नई दिल्ली: देश में इसी साल 1 जुलाई से लागू हुए गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) के बाद क्या अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाला बुरा असर खत्म हो गया? या मौजूदा तिमाही में भी जीएसटी का 'नकारात्मक' असर फैक्ट्री आउटपुट पर पड़ रहा है? इन सवालों का जवाब गुरुवार (30 नवंबर) को केंद्र सरकार की ओर से जारी वित्त वर्ष 2017-18 की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में जीडीपी ग्रोथ रेट 6.3 फीसदी रहा। जीडीपी के इन आंकड़ों से केन्द्र सरकार को राहत पहुंची है।क्योंकि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी विकास दर करीब 5.7 फीसदी रही थी।
बता दें, कि वित्त वर्ष की पहली तिमाही में विकास दर के आंकड़े 13 तिमाही के निचले स्तर पर पहुंच गए थे। इसके लिए आर्थिक विश्लेषकों ने नवंबर 2016 में नोटबंदी सहित बड़े आर्थिक उलटफेर को जिम्मेदार ठहराया था। उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, मौजूदा वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 31.66 लाख करोड़ अनुमानित है, जबकि पिछले वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही के दौरान यह 29.79 लाख करोड़ थी।
ऐसे निकलता है जीडीपी ग्रोथ रेट
ज्ञात हो, कि सामानों पर लगने वाले नेट टैक्स को जीवीए में जोड़कर जीडीपी निकाला जाता है। उत्पादों पर नेट टैक्स में से सब्सिडी को हटाकर जो आंकड़ा प्राप्त होता है, वह यहां नेट टैक्स है। अप्रत्यक्ष कर संबंधी अनिश्चितता की वजह से अधिकतर विश्लेषक अब जीवीए को ग्रोथ का सही आईना मान रहे हैं। व्यावसायिक ग्रोथ में रिकवरी और खपत बढ़ने की वजह से सितंबर तिमाही में जीडीपी ग्रोथ में रिकवरी की बात कही जा रही थी।