नई दिल्ली: # MeToo अभियान के तहत 20 महिलाओं के साथ यौन शोषण के आरोपों में घिरे पूर्व केन्द्रीय मंत्री एमजे अकबर बृहस्पतिवार को पटियाला हाउस कोर्ट पहुंचे। वे आज यहां पर मानहानि के आपराधिक केस की सुनवाई के लिए कोर्ट के सामने पेश हुए थे। उन्होंने यौन शोषण का आरोप लगाने वाली महिला पत्रकार प्रिया रमानी के खिलाफ मानहानि का आपराधिक केस दर्ज करा रखा है।
कोर्ट ने इस केस में सुनवाई करते हुए अगली सुनवाई के लिए 31 अक्टूबर की तारीख निर्धारित की है। बताया जा रहा है कि उसी दिन पूर्व विदेश राज्यमंत्री अपना बयान कोर्ट के सामने दर्ज करा सकते है। अकबर के वकील संदीप कपूर के अनुसार अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट समर विशाल इस निजी आपराधिक मानहानि मामले की सुनवाई करेंगे।
क्या है ये पूरा मामला
गौरतलब है कि महिला पत्रकार प्रिया रमानी ने केन्द्रीय मंत्री एमजे अकबर पर यौन शोषण का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि जब वे 2007 में 18 साल की थी और ‘द एशियन एज’ में इंटर्नशिप कर रही थी तो अकबर ने उनके साथ गलत व्यवहार किया था। वे अपने पैरेंट्स के जरिये अकबर से 1990 में मिली थी। उस वक्त अकबर फॉरेन कॉरेस्पोंडेंट के रूप में दिल्ली में सेवारत थे।
प्रिया रमानी के समर्थन में 20 महिला पत्रकार और सामने आई हैं। ये सभी पत्रकार ‘द एशियन एज’ अखबार में काम कर चुकीं हैं। अकबर की ओर से रमानी को मानहानि का नोटिस भेजे जाने पर इन महिला पत्रकारों ने एक संयुक्त बयान में रमानी का समर्थन करने की बात कही और अदालत से आग्रह किया कि अकबर के खिलाफ उन्हें भी सुना जाए।
केन्द्रीय मंत्री के पद से देना पड़ा इस्तीफा
मी टू’ अभियान में 20 महिला पत्रकारों के सेक्शुअल हैरसमेंट के आरोपों से घिरे विदेश राज्यमंत्री एमजे अकबर ने इस्तीफा दे दिया है। अकबर ने विदेश दौरे से लौटने के बाद ये कदम उठाया था। उन्होंने प्रिंसिपल सेक्रेटरी को ईमेल भेजकर अपना इस्तीफा दिया था।
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रमानी अपनी लड़ाई में अकेली नहीं है
इन महिला पत्रकारों ने दावा किया है कि उनमें से कुछ का अकबर ने यौन उत्पीड़न किया और अन्य इसकी गवाह हैं। जिसके लिए इन्होंने एक बयान पत्र पर बकायदा हस्ताक्षर भी किये हैं। पत्रकारों ने अपने हस्ताक्षर वाले संयुक्त बयान में कहा, ‘रमानी अपनी लड़ाई में अकेली नहीं है। हम मानहानि के मामले में सुनवाई कर रही माननीय अदालत से आग्रह करते हैं कि याचिकाकर्ता के हाथों हममें से कुछ के यौन उत्पीड़न को लेकर और अन्य हस्ताक्षरकर्ताओं की गवाही पर विचार किया जाए जो इस उत्पीड़न की गवाह हैं।’
समर्थन करने वालों में इन महिलाओें के नाम
बयान पर दस्तखत करने वालों में मीनल बघेल, मनीषा पांडेय, तुषिता पटेल, कणिका गहलोत, सुपर्णा शर्मा, रमोला तलवार बादाम, होइहनु हौजेल, आयशा खान, कुशलरानी गुलाब, कनीजा गजारी, मालविका बनर्जी, ए टी जयंती, हामिदा पार्कर, जोनाली बुरागोहैन, मीनाक्षी कुमार, सुजाता दत्ता सचदेवा, रेशमी चक्रवाती, किरण मनराल और संजरी चटर्जी शामिल हैं।
अकबर के आपराधिक मानहानि का नोटिस भेजने के कुछ घंटे बाद ही रमानी ने कहा था कि ‘सत्य और पूर्ण सत्य ही उनका इसके खिलाफ एकमात्र डिफेंस है। मैं इस बात से बेहद दुखी हूं कि केंद्रीय मंत्री ने कई महिलाओं द्वारा लगाए गए आरोपों को राजनीतिक षडयंत्र बताते हुए खारिज कर दिया।
मेरे खिलाफ आपराधिक मानहानि का मामला बनाकर अकबर ने अपना स्टैंड साफ कर दिया है। अपने खिलाफ कई महिलाओं द्वारा लगाए गए गंभीर अपराधों पर सफाई देने की बजाए वह उनको धमकाकर और प्रताड़ित कर चुप कराने की कोशिश करते दिख रहे हैं।’
कौन हैं एम जे अकबर
गौरतलब है कि मीटू के आरोपों के बाद प्रकाश में आये एम जे अकबर दैनिक अखबार ‘द टेलीग्राफ’ और पत्रिका ‘संडे’ के संस्थापक संपादक रहे| 1989 में राजनीति में आने से पहले मीडिया में एक बड़ी हस्ती के रूप में जाने जाते थे। उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा था और सांसद बने थे। अकबर 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी में शामिल हुए थे। मध्य प्रदेश से राज्यसभा सदस्य अकबर जुलाई 2016 से विदेश राज्य मंत्री हैं।
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