अवैध खनन छिपाने पर अदालत सख्त, पूछा- बिना जांच के दोषियों को कैसे दे दी क्लीनचिट?
लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने अम्बेडकर नगर जिले में बालू के अवैध खनन को छिपाने पर मंगलवार (4 अप्रैल) को सख्त ऐतराज जताया। कोर्ट ने जिलाधिकारी को व्यक्तिगत हलफनामा पेश कर 11 अप्रैल को स्पष्टीकरण देने का आदेश दिया है।
वहीं, अवैध खनन को छिपाने संबधी रिपोर्ट तैयार करने पर जिले के तीन आला अफसरों को स्पष्टीकरण के साथ तलब किया है। ये अफसर आलापुर तहसीलदार राजकुमार, डिप्टी जिलाधिकारी पंकज कुमार श्रीवास्तव और शालिनी प्रभाकर हैं।
डीएम से मांगी रिपोर्ट
इस मामले में कोर्ट ने जिलाधिकारी को पूरे मामले की जांच कर रिपोर्ट देने और अवैध खनन को छिपाने वाले अफसरों के खिलाफ कार्यवाही के आदेश भी दिए हैं। कोर्ट ने कहा, कि यदि जिलाधिकारी कार्यवाही नहीं करते हैं तो प्रमुख सचिव, भूगर्भ एवं खनन विभाग से आदेश का अनुपालन कराया जाएगा।
यह आदेश जस्टिस एपी साही और जस्टिस संजय हरकौली की बेंच ने ज्ञानेंद्र सिंह की ओर से दायर याचिका पर दिया है।
याची ने लगाई थी अखबार की कतरनें
याचिका में अखबार की कटिंग और दिनदहाड़े अवैध खनन के लिए इकठ्ठा किए गए जेसीबी मशीनों, ट्रकों और ट्रैक्टर ट्रॉलियों के मूल फोटोग्राफ्स लगाकर अम्बेडकर नगर जिले में बालू के अवैध खनन होने का मुददा उठाया गया था। मांग की गई थी कि उस पर तत्काल रोक लगनी चाहिए।
कोर्ट का रुख सख्त
कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद सरकारी वकील ने जिले के एएसडीएम विनय कुमार गुप्ता का हलफनामा लगाकर कहा, कि अवैध खनन नहीं हो रही थी। जिस पर कोर्ट ने कहा कि अधिकारियों की ओर से गत 26 मार्च की रात में छापेमारी के दौरान अवैध खनन की न होता पाए जाने की रिपोर्ट दी गई है। जबकि याचिका के साथ संलग्न फोटोग्राफ्स 21 और 22 मार्च से पहले के लगाए गए थे, क्योंकि याचिका ही 21 मार्च को दाखिल की गई थी। इससे स्पष्ट पता चलता है कि उस आरोप की जांच ही नहीं की गई और अवैध खनन करने वालों को क्लीनचिट दे दी गई।