सहारनपुर: सरजमीन-ए-आलम की सबसे मुकद्दस जगह काबतुल्लाह शरीफ के इमाम डॉ. सालेह बिन मोहम्मद बिन इब्राहीम अल तालिब मंगलवार को दारुल उलूम देवबंद पहुंचे। यहां उन्होंने इस्लाम को पूरी दुनिया के लिए अमन का पैगाम बताया। उन्होंने कहा- दहशतगर्दी का इस्लाम से कोई संबंध नहीं हो सकता। साजिश के तहत इस्लाम को आतंकवाद से जोड़ा जा रहा है। उन्होंने दारुल उलूम और देवबंदी उलेमा को अदल पसंद करार देते हुए मदरसा छात्रों से अकाबिरों के नक्शे कदम पर चलने का आह्वान किया।
उन्होंने अपना पूरा संबोधन अरबी भाषा में दिया, जिसे उर्दू और हिंदी में अनुवाद किया जा रहा था। भारत माता की जय बोलने संबंधी विवाद पर उन्होंने कुछ नहीं कहा। वह मीडिया से पूरी तरह से दूर ही रहे।
-मैं अरब की सरजमीन से हिंदुस्तान के लिए अमन का पैगाम लेकर आया हूं।
-दहशतगर्दी दुनिया की शांति के लिए नासूर है। इसके खिलाफ सभी मुल्कों को एकजुट होकर खड़ा होना होगा।
-दहशतगर्दी करने वाला कभी मुसलमान नहीं हो सकता।
-मदरसों में रहकर इस्लाम की तालीम लेने वालों की जिम्मेदारी है कि वह इस्लाम के प्रचार प्रसार में अपनी अहम भूमिका निभाएं।
-जब-जब दुनिया में इस्लाम विरोधी ताकतों ने सर उठाया है तब-तब दारुल उलूम और यहां के उलेमा ने उसका डट कर मुकाबला किया।