ओर से आयोजित रायसिना वार्ता में फेसबुक लाइव सत्र के दौरान उन्होंने कहा, "कश्मीर के लोगों को इस बात का एहसास हो गया है कि भारत से अलग होना संभव नहीं है।"

जनरल रावत ने कहा, "मेरे विचार में, सामान्य तौर पर कश्मीर के लोग आतंकवाद से थक गए हैं। उन्होंने इसे लंबे समय से देखा है और उन्हें एहसास हो गया है कि इससे उन्हें वह हासिल नहीं हुआ, जो वे चाहते थे।"

उन्होंने कहा, "मैं आपको बताता हूं, भारत जैसे देश के साथ, ऐसे देश से स्वतंत्रता पाना जहां मजबूत सशस्त्र सेना है, बहुत मजबूत लोकतंत्र है और बेहद मजबूत सरकार है..आप भारत से अलग नहीं हो सकते।"

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उन्होंने कहा, "यह वह है, जिसे लोगों ने महसूस किया और इनमें से कुछ ने हालांकि कट्टरता की वजह से आतंकवाद को स्वीकार किया और हो सकता है कि उन्हें इससे 'मैचो' जैसा महसूस हो और जो भी हो, मैं यह महसूस करता हूं कि उनमें से अधिकतर मुख्यधारा में शामिल होना चाहते हैं, लेकिन इनमें से कुछ जो कट्टर बन गए हैं, मुझे लगता है कि ऐसे लोगों को सही रास्ते पर लाने के लिए अभियान चलाया जाना चाहिए। अगर यह काम कर गया, तो मुझे लगता है कि हम आतंकवाद समाप्त करने की दिशा में कदम बढ़ा लेंगे।"

नियंत्रण रेखा पर संघर्ष विराम के उल्लंघन पर उन्होंने कहा कि पाकिस्तान यहां आतंकवाद को पुनर्जीवित करने की कोशिश कर रहा है।

उन्होंने कहा, "नियंत्रण रेखा के पास घटनाएं हो रही हैं, क्योंकि सीमा पार से घुसपैठ के प्रयास किए जा रहे हैं। पाकिस्तान में आतंकी शिविर हैं, जो कश्मीर में दोबारा आतंकवाद बढ़ाने के प्रयास कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें महसूस हो रहा है कि घाटी में शांति का दौर वापस आ रहा है। हम महसूस कर रहे हैं कि आने वाले कुछ महीनों में घुसपैठ की घटनाएं बढ़ेंगी।"

सेना प्रमुख ने कहा, "इसलिए पाकिस्तानी सैनिकों के द्वारा नियंत्रण रेखा के पास गोलीबारी की जा रही है, ताकि आतंकवाद और घुसपैठ की घटना को जारी रखा जा सके।"

पाकिस्तान की परमाणु धमकी के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, "परमाणु हथियार रणनीतिक हथियार होता है और इसका प्रयोग आसान नहीं है। इसके बारे में किसी प्रतिष्ठान के शीर्ष स्तर पर निर्णय लिया जाता है। पारंपरिक क्षेत्र मे परमाणु हथियार की बात करना, मुझे नहीं लगता है कि यह सही है।"

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