Bundelkhand Express Way: उद्घाटन के महज चार दिन बाद भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे, एक हिस्सा धंसा

Bundelkhand Expressway: एक्सप्रेस वे पर छिरिया सलेमपुर के पास सड़क एक हिस्सा धंस गया। जालौन से चित्रकूट जाने वाले फोर लेन पर क्षिरिया सलेमपुर टोल प्लाजा से 11 किमी पहले टू लेन रोड पर ट्रैफिक फिलहाल रोक दिया गया है।

Update:2022-07-21 17:13 IST

 Bundelkhand Expressway damaged (Image: Social Media)

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Bundelkhand Express Way: 16 जुलाई 2022 को जिस बड़े तामझाम के साथ बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था, वो गुणवत्ता को लेकर अब सवालों के घेरे में आ गया है। एक्सप्रेस वे पर छिरिया सलेमपुर के पास सड़क एक हिस्सा धंस गया। जालौन से चित्रकूट जाने वाले फोर लेन पर क्षिरिया सलेमपुर टोल प्लाजा से 11 किमी पहले टू लेन रोड पर ट्रैफिक फिलहाल रोक दिया गया है। सड़क की मरम्मत की जा रही है।

नवनिर्मित एक्सप्रेस वे के एक हिस्से की धंसने की खबर सामने आने के बाद इसे बनाने वाली संस्था यूपीडा एक्टिव हो गई है। एजेंसी के अधिशाषी इंजीनियर चंद्र भूषण ने बताया कि बारिश में पानी के तेज बहाव के कारण मिट्टी कटान की समस्या आई है। टीम को भेजकर एक्सप्रेस वे के धंसे हुए हिस्से को दुरस्त कराया जा रहा है।

हली बारिश ही नहीं झेल पाया

करीब 15 हजार करोड़ की लागत से बने 296 किलोमीटर लंबे बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे 20 जुलाई को ही तेज बारिश में लोकापर्ण के पांचवे दिन ही जगह – जगह धंस गया। चित्रकूट की ओर खनुआ गांव के कई स्थानों पर बारिश के कारण मिट्टी की कटान होने से एक्सप्रेस वे धंस गया है। ऐसे में अब इसके गुणवत्ता पर सवाल खड़े होने लगे हैं। सवाल ये है कि क्या जल्दबाजी में उद्घाटन के चलते इसके गुणवत्ता से खिलवाड़ किया गया।

बता दें कि बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे योगी सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजनाओं में से एक है। इसके निर्माण के बाद से बुंदेलखंड दिल्ली और लखनऊ से सीधा कनेक्ट हो गया है। प्रधानमंत्री मोदी ने फरवरी 2020 को इसका शिलान्यास चित्रकूट जिले के भरतकूप में किया था। 36 माह में इस परियोजना को पूरा होना था, लेकिन 8 माह पूर्व ही इसका निर्माण कार्य पूरा कर लिया गया। इसके लिए उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (UPEIDA) की काफी तारीफें भी हुईं।

बताया गया कि समय से पहले प्रोजेक्ट पूरा करने के कारण सरकार को 1132 करोड़ रूपये का बचत हुआ। लेकिन अब ये दावे सड़क की गुणवत्ता को देखते हुए सवालों के घेरे में हैं। 

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