NSG बैठक: चीन के बदलते रुख के बीच गांठ बांधने एस. जयशंकर सियोल रवाना

Update: 2016-06-22 11:13 GMT

नई दिल्ली: एनएसजी में भारत की सदस्यता को लेकर उहापोह जारी है। इस मुद्दे पर चीन लगातार अपने बयान बदल रहा है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने इस मुद्दे पर कहा, 'सैद्धांतिक तौर पर एनएसजी में भारत को शामिल किए जाने को लेकर आपत्ति नहीं है। लेकिन नियम-कानून को दरकिनार कैसे किया जा सकता है।'

चीन का कहना है, कि एनएसजी में शामिल होने के लिए अगर एनपीटी पर हस्ताक्षर करना जरूरी है, तो भारत को कैसे छूट दी जा सकती है। अगर एनपीटी के बगैर भारत को एनएसजी में दाखिला मिलता है, तो पाकिस्तान को क्यों नहीं। इस सबके बीच विदेश सचिव एस. जयशंकर गुरुवार से शुरू हो रही एनएसजी की महत्त्वपूर्ण बैठक से पहले भारत के सदस्यता प्रयासों को मजबूत करने के लिए सियोल रवाना हो गए है।

भारत की नजर इन बिंदुओं पर

-भारत की नजर दो अहम बिंदुओं पर टिकी है।

-चीन के बदलते बयानों के बाद अमेरिका का रुख क्या होता है।

-साथ ही ताशकंद में पीएम मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच बैठक महत्वपूर्ण होनी है।

कई देश दे रहे बीच के रास्ते का सुझाव

-जानकारों का मानना है कि चीन के इस रवैये के बाद कई देश बीच के रास्ते का सुझाव दे रहे हैं।

-लेकिन भारत किसी बीच के रास्ते से बचने की कोशिश कर रहा है।

-कुछ देशों को लगता है कि अगर किसी तरह की अड़चन आती है तो एनएसजी में भारत की सदस्यता का मामला कई वर्षों के लिए टल जाएगा।

-हालांकि इन सबके बीच भारत अपनी कानूनी प्रतिबद्धताओं, ऊर्जा की जरूरतों का हवाला देकर नए नियम कानून पर जोर दे सकता है।

-एनएसजी के सदस्यों में गैर एनपीटी सदस्यों को शामिल करने पर राय बंटी हुई है।

चीन जैसी बात कर रहा तुर्की

-चीन की ही तरह तुर्की का कहना है कि वो भारत की दावेदारी का विरोध नहीं कर रहा।

-बल्कि भारत और पाकिस्तान दोनों को एक तराजू में तौलने की जरूरत है।

-चीन के साथ ही तुर्की, दक्षिण अफ्रीका, आयरलैंड और न्यूजीलैंड एनएसजी में भारत के प्रवेश के पक्ष में नहीं हैं।

 

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