नई दिल्ली: देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 148वीं जयंती और स्वच्छता अभियान के तीन साल पूरे होने पर नरेंद्र मोदी ने कहा कि स्वच्छता का सपना 1 लाख मोदी या एक हजार बापू तो पूरा नहीं कर सकते। लेकिन इस सपने को 125 करोड़ लोग जरूर पूरा कर सकते हैं।
सोमवार को अहिंसा और स्वच्छता के प्रेरक बापू को श्रद्धांजलि देने के लिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उप-राष्ट्रपति वेंकैया नायडू और पीएम नरेंद्र मोदी राजघाट पहुंचे और बापू को याद किया। आज से ठीक तीन साल पहले पीएम मोदी ने देश में स्वच्छता मिशन का ऐलान किया था।
क्या-क्या बोले पीएम मोदी
इस मौके पर पीएम मोदी ने कहा, "ये दायित्व भी ऐसा है जिसे झेलना चाहिए। धीरे-धीरे मैं झेलने की अपनी कैपेसिटी भी बढ़ा रहा हूं।"
- "तीन साल बिना थके हम इस काम में लगे रहे, क्योंकि हम जानते थे कि महात्मा गांधी ने जो रास्ता चुना वो गलत हो ही नहीं सकता।"
- "वहीं एक श्रद्धा, इसका मतलब यह नहीं कि कोई चुनौतियां नहीं हैं, लेकिन चुनौतियां हैं इसलिए देश को ऐसे ही रहने दिया जाए। चुनौतियां हैं इसलिए उन्हें चीजों को हाथ लगाया जाए, जिनमें जयकारा हो, वाहवाही हो।"
- "मूलत: हमारी प्रकृति स्वच्छता पसंद करने की है। हमारे देश में एक गैप यह रह गया कि यह मुझे करना है। स्वच्छता होनी चाहिए, इसमें कोई मतभेद नहीं है। लेकिन यह बात कहना चाहता हूं कि अगर 1000 महात्मा गांधी आ जाएं, 1 लाख मोदी आ जाएं, सभी मंत्री मिल जाएं तो स्वच्छता का सपना पूरा नहीं हो सकता, लेकिन सवा करोड़ जनता साथ आ जाए तो यह पूरा हो जाएगा।"
- "समाज की शक्ति को अगर हम स्वीकार करके चलें। जन भागीदारी को स्वीकार करके चलें। सरकार को कम करते चलें, समाज को बढ़ाते चलें तो यह मिशन सफल होता ही जाएगा। मुझे विश्वास है कि पांच साल आते-आते यह खबर नहीं छापेगा कि कौन स्वच्छता अभियान से जुड़ा था। बल्कि यह छापेगा कि इससे दूर कौन भाग रहे थे।"
श्रेष्ठ भारत का संकल्प है स्वच्छता
- मोदी ने कहा, ''स्वच्छता अभियान में अब तक जो सिद्धी मिली है, वह सरकार की है, ऐसा मेरा क्लेम नहीं है। यह उपलब्धि स्वच्छाग्रही देशवासियों की है। हमें स्वराज मिला। श्रेष्ठ भारत का संकल्प है स्वच्छता। अगर स्वराज के केंद्र में सत्याग्रह था तो श्रेष्ठ भारत के केंद्र में स्वच्छाग्रह है।''
- ''देश में सरकारें, नेता स्वच्छता पर इसलिए चर्चा नहीं करते थे, क्योंकि उन्हें लगता था कि यह काम हमारे माथे पड़ जाएगा। आज रैंकिंग हो रही है कि सबसे साफ शहर कौन-सा है। हर शहर में इसकी चर्चा होती है। दबाव पैदा हो रहा है राजनेताओं पर, सरकारों पर। सिविल सोसाइटी भी मैदान में आ गई कि चलिए हम भी कुछ करें। इसका ही अच्छा परिणाम इस सारी व्यवस्था में नजर आ रहा है। ये बात सही है कि टॉयलेट बनाते हैं, लेकिन उपयोग नहीं होता। लेकिन जब ये खबरें आती हैं तो वे बुरी नहीं होतीं। वे हमें जगाती हैं।''
समाज में बदलाव हमें ही लाना है
