UAE की 700 करोड़ की हेल्प नहीं लेगी मोदी सरकार, वजह मनमोहन हैं

Update:2018-08-22 20:16 IST

नई दिल्ली : इंडिया ने यूएई के उप-राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन राशिद अल मख्तूम की 700 सौ करोड़ जैसी बड़ी मदद लेने से मना कर दिया। इसके बाद बहुतेरे लोग सोशल मीडिया पर सरकार के खिलाफ खड़े होने लगे। आपको बताने के लिए बहुत कुछ है। लेकिन पहले बात करते हैं कि ये मदद मिल क्यों रही थी।

मख्तूम ने अपने ट्विटर से बैक टू बैक मलयाली में तीन ट्वीट किए। इनमें केरल त्रासदी की बात थी। अरब की सफलता की बात थी और केरल के लोगों की भूमिका की बात थी।

ये रहे वो ट्वीट

इसके बाद केरल के मुख्यमंत्री पी. विजयन ने कहा कि मख्तूम ने केरल के पुनर्निमाण के लिए 700 करोड़ रुपए की मदद की पेशकश की है। अपने पीएम नरेंद्र मोदी ने भी मख्तूम का आभार जताया।

जानिए केरल की हेल्प के लिए क्यों सामने आया यूएई

आपको बता दें, केरल की इस समय जनसंख्या लगभग 3 करोड़ है और इसमें से 10% लोग कतर, ओमान, अरब, कुवैत और बहरीन में रहते हैं। जो इन देशों में छोटे से बड़े स्तर पर नौकरी करते हैं। अधिकतर वहां अकेले रहते हैं। जबकि उनका परिवार केरल में ही है। ऐसे में यूएई के उप-राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन राशिद अल मख्तूम ने बड़ा दिल दिखाते हुए मदद के लिए बड़ी रकम देने का न सिर्फ ऐलान किया बल्कि सीएम से बात भी की।

अब दूसरी बात करते हैं, मोदी सरकार नहीं पूर्व पीएम मनमोहन सिंह हैं मदद न लेने की वजह

पढ़ कर हैरानी हुई होगी। तो विस्तार से जानिए मामला। दिसंबर 2004 में तात्कालिक पीएम मनमोहन सिंह ने आपदा संबंधी एक नीति तय की थी और मौजूदा मोदी सरकार उसी नीति पर कायम है।

ये दिसंबर 2004 की बात है जब देश में जानलेवा सुनामी आई थी। जिसमें तमिलनाडु समेत अंडमान-निकोबार में 12000 से ज़्यादा लोग मारे गए थे। 6 लाख बेघर हो गए थे। ये वो दौर था जब देश में सप्रंग सरकार थी और पीएम ने निर्णय लिया कि जब तक देश किसी प्राकृतिक आपदा से खुद निपटने में सक्षम है, तब तक वो किसी भी विदेशी सरकार की मदद नहीं लेगा।

मनमोहन के निर्णय से ये साफ़ था कि दुनिया को ये पता चले की हम किसी भी आपदा से निपटने में सक्षम हैं, यदि हम किसी देश की हेल्प लेते हैं तो हमें सभी से मदद लेनी पड़ेगी और एक बार मदद लेने के बाद बाकी देशों को मना करना कूटनीतिक रूप से देश के लिए अच्छा नहीं होगा।

मनमोहन सिंह के इस निर्णय के बाद 2005 में कश्मीर भूकंप, 2013 उत्तराखंड बाढ़ के साथ ही 2014 कश्मीर बाढ़ के समय सरकार के सामने रूस, अमेरिका और जापान ने मदद की मंशा जाहिर की। लेकिन सरकार ने उसे लेने से इंकार कर दिया था।

जब कोई मदद के लिए आगे आता है तो क्या करती है सरकार

विदेश स्थित हमारे मिशन्स संबंधित देश को उनकी इस सद्भावना के लिए लिखित तौर पर आभार व्यक्त करते हैं। उन्हें बताते हैं की दूसरे प्रदेश और हर एक भारतीय नागरिक इस संकट की घडी में एक साथ हैं। केंद्र सरकार के आपदा प्रबंधन संबंधी प्रयास के बारे में जानकरी देते हैं। और ये बताते हैं कि आंकलन के बाद हमें पता चला की हम स्वयं भरपाई करने में सक्षम हैं।

 

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