नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने चरित्र प्रमाणपत्र की अनिवार्यता की शर्त में ढील देकर बड़ी राहत दी है। केंद्रीय कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) ने नए दिशा निर्देश जारी करते हुए कहा है कि नौकरी के लिए चयनित उम्मीदवारों को प्रोविजनल नियुक्ति पत्र जारी करते हुए उन्हें बिना चरित्र प्रमाण पत्र के नौकरी पर बहाल कर दिया जाएगा। चयनित उम्मीदवारों से नियुक्ति के समय चरित्र प्रमाणपत्र नहीं मांगा जाएगा।
स्वप्रमाणित दस्तावेज ही पर्याप्त
आदेश में कहा गया है कि नियुक्ति फॉर्म के साथ उनके स्वप्रमाणित दस्तावेज ही पर्याप्त माने जाएंगे। डीओपीटी ने केंद्र सरकार के सभी मंत्रालयों और विभागों को निर्देश दिए हैं कि इस नए निर्देश का अनुपालन करने के लिए सभी अधीनस्थ विभागों के अलावा देश के सभी प्रदेशों और केंद्र शासित प्रदेशों को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी कर दिए जाएं।
प्रोविजनल नियुक्ति पत्र में होगी यह शर्त
केंद्र सरकार ने कहा है कि प्रोविजनल नियुक्ति पत्र में इस बात की एक शर्त का उल्लेख होना चाहिए कि किसी भी चयनित उम्मीदवार ने अगर गलत जानकारी दी और अपने बारे में तथ्यों को किसी भी तरह से छिपाया तो सत्यापन की प्रकिया के बीच में संदेह के घेरे में आने वाली किसी भी नियुक्ति को निरस्त कर दिया जाएगा।
चयनित अभ्यार्थियों को नियुक्त करने के साथ ही इस तरह का लिखित अंडरटेकिंग ले लिया जाएगा कि यदि उनके दस्तावेजों के साथ उनका किसी भी तरह का आपराधिक रिकॉर्ड सामने आया, जिसे छिपाया गया हो तो इस तरह की कोई भी नियुक्ति नौकरी ज्वाइन करने के बाद भी निरस्त कर दी जाएगी।
इसलिए लिया गया यह फैसला
केंद्र सरकार के एक अधिकारी ने बताया कि यह कदम इसलिए उठाया गया क्योंकि बड़ी तादाद में इस बात की शिकायतें मिल रही थी कि चयनित उम्मीदवार चरित्र प्रमाणपत्र के अभाव में नौकरी पर नहीं रखे जा रहे हैं और इस कारण उन्हें कई महीनों तक इंतजार कराया जाता है।