नई दिल्ली: देश के मुस्लिमों में असुरक्षा और बेचैनी की भावना की बात करते हुए सरकार को नसीहत देने वाले उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी को गुरुवार (10 अगस्त) को पीएम नरेंद्र मोदी ने संसद में विदाई दी। पीएम मोदी ने लगातार दो कार्यकाल पूरा करने वाले हामिद अंसारी के योगदान की चर्चा की। हालांकि इस दौरान उन्होंने कुछ चुटकियां भी लीं।
राज्यसभा में हामिद अंसारी को विदाई देते हुए पीएम मोदी ने कहा, कि 'हो सकता है कि कार्यकाल के दौरान उनके अंदर कुछ छटपटाहट रही हो, लेकिन यह संकट आज के बाद नहीं रहेगा।' मोदी जब यह बोल रहे थे, तब राज्यसभा के पदेन सभापति होने के नाते हामिद अंसारी सदन का संचालन कर रहे थे।
पीएम मोदी ने अंसारी परिवार की चर्चा की
पीएम मोदी ने अपने भाषण की शुरुआत में अंसारी के परिवार के लंबे राजनीतिक इतिहास के बारे में बताया। बोले, 'ऐसा परिवार जिसका करीब 100 साल का इतिहास सार्वजनिक जीवन का रहा। नाना और दादा कभी राष्ट्रीय पार्टी के अध्यक्ष रहे। कभी संविधान सभा में रहे। आप उस परिवार की पृष्ठभूमि से आते हैं, जिनके पूर्वजों का सार्वजनिक जीवन में, खासकर कांग्रेस के जीवन के साथ और कभी खिलाफत आंदोलन के साथ काफी सक्रियता रही।'
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अंसारी पर पीएम ने चुटकी भी ली
बता दें, कि हामिद अंसारी राजनयिक भी रह चुके हैं। पीएम मोदी ने उनके विदाई भाषण में इस बात पर चुटकी ली। पीएम बोले, 'आपका अपना जीवन भी 'डिप्लोमैट' का रहा। एक डिप्लोमैट का क्या काम होता है, यह पीएम बनने के बाद मुझे समझ में आया। क्योंकि, उनके हंसने का क्या अर्थ होता है। हाथ मिलाने के तरीके का क्या अर्थ होता है। यह तुरंत समझ नहीं आता। क्योंकि, उनकी ट्रेनिंग वही होती है। लेकिन इस कौशल का इस्तेमाल 10 सालों में जरूर हुआ होगा। सबको संभालने में उस कौशल ने किस प्रकार से इस सदन को लाभ पहुंचाया होगा।'
'डिप्लोमैट' शब्द पर जमकर ली चुटकी
हालांकि, पीएम की ओर से लगातार लिए जा रहे चुटकियों पर कई बार हामिद अंसारी भी मुस्कुराते दिखे। पीएम मोदी ने कहा, 'आपके कार्यकाल का बहुत बड़ा हिस्सा पश्चिम एशिया से जुड़ा रहा है, बतौर डिप्लोमैट। उसी दायरे में जिंदगी के बहुत सारे आपके वर्ष गए। उसी माहौल में, उसी सोच में, उसी डिबेट में ऐसे लोगों के बीच रहे। वहां से रिटायर होने के बाद भी ज्यादातर काम वही रहा चाहे माइनॉरिटी कमिशन हो या अलीगढ़ यूनिवर्सिटी हो।'
मुक्ति का आनंद भी रहेगा...
पीएम मोदी ने अपने सम्बोधन के आखिर में कहा, 'लेकिन ये 10 साल पूरी तरह एक अलग तरह का जिम्मा आपके पास आया। पूरी तरह एक-एक पल संविधान-संविधान-संविधान के दायरे में चलाना और आपने उसे बाखूबी निभाने का भरपूर प्रयास किया। हो सकता है कुछ छटपटाहट रही होगी आपके अंदर भी, लेकिन आज के बाद शायद आपको वैसा संकट नहीं रहेगा। मुक्ति का आनंद भी रहेगा। अपने मूलभूत जो सोच रही होगी उसके अनुसार कार्य करने, सोचने का और बात बताने का अवसर भी मिलेगा।'