गांधीनगर : गुजरात में विधानसभा चुनाव का शोर थम चुका है। सभी महारथी अपने खेमों में लौट चुके हैं। गुरुवार को अंतिम चरण की वोटिंग होनी है। बीजेपी और कांग्रेस के रणनीतिकार अब आगे के प्लान को लेकर मंथन में जुटे हुए हैं। कांग्रेस के नवनियुक्त अध्यक्ष राहुल गांधी और पीएम नरेंद्र मोदी ने राज्य में जमकर प्रचार किया। विकास के नाम से शुरू हुए विषबाण पाकिस्तान तक जा पहुचें। हमले और जवाबी हमलों ने नेताओं की काफी फजीहत भी कराई। लेकिन राहुल और मोदी मैदान में डटें रहे। दोनों नेताओं में अधिक से अधिक रैलियों की होड़ भी देखने को मिली।
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पीएम नरेंद्र मोदी 25 अक्टूबर को चुनावी दंगल में उतरे और उन्होंने 34 रैलियां की। जबकि राहुल गांधी ने 30 रैलियों को संबोधित किया। ये पहला चुनाव रहा जिसमें राहुल ने तूफानी दौरे किए। उन्होंने रैलियों के साथ ही छोटी सभाओं और जनसंवाद कार्यक्रम में भी शिरकत की। इसके साथ ही राहुल ने 12 मंदिरों में माथा भी टेका।
पहले बात करते हैं मोदी की रैलियों की
पीएम ने भुज से अपनी रैलियों का आरंभ किया। अंतिम पड़ाव रहा पाटन। वैसे तो भुज से पाटन के बीच 297.0 किमी की दूरी है। जिसे बाई रोड 5 घंटे 18 मिनट में तय किया जा सकता है। लेकिन पीएम ने इस दूरी को तय करने में 10 दिन लगा दिए।
27 नवंबर को भुज, जसदण, धारी, ओलापाड, 29 नवंबर को मोरबी, सोमनाथ, पलिताना, नवसारी, 3 दिसंबर को भरूच, सुरेंद्रनगर, राजकोट, 4 दिसंबर को धरमपुर, भावनगर, जूनागढ़, जामनगर, 6 दिसंबर को धंधुका, दाहोद, नेत्रनाग, 7 दिसंबर को सूरत, 8 दिसंबर को वाव, कलोल, हिम्मतनगर, निकोल, 9 दिसंबर को लूनवाद, बोडेली, आणंद, मेहसाणा, 10 दिसंबर को पालनपुर, साणंद, कालोल, वडोदरा, 11 दिसंबर को पाटन, नडियाद, कर्णावती
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अब बात करते हैं राहुल गांधी की रैलियों की
ये चुनाव राहुल गांधी के लिए काफी खास है। जब उन्होंने राज्य में चुनाव प्रचार आरंभ किया तो वो पार्टी उपाध्यक्ष थे और प्रचार थमने तक वो पार्टी सुप्रीमो बन चुके हैं। राहुल ने वलसाड अपनी रैलियों को आरंभ किया। अंतिम पड़ाव रहा गांधीनगर। वैसे तो वलसाड से गांधीनगर की दूरी 357.4 किमी है। जिसे बाई रोड 5 घंटे 56 मिनट में तय किया जा सकता है। लेकिन राहुल को इस सफर को तय करने में उन्हें 14 दिन लग गए।
2 नवंबर को वलसाड, 3 नवंबर को वराछा (सूरत), 11 नवंबर को खेडाब्रह्मा (साबरकांठा), 12 नवंबर को पालनपुर (बनासकांठा), पाटन, 13 नवंबर को विसनगर (मेहसाना), वराना (पाटन), 24 नवंबर को अहमदाबाद, 25 नवंबर को दाहोद, 29 नवंबर को अमरेली, 30 नवंबर को भावनगर, 5 दिसंबर को अंजार (कच्छ), मोरबी, ध्रंगध्रा (सुरेन्द्र नगर), वाधवान (सुरेन्द्रनगर), 8 दिसंबर को जेतपुर, रानेसर (अहमदाबाद), आणंद, 9 दिसंबर को हरिज (पाटन), कानोदर (बनासकांथा), वडनगर, विजापुर (मेहसाणा), 10 दिसंबर को खेड़ा, अरवली, देवधर (बनासकांठा, कलोल (गांधीनगर), 11 दिसंबर को बनासकांठा, विरामगाम, सावली (वडोदरा), गांधीनगर
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सामने आए शिवभक्त जनेऊधारी राहुल
गुजरात चुनाव में राहुल गांधी ने जहां उपाध्यक्ष से अध्यक्ष का सफर तय किया। वहीँ वो शिवभक्त जनेऊधारी राहुल के तौर पर भी स्थापित हो चुके हैं। उनके गले में रुद्राक्ष की माला भी देखी गई। वैसे तो धर्म को मानना या नहीं मानना बेहद निजी विषय है। लेकिन इस चुनाव प्रचार में ये भी बड़ा मुद्दा बना। जिसकी चर्चा देश और विदेश में भी हुई। बहरहाल मुद्दे पर वापस आते हैं। राहुल ने इस दौरान 12 मंदिरों में माथा टेका। ये वो मंदिर हैं जहां करोड़ों गुजरातियों की भावनाओं का जुडाव है। बीजेपी को लगा की राहुल की इस टेम्पल रन से उसे वोट का नुकसान हो सकता है तो उसके नेताओं ने राहुल को अपने निशाने पर ले लिया इसके बाद कांग्रेस ने साफ़ किया कि शिवभक्त जनेऊधारी हैं राहुल।
इन मंदिरों में राहुल ने टेका माथा
2 नवंबर को राहुल ने नवसारी के उनाई माता मंदिर से अपने टेम्पल रन का आगाज किया इसके बाद तो 11 नवंबर को अम्बाजी मंदिर, बनासकांठा 12 नवंबर को वाडीनाथ मंदिर, थारा (बनासकांथा) 13 नवंबर को वीर मेघमाया मंदिर (पाटन), शंकेश्वर जैन मंदिर (पाटन), बहुचराजी मंदिर (मेहसाणा) 29 नवंबर को सोमनाथ मंदिर, 30 नवंबर को गोपीनाथजी मंदिर (बोताद) 8 दिसंबर को मोगल धाम मंदिर (रानेसर) 10 दिसंबर को रांछोडजी मंदिर (खेड़ा), शामलाजी मंदिर (अरावली) 12 दिसंबर को भगवान जगन्नाथजी मंदिर, अहमदाबाद