वीडियो-'क्‍या हक अदा करेगा ज़माना हुसैन का': लखनऊ में मुहर्रम जुलूस, खास अंदाज

Update: 2018-09-21 07:01 GMT

क्‍या हक अदा करेगा ज़माना हुसैन का

अब तक ज़मीन पर कर्ज़ है सजदा हुसैन का

झोली फैलाकर मांग लो मुमीनो

हर दुआ कबूल करेगा दिल हुसैन का

लखनऊ: मुहर्रम के दिन से इस्लामिक नए साल की शुरुआत माना जाता है। नए साल को मुसलमान खुशी नहीं बल्कि दुख के साथ मनाते हैं। मुहर्रम के 10वें दिन खासकर शिया मुसलमान ताजिया निकालकर शोक मनाते हैं। माना जाता है कि आज ही के दिन बादशाह यजीद ने अपनी सत्ता कायम करने के लिए हजरत इमाम हुसैन और उनके परिवार को बेदर्दी से मौत के घाट उतार दिया था इसके पीछे सदियों पुरानी कहानी जिसे आज याद किया जाता है। इस दिन कर्बला की लड़ाई में हजरत मुहम्मद के कई रिश्तेदार मारे गए थे। पूरी दुनिया में शिया मुसलमान इस दिन को गम के साथ मनाता है।जुलूस निकाल कर शिया मुस्लिम आपना गम व्यक्त करतें है।

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इसलिए दुनियाभर के शिया मुसलमान इस दिन उनकी मौत का गम मनाते हैं। मुहर्रम के दिन जुलूस निकाला जाता है। लखनऊ में मुहर्रम के दिन लखनऊ सड़कों पर मुहर्रम मनाने वालों का सैलाब उमड़ पड़ता है।

वीडियो-'क्‍या हक अदा करेगा ज़माना हुसैन का': लखनऊ में मुहर्रम जुलूस, खास अंदाज

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में देश के सबसे ज्यादा शिया मुसलमानों की आबादी है। इसलिए मुहर्रम को बहुत ही खास ढंग से यहां मनाया जाता है। यह जुलूस खास तौर पर लखनऊ के पुराने इलाके से होकर गुजरता है जो मुख्य रूप से छोटा और बड़ा इमामबाड़ा इलाके से निकलता है।

छोटा और बड़ा इमामबाड़ा लखनऊ का प्रसिद्ध पर्यटनदर्शनीय स्थल है यह दो एक दूसरे के पास में स्थित है।

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