CBSE 10th. Result: UP की बेटियों ने बढ़ाया मान, नंदनी और रिमझिम ऑल इंडिया टॉपर
शामली/बिजनाैर/मुजफफरनगर/लखनऊ: केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने मंगलवार (29 मई) को 10वीं के रिजल्ट घोषित कर दिए। परीक्षा परिणामों में प्रदेश की बेटी शामली की नंदिनी गर्ग और बिजनाैर के अारपी स्कूल की रिमझिम अग्रवाल ने 499 अंक प्राप्त कर देश में टॉपरों की लिस्ट में शामिल हुईं।
इनके अलावा एसडी पब्लिक स्कूल मुजफफरनगर के अक्षत वर्मा ने 498 अंक हासिल कर देश में दूसरा स्थान प्राप्त किया। गाजियाबाद की सान्या गांधी ने 489 अंक हासिल किए हैं।
नहीं ली कहीं कोचिंग
बता दें, कि नंदनी शामली की सदर कोतवाली क्षेत्र के मंडी मार्शगंज में रहती हैं। नंदनी के परिवार में उनके माता-पिता, दो भाई और दादा-दादी हैं। नंदनी का परिवार शिक्षित है। इसी वजह से बेटी की शिक्षा पर भी विशेष जोर देती रही है। नंदनी के पिता ने मैकेनिकल इंजीनियरिंग की है और मां गृहणी हैं। नंदनी जिले के स्कॉटिश इंटरनेशनल स्कूल की छात्रा है। नंदनी की इस सफलता पर उसके घर और स्कूल में जश्न का माहौल है। नंदनी की प्रिंसिपल आशु त्यागी ने बताया, 'नंदनी पढ़ने में काफी अच्छी है। वो हमेशा प्रॉपर तरीके से पढ़ाई करती रही है।' नंदनी के पिता ने बताया, कि उनकी बेटी स्कूल से घर जाकर पांच घंटे पढ़ाई करती थी। वह किसी प्रकार की कोचिंग आदि नहीं लेती थी।
सफलता का श्रेय अपने माता-पिता को
इसी तरह, टॉपर रिमझिम अग्रवाल ने भी अपनी इस सफलता का श्रेय अपने माता-पिता को दिया है। बोलीं, इस जगह को हासिल करने के लिए उन्होंने काफी मेहनत की। जब भी उन्हें कोई परेशानी होती, तो उनके अभिभावक सदैव उनके साथ खड़े रहते और समस्या के समाधान में मदद करते। बिजनौर के आरपी पब्लिक स्कूल तेली पाड़ा की छात्रा रिमझिम ने अपनी इस सफलता से बिजनौर ही नहीं देश का भी नाम रोशन किया है। रिमझिम इंजीनियर बनना चाहती हैं।खाली वक्त में इन्हें संगीत और टीवी देखना पसंद है। खेलों में इन्हें बास्केटबॉल में खास रुचि है। रिमझिम के पिता नीरज अग्रवाल दिल्ली में सराफा कारोबारी हैं। इनकी मां अनामिका अग्रवाल गृहणी हैं। एक बड़ा भाई नमन अग्रवाल ने बीटेक किया है। उनकी इस उपलब्धि से पूरे परिवार में खुशी का माहौल है।
नहीं ली बाहरी मदद
अपनी इस सफलता का श्रेय अक्षत वर्मा ने अपने माता-पिता और शिक्षकों को दिया। अक्षत बताते हैं, कि उन्होंने खुद से पढ़ाई कर ये सफलता पायी है। अपनी तैयारी के लिए उन्होंने किसी प्रकार की बाहरी मदद नहीं ली। यहां तक की अन्य छात्रों की तरह ट्यूशन भी नहीं लिया बल्कि खुद पढ़ाई के लिए टाइम टेबल बनाया और उसे फॉलो करते रहे, लेकिन इस दौरान परिवार वालों का हमेशा साथ मिला।