HC: गोधरा कांड में किसी को फांसी नहीं, 11 दोषियों की सजा उम्रकैद में बदली

Update: 2017-10-09 05:35 GMT
फ़ाइल फोटो

गांधीनगर: वर्ष 2002 में गुजरात के गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस के डिब्बे जलाने के मामले में एसआईटी की विशेष अदालत की ओर से फैसले को चुनौती देने वाली अपीलों पर सुनवाई करते हुए आज (09 सितंबर) गुजरात हाईकोर्ट ने किसी को फांसी नहीं देते हुए 11 दोषियों की सजा को उम्रकैद में बदला है।

हाईकोर्ट ने दिए इस बड़े फैसले में 20 दोषियों को मिली उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा है। हाईकोर्ट ने कहा, दंगे के दौरान कानून-व्यवस्था बनाए रखने में राज्य सरकार नाकामयाब रही।

गौरतलब है, कि साबरमती एक्सप्रेस के एस-6 डिब्बे को 27 फरवरी 2002 को गोधरा स्टेशन पर आग के हवाले कर दिया गया था। इसके बाद पूरे गुजरात में दंगे भड़क गए थे। इस डिब्बे में 59 कारसेवक सवार थे, जो अयोध्या से लौट रहे थे।

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एसआईटी की विशेष अदालत ने सुनाई थी सजा

वहीं, इस मामले में एसआईटी की विशेष अदालत ने एक मार्च 2011 को 31 लोगों को दोषी करार दिया था। 63 लोगों को बरी कर दिया गया था। जबकि 11 दोषियों को मौत की सजा सुनाई गई थी। 20 को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। बाद में हाईकोर्ट में कई अपीलें दायर कर इस फैसले को चुनौती दी गई थी।जबकि राज्य सरकार ने 63 लोगों को बरी किए जाने को चुनौती दी है।

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विशेष अदालत ने मानी थी ये दलील

सुनवाई के दौरान विशेष अदालत ने अभियोजन की उन दलीलों को मानते हुए 31 लोगों को दोषी करार दिया था, कि घटना के पीछे साजिश थी। दोषियों को हत्या, हत्या के प्रयास और आपराधिक साजिश की धाराओं के तहत कसूरवार ठहराया गया।

नानावती आयोग ने बताया था साजिश

इस हत्याकांड की जांच के लिए गुजरात सरकार की ओर गठित नानावती आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा था, कि 'साबरमती एक्सप्रेस के कोच में लगी आग कोई हादसा नहीं थी। उन्होंने इसे साजिश बताया था।

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