नई दिल्ली : केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को भरोसा दिलाया कि राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) की पूरी प्रक्रिया में किसी तरह का भेदभाव व अनावश्यक उत्पीड़न नहीं होगा। उन्होंने कहा कि इसे निष्पक्ष व पारदर्शी तरीके से अंजाम दिया जा रहा है।
राज्यसभा में एनआरसी मुद्दे पर संक्षिप्त अवधि की चर्चा का जवाब देते हुए मंत्री ने कहा कि सरकार समयबद्ध तरीके से प्रक्रिया को पूरा करने के लिए वचनबद्ध है। एनआरसी को लेकर राज्यसभा की कार्यवाही बीते कुछ दिनों से बाधित व स्थगित होती रही है।
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राजनाथ सिंह ने कहा,"मैं दोहरा रहा हूं कि यह अंतिम एनआरसी नहीं है। यह सिर्फ एनआरसी मसौदा है। सभी को दावों और आपत्तियों के लिए पर्याप्त अवसर प्रदान किया जाएगा। इसके बावजूद अगर किसी का नाम सूची से बाहर रहता है, तो वह विदेशी ट्रिब्यूनल में संपर्क कर सकता है।"
उन्होंने यह भी भरोसा दिया कि किसी के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं होगी।
मंत्री ने कहा कि एनआरसी अपडेट करने का कार्य पूरी तरह निष्पक्ष, पारदर्शी, गैर भेदभावपूर्ण और कानूनी तरीके से किया जा रहा है।
उन्होंने कुछ विपक्षी पार्टियों के आरोपों पर कहा, "पूरी प्रक्रिया सर्वोच्च न्यायालय की देखरेख में की जा रही है। सर्वोच्च न्यायालय नियमित आधार पर कार्य की निगरानी भी कर रहा है। किसी को भी परेशान नहीं किया जाएगा। कोई भेदभाव नहीं हुआ है और कोई भेदभाव नहीं होगा।"
उन्होंने कहा कि एनआरसी का मसौदा 1985 के असम समझौते के प्रावधानों के अनुसार प्रकाशित किया गया है, जब राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे।
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इसे अपडेट करने का निर्णय पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 2005 में लिया था।
मंत्री ने कुछ राजनीतिक दलों पर भी हमला किया और कहा कि वे लोगों के बीच डर का माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
उन्होंने कहा,"यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि निहित स्वार्थ की वजह से कुछ लोग सोशल मीडिया पर प्रचार चला रहे हैं, जिससे इस मुद्दे को अंतर्राष्ट्रीय बनाया जा सके और सामुदायिक सौहार्द प्रभावित हो सके।"