पटना : मुजफ्फरपुर में सामने आए बालिका गृह रेप केस में सीएम नीतीश कुमार ने कहा, मुजफ्फरपुर में ऐसी घटना घट गई कि हम शर्मसार हो गए। इस मामले में किसी के साथ कोई ढिलाई नहीं बरती जाएगी और जो भी दोषी पाया जाएगा उसे कड़ी सजा मिलेगी।'
नीतीश ने कहा, 'सीबीआई जांच कर रही है। हाई कोर्ट इसकी मॉनिटरिंग करे।'
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दुष्कर्म की जांच की निगरानी के लिए अपील करेगी सरकार
वहीं उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि राज्य सरकार मुजफ्फरपुर बालिका गृह दुष्कर्म मामले की सीबीआई से जांच की निगरानी पटना उच्च न्यायालय से करने की अपील करेगी।
मोदी ने कहा, "बिहार सरकार ने टाटा सामाजिक विज्ञान संस्थान को आश्रय गृहों का ऑडिट करने के लिए नियुक्त किया था। संस्थान ने ऑडिट किया तो उसी क्रम में लड़कियों ने अपने साथ यौन उत्पीड़न होने की शिकायत की। इसके बाद राज्य सरकार ने इस संबंध में एफआईआर दर्ज कराई।"
उन्होंने कहा, "11 आरोपियों में से 10 को गिरफ्तार कर लिया गया है।"
मोदी ने कहा, "मामले को सीबीआई को सौंप दिया गया है और आरोपपत्र दाखिल कर दिया गया है। सुनवाई की अगली तारीख को हम पटना उच्च न्यायालय से सीबीआई की पूरी जांच की निगरानी करने का आग्रह करेंगे।"
उन्होंने कहा, "यह एक शर्मनाक घटना है। हमने जांच के आदेश दिए हैं और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की है। हमने किसी को नहीं बचाया है।"
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दो सौ लोग भी नहीं पढ़ते अखबार, विज्ञापन करोड़ों के !
मुजफ्फरपुर में बेसहारा लड़कियों के लिए बने आश्रय गृह में 34 नाबालिग लड़कियों का यौन उत्पीड़न किया गया। तीन बच्चियों की मौत की बात भी कही जा रही है। इस बालिका गृह का संचालन ब्रजेश ठाकुर का एनजीओ करता है। ठाकुर एक छोटा सा अखबार 'प्रात:कमल' चलाता है। चर्चा है कि इस अखबार को दो सौ लोग भी नहीं पढ़ते होंगे, लेकिन इसे नीतीश सरकार से सालाना करोड़ों रुपये के विज्ञापन मिलते रहे हैं। सवाल उठ रहा है कि ब्रजेश ठाकुर पर सरकार की विशेष अनुकंपा का आखिर राज क्या है।
मीडिया मुजफ्फरनगर आश्रय गृह पीड़िताओं की पहचान उजागर नहीं करे
सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के आश्रय गृह में नाबालिग दुष्कर्म पीड़िताओं की तस्वीरों व वीडियो प्रसारित करने पर रोक लगा दी है।
न्यायमूर्ति मदन बी.लोकुर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने एक शख्स द्वारा अदालत को पत्र लिखने के बाद इस घटना पर स्वत: संज्ञान लिया। इस पर न्यायालय ने महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, बिहार सरकार से जवाब मांगा है।
अदालत ने टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज से भी सहायता मांगी है।
पीठ ने प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया द्वारा नाबालिग दुष्कर्म पीड़िताओं की पहचान उजागर करने पर चिंता जताई। अदालत ने (मॉर्फ) तस्वीर भी प्रकाशित नहीं करने की बात कही है।
सीबीआई ने समाज कल्याण विभाग से दस्तावेज लिए
सीबीआई ने गुरुवार को कहा कि उसने बिहार के समाज कल्याण विभाग से मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर के एनजीओ से संबंधित दस्तावेज इकट्ठे कर लिए हैं। सीबीआई के एक अधिकारी ने दिल्ली में कहा कि एजेंसी के अधिकारियों ने समाज कल्याण विभाग के पटना स्थित मुख्यालय से एनजीओ सेवा संकल्प एवं विकास समिति के दस्तावेज इकट्ठे किए हैं।
अधिकारी के अनुसार, एजेंसी जांच कर रही है कि ठाकुर के एनजीओ और कंपनी कैसे पंजीकृत हुई और क्या राज्य सरकार द्वारा जारी राशि का उन्होंने दुरुपयोग तो नहीं किया?
सीबीआई ने समाज कल्याण विभाग के निदेशक से भी मुलाकात की। अधिकारी ने बताया कि एजेंसी विभाग से प्राप्त दस्तावेजों का विश्लेषण करेगी।
सीबीआई अधिकारियों ने इस मामले में बुधवार को राज्य समाज कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव अतुल प्रसाद से मुलाकात कर उनसे भी दस्तावेज लिए थे।