अंशुमान तिवारी
अहमदाबाद: गुजरात विधानसभा चुनाव में इस बार कांग्रेस ने तीन युवा नेताओं की मदद से बीजेपी को सत्ता से बेदखल करने का सपना देखा था। इन तीन युवा नेताओं पाटीदार नेता हार्दिक पटेल, ओबीसी नेता जिग्नेश मेवाणी और दलित नेता अल्पेश ठाकोर ने कांग्रेस के पक्ष में माहौल बनाने के लिए भरपूर कोशिश की, मगर वे बीजेपी को पटखनी देने में कामयाब नहीं हो सके। बीजेपी ने पीएम नरेंद्र मोदी के जोरदार प्रचार और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह की धारदार रणनीति की बदौलत एक फंसा हुआ चुनाव फिर जीत लिया।
गुजरात के तीनों युवा नेताओं की मदद के बावजूद इस बार भी कांग्रेस सत्ता से दूर ही रहेगी। कांग्रेस ने इस बार जातीय समीकरण पर खासा ध्यान दिया था और क्षत्रिय-ओबीसी, दलित, आदिवासी और पाटीदार जातियों का समर्थन पाने की भरपूर कोशिश की थी मगर कांग्रेस का यह प्रयास कामयाब नहीं हो सका। पाटीदारों के असर वाली सीटों पर भी भाजपा ने कांग्रेस से अच्छा प्रदर्शन किया। हालांकि, ठाकोर व मेवाणी चुनाव जीतने में कामयाब हो गए मगर वे कांग्रेस को अपेक्षित सफलता नहीं दिला सके। हार्दिक ने उम्र पूरी न होने के कारण चुनाव ही नहीं लड़ा था।
हार्दिक ने भीड़ तो जुटाई मगर वोट नहीं
हार्दिक पटेल, ठाकोर और दलित नेता मेवाणी ने खुले तौर पर बीजेपी को वोट न देने की अपील की थी। अल्पेश ठाकोर तो कांग्रेस के प्रत्याशी भी थे। जिग्नेश निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में हैं और कांग्रेस ने उनके खिलाफ अपना उम्मीदवार नहीं खड़ा किया। हार्दिक ने कांग्रेस के पक्ष में माहौल बनाने के लिए कई बड़ी रैलियां की थीं। उनकी रैलियों में भारी भीड़ उमड़ी, जिससे कांग्रेस काफी उत्साहित हुई थी। कांग्रेस को लगा कि हार्दिक के सहारे मोदी को चुनौती दी जा सकती है। हार्दिक ने मोदी की बातों का जोरदार ढंग से जवाब भी दिया, मगर यह समर्थन वोटों में उस हिसाब से तब्दील नहीं हो सका कि कांग्रेस मजबूती से बीजेपी को जवाब दे सके।
बीजेपी की लगातार गिरी सीटें
गुजरात विधानसभा में कुल 182 सीटें हैं। वर्ष 2002 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी को 127 और कांग्रेस को 51 सीटें मिलीं। ये अब तक हुए चुनावों में बीजेपी का सबसे अच्छा प्रदर्शन था। 2007 में विधानसभा में बीजेपी को 117 और कांग्रेस को 59 सीटें मिलीं। 2012 में भी बीजेपी की ही सरकार बनी। इस बार भी बीजेपी की सीटें कम हुईं और कांग्रेस की सीटें बढ़ गईं। 2012 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 115 और कांग्रेस को 61 सीटें मिलीं यानी बीजेपी की 2 सीटें घट गईं और कांग्रेस की 2 सीटें बढ़ गईं।