इलाहाबाद/वाराणसी: मौनी अमावस्या पर आज इलाहाबाद के संगम तट पर एक करोड़ श्रद्धालुओं ने डुबकी लगाई। 3 साल बाद इस बार सोमवती और मौनी दोनों अमावस्या का विशेष संयोग बना संगम तट पर एक महीने तक चलने वाले माघ स्नान पर्व का सबसे बड़ा दिन है मौनी अमावस्या। यहां सूर्य और चंद्रमा दोनों की आराधना के साथ श्रद्धालु स्नान करते है। इधर श्रद्धालुओं ने इस मौके पर वाराणसी के गंगा में स्नान कर दान पुण्य कर मनोवांछित फल की कामना की। जो भक्त इलाहाबाद के प्रयाग में स्नान नहीं कर पाते वो वाराणसी के घाटों पर स्नान किया। दोनों ही जगह स्नान का बराबर पुण्य मिलता है।
नीचे की स्लाइड्स में देखिए संगम तट में स्नान करते श्रद्धालु की फोटोज...
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धार्मिक मान्यता
आज के दिन सूर्य और चंद्रमा एक ही राशि में होते है, जिसके कारण इस दिन मौन रहकर संगम में डुबकी लगाने से सौ अश्वमेध यज्ञों का फल मिलता है | लोग सुबह से ही मौन व्रत धारण कर त्रिवेणी की पावन धारा में स्नान कर पूजा अर्चना और दान करते है। सूर्य के उत्तरायण होने की वजह से यह दिन ध्यान और साधना के लिए अधिक उत्तम माना जाता है | सूर्य के साथ मन का प्रतीक चंद्रमा भी आज के दिन मकर राशि में होता है, जिसकी वजह से इसे सूर्य और चन्द्र दोनों की उपासना का पर्व कहा जाता है। लोगअपने अपने गुरु मंत्र का जाप करते हुए त्रिवेणी में स्नान करते हैं, और मनोकामना की पूर्ति के लिए तिल जैसी काली वस्तुओं का दान करते है ।
इस दिन मनु ऋषि का जन्म भी माना जाता है। इसलिए भी इस अमावस्या को मौनी अमावस्या कहा जाता हैं। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन दान-पुण्य का कई गुना अधिक फल मिलता है। यदि कोई व्यक्ति पवित्र सरोवर या नदी में स्नान नहीं कर सकता है तो घर पर ही स्नानादि कर साधना कर सकता है। व्यक्ति को इस दिन झूठ नहीं बोलने, छल-कपट नहीं करने का संकल्प लेना चाहिए।
नीचे की स्लाइड्स में देखिए वाराणसी में स्नान करते श्रद्धालु की फोटोज...
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