- मोदी ने कहा, ''खबरों में अगर ये आए तो अच्छा होगा कि ये समाज, परिवार, व्यक्ति का दायित्व है कि टॉयलेट बनवाने के प्रति आग्रही रहे। मैं पॉलिटिक्स में बाद में आया। एक बार एक जगह स्वच्छता अभियान में लगा था। एक जगह काम शुरू हुआ तो लोग कहते थे कि टॉयलेट छोटा कर दो, कमरा बड़ा रखो। मैं अड़ गया कि टॉयलेट की जगह नहीं छीनी जाएगी। मैं जब कुछ साल बाद वहां गया तो वहां जितने भी टॉयलेट थे, वहां बकरियां बंधी हुई थीं। ये समाज का स्वभाव है। इसके बावजूद हमें बदलाव लाना है।''
- ''इस देश में आवश्यकता के अनुसार स्कूल बने, टीचर रखे गए, किताबें लाई गईं, लेकिन कई इलाकों में शिक्षा की स्थिति सुधरी नहीं। समाज का सहयोग मिलेगा तो शत प्रतिशत शिक्षा हासिल होगी। सरकारें ये सोचे कि हम इमारतें बनाकर टीचर नियुक्त कर देंगे तो काम हो जाएगा तो काम नहीं होने वाला। बच्चा स्कूल में भर्ती होता है, फिर आना बंद कर देता है। मां-बाप भी ध्यान नहीं देता।''
बच्चे स्वच्छता के सबसे बड़े एम्बसेडर
- आगे पीएम मोदी ने कहा, ''स्वच्छता का माहौल बनाएंगे तो लोग भी पचास बार सोचेंगे। जिन घरों में छोटे बच्चे हैं, वे स्वच्छता के सबसे बड़े एम्बसेडर हैं। किसी को वे कचरा फेंकते हुए देखते हैं तो कहते हैं दादा! इसे उठा लो।''
- ''कितने बच्चों की इस वजह से मौत हो जाती है कि वे खाने से पहले हाथ नहीं धोते और बीमार हो जाते हैं। लेकिन लोग कहते हैं कि मोदी का काम तो भाषण देना है। पानी कहां से आएगा, साबुन कहां से आएगा। ...मोदी को गाली देने के हजार विषय हैं। मैं हर दिन कुछ न कुछ कहता हूं। उसका उपयोग करते रहो। लेकिन समाज के लिए मैं जो कहता हूं, उसकी आलोचना करने से पहले सोचें।''
बच्चे अपना स्कूल साफ करते हैं तो पॉजिटिव खबर बनती है
- नरेंद्र मोदी ने कहा, ''पांच साल पहले किसी स्कूल में बच्चे सफाई करते पाए जाते थे तो मीडिया की स्टोरी बनती थी। मां-बाप भी स्कूल में पहुंच जाते थे कि आप हमारे बच्चों से ये करवा रहे हैं। आज उल्टा हो गया है। बच्चे अपना स्कूल साफ करते हैं और पॉजिटव खबर बनती है। देश के प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने स्वच्छता अभियान से खुद को जोड़ा है। वे इसके लिए समय दे रहे हैं।''
- ''कौन दोषी है, ये मेरा मुद्दा नहीं है। हम मिलकर करेंगे तो ये सब हो सकता है। ये पिछले तीन साल में देशवासियों ने दिखा दिया है। सिविल सोसायटी, मीडिया ने दिखा दिया है। इतने समर्थन के बाद भी चीजों में हम गति ना लाएं तो हमें अपने आप को जवाब देना पड़ेगा। मैं चाहता हूं कि इन बातों को हम बल दें, आगे बढ़ाएं। गांव में मंदिर होते हैं। मस्जिद होती है, गुरुद्वारा होता है। लेकिन सब लोग वहां नहीं जाते। समाज का स्वभाव है। किसी उत्सव में जरूर सब चले जाते हैं।''
- प्रधानमंत्री ने कहा, ''स्कूलों में बच्चियां अब जाती हैं तो टॉयलेट है या नहीं, ये देखकर एडमिशन लेती हैं। पहले ये कहते थे कि हम इसे झेल लेंगे। लेकिन झेलें क्यों? जब तक आप इस अभियान को महिला के नजरिए से नहीं देखेंगे आपको इस अभियान की ताकत का अंदाज नहीं आएगा। एक अकेली मां है, जो सभी के घर से बाहर जाने के बाद कमर टूटने तक सफाई करती है। उस मां से पूछिए कि घर से बाहर जाने से पहले अगर हम चीजें जगह पर रखते हैं तो तुम्हें कैसा लगता है। वो कहिए, अब अच्छा लगता है।''