अयोध्या गर्म : वेदांती पर राजनाथ सिंह सूर्य का प्रहार , वेदांती भी खूब बरसे
संजय तिवारी
लखनऊ : अयोध्या अब और गर्म होने लगी है। श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन के बड़े दिग्गजों के न रहने , थक जाने और किनारे लगा दिए जाने के बाद अजीब परिस्थितियां बन रही हैं। इस आंदोलन के असली सूत्रधार परमहंस रामचंद्र दास , अशोक सिंघल , आचार्य गिरिराज किशोर और महंत अवेद्यनाथ ब्रह्मलीन हो चुके हैं।
श्रीराम जन्मभूमि न्यास के सदस्य डॉ राम विलास वेदांती ने इस मामले में 13 लोगो पर केस चलाने के कोर्ट के निर्णय के बाद जब कल यह कहा कि ढांचा मैंने तोड़ा और तोड़वाया है , इसकी पूरी जिम्मेदारी मै ले रहा हूँ , तब शनिवार को भाजपा के एक अन्य नेता राजनाथ सिंह सूर्य भी इसमें कूद पड़े। उन्होंने तो वेदांती के उस दिन अयोध्या में उपस्थिति पर ही सवाल खड़ा कर दिया। जाहिर है वेदांती को क्रोध आना ही था। जब अपना भारत - newstrack ने वेदांती से बातचीत की तो वे खुल कर बोलने लगे।
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वेदांती अभी श्रीरामजन्मभूमि मुक्ति यज्ञ समिति , श्रीरामजन्मभूमि न्यास , श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण समिति सहित विश्व हिन्दू परिषद् की उन सभी संस्थाओ के सदस्य हैं जिनका सम्बन्ध श्रीराम जन्मभूमि से है।
डॉ राम विलास वेदांती ने कहा कि राजनाथ सिंह सूर्य पर मुझे तरस आती है कि कथित सूर्य को दिन में भी नहीं दिखाई पड़ता। छह दिसम्बर 1992 को अयोध्या में कौन था और कौन नहीं था , इसे पूरी दुनिया ने देखा। अगर उस दिन अयोध्या में मै नहीं था तो कौन था ? मंच पर हज़ारो कैमरों के बीच मै सभा कर रहा था। ऐसे में राजनाथ सिंह सूर्य का बयान उनके मानसिक दीवालियापन और भाजपा में उनके किनारे लग जाने का परिणाम है।
उल्लेखनीय है कि पूर्व सांसद राजनाथ सिंह 'सूर्य ने वेदांती को झूठ बोलने का माहिर बताते हुए कहा कि छह दिसंबर को ढांचा विध्वंस के दिन तो वेदांती अयोध्या में ही नजर नहीं आए थे। ध्यान रहे, वेदांती ने दावा किया है कि अयोध्या में बाबरी ढांचा उनके कहने पर ही तोड़ा गया था।
राजनाथ सिंह ने बताया कि बाबरी ढांचा गिराए जाने के समय वह खुद अयोध्या में थे और तब उनके पास प्रदेश भाजपा में महामंत्री पद की जिम्मेदारी थी। इसी के नाते वह पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरली मनोहर जोशी के साथ थे, जबकि लालकृष्ण आडवाणी के साथ तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष कलराज मिश्र अयोध्या पहुंचे थे। पांच दिसंबर की रात शीर्ष नेताओं ने हालात का जायजा लिया ताकि कोई दुर्घटना न हो जाए। सांसद विनय कटियार व विश्व हिंदू परिषद नेताओं ने भरोसा दिलाया था कि कारसेवकों में आक्रोश जरूर है परंतु स्थिति कंट्रोल में है।
भीड़ को रोकने के लिए सुरक्षा बलों के साथ कारसेवकों का घेरा भी बनाया गया था। उधर छह दिसंबर को सुबह से उत्तेजना बढऩे लगी थी जिसे काबू करने की कोशिश उमा भारती व अन्य नेताओं ने की पर बात बनी नहीं। भीड़ से बचाने के लिए उमा भारती को पुलिस द्वारा बमुश्किल निकाला गया। आंध्र प्रदेश से आए हुए कारसेवकों में गुस्सा अधिक था। सूर्य के अनुसार घटना घट गयी परंतु पूर्व सांसद वेदांती वहां कहीं नहीं थे।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद वेदांती अब क्यूं ऐसा बयान दे रहे है, यह समझ से परे है? उन्होंने कहा, यह पहला मौका नहीं है। वेदांती अक्सर ऐसे बयान देकर खुद को चर्चा में बनाए रखते हैं। इससे पहले वेदांती ने तीन हजार लोगों की घर वापसी कराने का एलान भी किया था परंतु पूछे जाने पर तीन लोगों के नाम भी नहीं बता सके थे।
राजनाथ सिंह के इस बयान के बाद न्यास के सदस्य डॉ रामविलास वेदांती काफी आक्रोश में हैं। उन्होंने कहा कि यह कैसा सूर्य है जिसे दिन में भी नहीं दिखाई पड़ता । उन्होंने कहा कि दरअसल राजनाथ सिंह को आजकल भाजपा में कोई घास नहीं डाल रहा है इस लिए खुद को चर्चा में रहने के लिए वह ऊलजूलूल बयान दे रहा है।
वेदांती ने कहा कि उस दिन ही नहीं बल्कि उससे कई दिन पहले से लेकर बाद तक हर व्यक्ति ने मुझे अयोध्या में पाया है। छह दिसम्बर की समग्र घटना में मै नेतृत्वकर्ता के रूप में था। हजारो गवाहियों के बाद यदि मुझे इसमें अभियुक्त बनाया गया तो जाहिर है कि मै इस तोड़फोड़ में मुख्य कर्ताधर्ता के रूप में था।
होड़ लेने की नयी राजनीति के नए समीकरण
यह सचाई है कि वेदांती उस दिन अयोध्या में ही थे। यह इस मुकदमे के सभी गवाहों ने भी कहा है। यही कारण है कि इस मामले में अदालत ने कुल 21 लोगो को दोषी पाया। उनमें से आठ लोग अब इस दुनिया में नहीं रहे। जो 13 लोग बचे हैं उनमे लालकृष्ण आडवाणी , मुरलीमनोहर जोशी , उमा भारती , साध्वी ऋतम्भरा , कल्याण सिंह और डॉ. रामविलास वेदांती भी शामिल हैं। इसी को लेकर वेदांती ने अयोध्या में प्रेस से बात की थी। इस मामले में अचानक राजनाथ सिंह सूर्य का आना कहीं न कही किसी नए समीकरण की तरफ इशारा करता है। क्योकि राजनाथ सिंह सूर्य समीकरण के लिए भी जाने जाते हैं।