नई दिल्ली: मोदी सरकार ने अल्पसंख्यकों को करीब लाने के लिए बड़ा फैसला किया है। केंद्र सरकार आज से एक ऐसी पंचायत शुरू करने जा रही है जिसमें मुस्लिम सहित दूसरे अल्पसंख्यक समुदाय के लोग हिस्सा लेंगे। मोदी सरकार ने इस पंचायत का नाम 'प्रोग्रेस पंचायत' दिया है। ध्यान देने योग्य बात ये है कि यूपी चुनाव से पहले मोदी सरकार के इस कदम को उसके अल्पसंख्यक कार्ड के तौर पर देखा जा सकता है।
जानें प्रोग्रेस पंचायत के बारे में
-पहली पंचायत हरियाणा के मेवात में होगी।
-दूसरी पंचायत छह अक्टूबर को राजस्थान के अलवर में होगी।
-बताया जा रहा है कि अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी भी इन पंचायतों में हिस्सा लेंगे।
-इन पंचायतों का आयोजन देशभर में होगा।
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कांग्रेस ने पूछा-पंचायत का क्या मतलब
-मोदी सरकार के इस कदम पर कांग्रेस का कहना है कि प्रोग्रेस पंचायत का मतलब क्या है?
-कांग्रेस प्रवक्ता मीम अफजल ने कहा, 'इसका मतलब मोदी सरकार ने ये मान लिया कि मुसलमानों की प्रोग्रेस नहीं हुई।'
-उन्होंने कहा, पिछले ढाई साल से जब बीजेपी के एक दर्जन नेता मुसलमानों को निशाने पर ले रहे थे, उसके बाद आज पीएम मोदी को ये ख़याल आया है।
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केरल में पीएम ने किया था इशारा
-गौरतलब है कि तीन दिन पहले ही केरल में अपने संबोधन में पीएम मोदी ने मुसलमानों को 'वोट की मंडी' बनाने वालों को फटकारा था।
उन्होंने मुसलमानों को 'अपना' बताया था।
-पीएम ने दीनदयाल उपाध्याय की बातों को दोहराते हुए कहा था, 'न मुसलमानों को पुरस्कृत करें, न तिरस्कृत करें, बल्कि उन्हें परिष्कृत करें। मुसलमान वोट की मंडी का माल नहीं हैं। उन्हें अपना समझें।'
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