नई दिल्ली : अखिल भारतीय ट्रेडर्स संघ (सीएआईटी) ने शनिवार को सीलिंग अभियान के लिए एमसीडी की निगरानी समिति पर निशाना साधा और कहा कि यह तानाशाह की तरह बर्ताव कर रही है। साथ ही संघ ने दो और तीन फरवरी को 48 घंटे के दिल्ली व्यापार बंद की घोषणा की। सीएआईटी ने केंद्र सरकार से दिल्ली व्यापार और व्यापारियों को सीलिंग अभियान से बचाने के लिए संसद में विधेयक लाने की मांग की। सीलिंग अभियान भाजपा के नेतृत्व वाली एमसीडी द्वारा चलाया जा रहा है।
सीएआईटी ने एक बयान में कहा, "सीएआईटी ने बंद का आह्वान किया है। व्यापारियों की केंद्र सरकार से मांग है कि संसद के वर्तमान सत्र में दिल्ली व्यापार और व्यापारियों की सीलिंग से रक्षा के लिए विधेयक पेश करे।"
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बयान में कहा गया, "दो-तीन फरवरी को व्यापारी एक विरोध मार्च निकालेंगे और अपने अपने बाजारों में धरना देंगे। इससे पहले व्यापारी दिल्ली के सांसदों और विधायकों का घेराव करेंगे और उन्हें ज्ञापन सौपेंगे।"
बयान में कहा गया है कि एक ज्ञापन सभी राजनीतिक दलों के प्रमुख नेताओं को भी दिया जाएगा।
सीएआईटी के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि बंद का फैसला राष्ट्रीय राजधानी के कॉन्सीट्ीटूयश्नल क्लब में दिल्ली व्यापारियों की एक बैठक में लिया गया, जिसमें शहर के करीब 500 व्यापार संघ के नेताओं ने भाग लिया।
खंडेलवाल ने बताया, "सीएआईटी ने निगरानी समिति पर एक सुपर प्रशासनिक निकाय की तरह बर्ताव करने का आरोप लगाया, जो किसी भी परिसर की वैधता के बारे में कम से कम चिंतित और व्यापार प्रतिष्ठानों को सील करने में अधिक दिलचस्पी दिखा रही है। समिति का रवैया किसी तानाशाह से कम नहीं है।"
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व्यापार इकाई ने राष्ट्रीय राजधानी में व्यापार प्रतिष्ठानों को सील करने के मामले में केंद्र सरकार से हस्तक्षेप की मांग की है।
सीएआईटी ने कहा, "यह राज्य का मामला नहीं है और अब वक्त आ चुका है कि केंद्र सरकार इस मामले में हस्तक्षेप करे। सीएआईटी प्रतिनिधिमंडल गृह मंत्री, शहरी विकास मंत्री और दिल्ली के उपराज्यपाल से इस मुद्दे को लेकर मिलेगा उसके बाद आंदोलन की आगे की रूपरेखा पर विचार किया जाएगा।"
मंगलवार को दिल्ली भर के सात लाख से ज्यादा व्यापारियों ने शहर में सीलिंग अभियान के खिलाफ विरोध दर्ज करते हुए बंद रखा था और सरकार से व्यापारियों को बचाने के लिए आम-माफी अध्यादेश लाने की मांग की थी।
व्यापार इकाई के मुताबिक, सीलिंग अभियान के जरिए दिल्ली नगर निगम अधिनियम के सांविधिक प्रावधानों का उल्लंघन किया गया है।