वाशिंगटन: पीएम नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी संसद के संयुक्त सभा को अपने स्पीच से मंत्रमुग्ध कर दिया। पीएम मोदी ने अमेरिकी संसद से पाकिस्तान को करारा जवाब दिया। उन्होंने नाम लिए बिना कहा कि आतंकवाद का गढ़ हमारे पड़ोस में हैं। उन्होंने अमेरिका और इंडिया की साझा संस्कृति और मूल्यों को गिनाया। मोदी अपने दौरे के आखिरी चरण में मेक्सिको पहुंचे हैं। जहां उनका जोरदार स्वागत किया गया।
इससे पहले बुधवार को अमेरिकी संसद में स्पीकर रेयान ने सबसे पहले मोदी का गर्मजोशी से स्वागत किया। मोदी के संसद में आते ही तालियों की गड़गड़ाहट गूंज उठी। पीएम मोदी के भाषण के दौरान कई बार अमेरिकी सांसद अपनी सीटों से खड़े होकर ताली बजाते दिखाई दिए। बता दें कि ये वही अमेरिकी संसद है, जिसने साल 2005 में मोदी के अमेरिका प्रवेश पर रोक का प्रस्ताव पास किया था।
पीएम मोदी ने कहा -
-आपने मुझे यह मौका देकर विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र और सवा सौ करोड़ लोगों को सम्मान दिया है। दो दिन पहले मैंने अपनी यात्रा की शुरुआत की और आर्लिंगटन गया। वहां मैंने उन शहीदों को नमन किया जिन्होंने आजादी के लिए बलिदान दिया था। भारत जानता है कि इसका मतलब क्या है, क्योंकि हमारे सैनिकों ने भी इन्हीं मूल्यों के लिए बलिदान दिया है।
-हमारे देश विभिन्न संस्कृति को मिलाकर बने हैं, लेकिन लोकतंत्र में हमारे विश्वास और मूल्य एक जैसे ही हैं। अमेरिकी संविधान की मूल भावना है कि सभी नागरिक समान हैं। यही भारत के लिए भी है। हमारे संस्थापकों ने ऐसा राष्ट्र बनाया जो लोकतांत्रिक और सबको समान न्याय देने वाला हो।
-आजादी के बाद का मॉर्डन इंडिया 70वें साल में है। मेरी सरकार के लिए संविधान पवित्र पुस्तक है। सभी को बराबरी और अभिव्यक्ति की आजादी और मूल अधिकारों को हमारा संविधान सुरक्षा देता है। हर पांच साल में वो सरकार चुनते हैं, लेकिन उन्हें हर पल अपनी राय रखने की आजादी है।
स्वामी विवेकानंद से लेकर वाजपेयी तक का जिक्र
-स्वामी विवेकानंद ने शिकागो में मानवता पर भाषण दिया था। गांधी ने मार्टिन लूथर किंग को प्रेरणा दी। बाबा साहब अंबेडकर ने कोलंबिया यूनिवर्सिटी में पढ़ाई की। उन्होंने अमेरिकी संविधान का गहन अध्ययन किया। भारतीय संविधान का जब उन्होंने निर्माण किया तो उस पर इसकी छाप थी। पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था कि इंडिया और अमेरिका नेचुरल अलायंस हैं। ओबामा ने भी हमारी दोस्ती को 21वीं सदी के लिए महत्वपूर्ण बताया।
तीन दशक पहले अटल जी ने यहां खड़े होकर कहा था कि हमें इतिहास से निकलने में संकोच नहीं करना चाहिए। आज हमारा रिश्ता संकोच से बाहर आ चुका है। आपने हमें बैरियर को ब्रिज में बदलने में मदद की।
अमेरिकी मदद के लिए धन्यवाद
2008 के अंत में जब कांग्रेस ने सिविल न्यूक्लियर एग्रीमेंट किया तो इसने हमारे संबंध को नया आयाम दिया। हम आपका धन्यवाद करते हैं कि जब हमें जरूरत थी आपने मदद की। मुंबई में जब आतंकवादी हमला हुआ तो यूएस कांग्रेस हमारे साथ खड़ा हुआ। हम इसके लिए आभारी हैं।
