सिंधिया नहीं माने तो कमलनाथ सरकार गई, शिवराज होंगे मुख्यमंत्री
अगले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान होंगे। हालाँकि सरकार बचाने की जुगत में जुटी कांग्रेस सिंधिया को पार्टी अध्यक्ष पद देने पर भी विचार कर रही है।परंतु कांग्रेस के डेढ़ दर्जन विधायक इस्तीफ़ा देने के हद तक भाजपा के साथ है। इन्हें ले जाकर दिल्ली में रखा गया है।
लखनऊ। मध्य प्रदेश में कर्नाटक फ़ार्मूला भाजपा के काम आने वाला है। कमलनाथ सरकार (Kamal Nath Government)के एक दो दिन में चले जाने की तैयारी पूरी कर ली गई है। अगले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) होंगे। हालाँकि सरकार बचाने की जुगत में जुटी कांग्रेस सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) को पार्टी अध्यक्ष पद देने पर भी विचार कर रही है। परंतु कांग्रेस के डेढ़ दर्जन विधायक इस्तीफ़ा देने के हद तक भाजपा के साथ है। इन्हें ले जाकर दिल्ली में रखा गया है।
ठीक होली के दिन इन विंधायकों का पत्र राज्यपाल लालजी टंडन को मिल जाने की उम्मीद है। इसके बाद ही हलचल और तेज़ हो जायेगी । पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता शिवराज सिंह चौहान की पार्टी हाईकमान से बात हो गई है। वह भी कल भोपाल पहुँचने वाले है।
मध्यप्रदेश में चल रही हलचलों के बीच विधानसभा सत्र शुरू होने से पहले कमलनाथ सरकार को अविश्वास प्रस्ताव से गुजरना होगा।कमलनाथ और सिंधिया के बीच सरकार बनने के साथ ही जंग शुरू हो गई थी। लेकिन हाई कमान की कोशिशों के चलते यह थम गई।
राज्यसभा चुनाव को लेकर शुरू हुआ बवाल
हालाँकि कमलनाथ को पार्टी अध्यक्ष पद छोड़ना पड़ा था। लेकिन लड़ाई कल यानि रविवार को फिर से तब बेहद तेज हो गई जब कमलनाथ ने साफ़ कहा कि सिंधिया को वह राज्यसभा नहीं भेज पायेंगें । सोनिया ने कमलनाथ की बात मानी। कमलनाथ दिग्विजय सिंह और दीपक सक्सेना को राज्यसभा भेजना चाहते हैं।
ग़ौरतलब है कि मध्यप्रदेश से तीन लोग राज्यसभा जा सकते है। यदि यह टूटने नहीं होती तब चार और विधायकों का जुगाड़ करके कांग्रेस के दो लोग जीत सकते थे। पहले कांग्रेस चाहती थी कि सिंधिंया और दीपक सक्सेना राज्यसभा चले जायें। इसमें सक्सेना कमलनाथ कोटे के हैं।
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सरकार बनाते समय कांग्रेस के पास अपने ११५, दो बसपा, एक सपा और ४ निर्दलीय थे। कांग्रेस के एक विधायक का देहांत हो गया । कांग्रेस के ११४ रह गये अपने। सात मिला कर १२१ हो रहे थे। भाजपा के पास १०६ अभी है। १०७ थे। एक का देहांत हो गया। आगर और जौरा मुहाना दो सीटें ख़ाली है। २३० की विधानसभा है।
सिंधिया की ताकत
सिंधिंया के पास २० विधायक है। ये खुद के कांग्रेस के ही हैं। सिंधियां की कोशिश एक तिहाई का कोरम पूरा करने की है। इसलिए वह हाथ पैर मार रहे हैं।अब बीस टूटेंगे। सिंधिया भाजपा में विलय नहीं कर रहे हैं। अपने पिता की विकास कांग्रेस को जीवित कर रहे हैं। इसी पार्टी का एनडीए में विलय करेंगें। केंद्र में मंत्री बनना तय है। इनकी कोशिश अपने आदमी को उप मुख्यमंत्री बनाने की है। पर भाजपा अच्छा विभाग देने पर सहमत हैं। सूत्रों की मानें तो भाजपा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया की मुलाक़ात भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हो गई है। सिंधिया ने इस बीच सचिन पायलट से अभी मुलाक़ात की है।
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