शिमला: हिमाचल प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) बड़ी जीत दर्ज की है। यहां चुनाव से पहले ही बीजेपी हाईकमान ने प्रेम कुमार धूमल को सीएम पद का उम्मीदवार घोषित किया था। लेकिन धूमल की हार के बाद अब सीएम पद को लेकर बीजेपी की पेंच फंसी दिख रही है।
धूमल की हार के बाद से बीजेपी में मंथन का दौर शुरू हो गया है। नेतृत्व की पसंद के तौर पर जेपी नड्डा का नाम भी सामने आ रहा है। ऐसा नहीं है कि बीजेपी के सामने ये मुश्किलें चुनाव से पहले नहीं थीं। बिना नाम तय किए चुनाव मैदान में उतरने के कारण ठाकुर बिरादरी से नकारात्मक संदेश मिलने पर ही प्रेम कुमार धूमल के नाम का ऐलान हुआ था।
तब इसलिए नहीं हुई थी नड्डा के नाम की घोषणा
इस बड़ी जीत के बाद भी नेतृत्व के सामने जो मुश्किल है उसे कुछ इस तरह समझा जा सकता है। हिमाचल में ठाकुर बिरादरी के 37 फीसदी तो ब्राह्मण बिरादरी के 17 प्रतिशत वोटर हैं। धूमल जहां ठाकुर बिरादरी से आते हैं वहीं नड्डा ब्राह्मण बिरादरी से। चुनाव के समय पार्टी को धूमल को सीएम कैंडिडेट नहीं बनाए जाने पर ठाकुर बिरादरी के कांग्रेस के पक्ष में एकजुट होने का डर सता रहा था। लेकिन अब उनके चुनाव हारने के बाद पार्टी नेतृत्व के सामने नड्डा की ताजपोशी बेहतर विकल्प लग रहा है।
सीएम पद की रेस में इनके भी नाम
हालांकि, जेपी नड्डा के अलावा सीएम पद की रेस में अजय जम्बाल और जयराम ठाकुर के नाम की भी चर्चा है। अजय जम्बाल संघ के करीब हैं। वो वरिष्ठ प्रचारकों में शामिल हैं। अजय जम्बाल फिलहाल संघ के उत्तर-पूर्वी राज्यों के प्रभारी हैं। वहीं, जयराम ठाकुर पूर्व प्रदेश अध्यक्ष हैं। जयराम को जेपी नड्डा का करीबी भी माना जाता है।
धूमल के हारने की क्या ये है वजह?
पूर्व सीएम प्रेम कुमार धूमल के हमीरपुर की जगह सुजानपुर से चुनाव लड़ने को उनकी हार की वजह माना जा रहा है। खबर तो ये भी है कि यहां धूमल को उनके 'अपने' राजेंद्र राणा के सामने खड़ा करने के पीछे भी नड्डा खेमे की लॉंबिंग ही थी। इसी वजह से धूमल की हार हुई।