देहरादून: केदारपुरी को दोबारा बसाने का प्रधानमंत्री का ड्रीम प्रोजेक्ट हवा में लटका हुआ है। साल 2013 के जल सैलाब में तबाह हुई केदारपुरी को दोबारा बसाने के लिए उसी साल केदारपुरी विकास प्राधिकरण का गठन किया गया था। लेकिन गठन के बाद से अब तक इसमें किसी पद पर किसी की नियुक्ति ही नहीं हुई।
सीईओ चूंकि जिले का जिलाधिकारी होता है इसलिए उस पर नियुक्ति हो गई, लेकिन शेष पदों को भरने की किसी को याद ही नहीं रही। जबकि, केदारपुरी प्राधिकरण के पास केदारपुरी में निर्माण एजेंसियों के कार्यों की गुणवत्ता से लेकर तमाम गतिविधियों पर नजर रखने की जिम्मेदारी है।
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ये पद हैं खाली
इसमें मुख्य कार्यपालक अधिकारी जिलाधिकारी पदेन रखा गया। इसके बाद अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी का एक पद है जिस पर पीसीएस नियुक्त होगी। वैयक्तिक सहायक, सहायक अभियंता, अवर अभियंता, सहायक लेखाकार, मानचित्रकार, वाहन चालक का एक-एक पद रिक्त है। इसके अलावा डाटा इंट्री ऑपरेटर व सफाईकर्मी के दो-दो पद खाली पड़े हैं।
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उधारी के भरोसे प्राधिकरण
गौरतलब है कि पोएम नरेंद्र मोदी ने 20 अक्टूबर को 500 करोड़ से अधिक की लागत वाली पांच योजनाओं की नींव केदारपुरी में रखी थी। उन्होंने यह भी कहा था, कि निर्माण कार्यों की गुणवत्ता उच्च कोटि की होनी चाहिए। प्रधानमंत्री की भावनाओं के अनुरूप निर्माण तो शुरू करा दिया गया है लेकिन गुणवत्ता परखने के लिए लोक निर्माण विभाग (लोनिवि) के एक अवर अभियंता और जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के तीन कर्मचारियों को लगाया गया है। प्राधिकरण उधारी के भरोसे चल रहा है।