राज्यसभा पर चुटकी
मुझे बताया गया कि यूएस कांग्रेस की कार्यशैली सद्भावनापूर्ण है। मुझे यह भी बताया गया कि आप पार्टी लाइन से ऊपर काम करने के लिए जाने जाते हैं, लेकिन आप अकेले नहीं हैं। मैंने भी कभी-कभी ऐसी ही 'स्प्रिट इंडियन' संसद में अनुभव की है। विशेषकर राज्यसभा में। इसलिए आप देख सकते हैं कि हमें कई दुखद अनुभव हैं। (इस दौरान अमेरिकी सांसद ठहाके लगाते रहे)
अमेरिकी यूनिवर्सिटी ने इंडियन टेक्नोलॉजी और मैनेजमेंट में मदद की। हम अमेरिका के साथ सबसे अधिक व्यापार करते हैं। इससे दोनों देशों में रोजगार पैदा हो रहा है। रक्षा खरीद जीरो से 10 बिलियन डॉलर का हो चुका है सिर्फ एक दशक में। आतंकवादियों और साइबर थ्रेट से हम एक-दूसरे देश के नागरिकों को सुरक्षित कर रहे हैं।
अमेरिका में योगा
-हमारे समाज के बीच नजदीकी सांस्कृतिक संबंध हैं। यहां 3 करोड़ लोग योगा करते हैं। हमने योगा पर कॉपीराइट नहीं लगाया है। हमारे दोनों देशों को जोड़ने का बड़ा माध्यम 30 लाख इंडियन-अमेरिकन भी हैं। वे यहां डॉक्टर, इंजीनियर, वैज्ञानिक और यहां तक कि 'स्पेलिंग बी' चैंपियन हैं। वे आपकी ताकत हैं और साथ में इंडिया के लिए गर्व हैं।
सबका करना है विकास
इंडिया में 80 करोड यूथ हैं। करोड़ों लोग पॉलीटिकली ताकतवर हैं, उन्हें सामाजिक और आर्थिक रूप से मजबूत बनाना है। 2022 में आजादी के 75 साल पूरे होने पर सभी घरों को बिजली देना है। नौजवानों को ट्रेनिंग देंगे। गांवों को ब्रॉडबैंड से जोड़ना है। 100 स्मार्ट सिटी बनानी हैं। 21वीं सदी के मुताबिक रेलवे सुविधा देनी है। ये केवल इच्छाएं नहीं बल्कि इन्हें निश्चित समय में पूरा करना है।
आतंकवाद को पालने वालों अलग-थलग करना होगा
21वीं सदी संभावनाओं से भरी है, लेकिन चुनौतियां भी हैं। दुनिया के कुछ देश तेजी से आगे जा रहे हैं, लेकिन दूसरे पिछड़ रहे हैं। एशिया में भी अनिश्चितता है। आतंकवाद बड़ी चुनौती है। लश्कर-ए-तैयबा, तालिबान हो या आईएसआईएस, नाम अलग हो सकते हैं, लेकिन इनका लक्ष्य एक ही है विनाश और नफरत फैलाना। आतंकवाद का गढ़ भारत के पड़ोस में है।
जो राजनीति के लिए आतंकवाद का इस्तेमाल करते हैं उन्हें मैं यहां से संदेश देना चाहता हूं। जो आतंकवाद के पोषक हैं उन्हें अलग-थलग करना है। आतंकवाद को अच्छे और बुरे में विभाजित नहीं किया जा सकता। ना ही धर्म से इसे जोड़ा जा सकता है। मानवता में विश्वास करने वालों को साथ आना होगा और एक स्वर में इसकी निंदा करनी होगी।
हम कर रहे हैं मदद
यहां आने से पहले मैं अफगानिस्तान गया था। वहां भारतीय मदद से तैयार बांध की शुरुआत की। इससे पहले वहां की संसद का उद्घाटन किया था। अफगानिस्तान के लोग अमेरिकी बलिदान को जानते हैं। आपका रोल सराहनीय है, भारत ने भी अफगानिस्तान को शांत और समृद्ध बनाने में मदद की है। केवल अफगानिस्तान में ही नहीं, बल्कि दूसरे देशों में भी आतंकवाद सबसे बड़ा खतरा है।
हमने मालदीव, नेपाल और श्रीलंका में संकट के दौरान सबसे पहले मदद की। यूएन पीस कीपिंग ऑपरेशन में हम सबसे ज्यादा सैनिक भेजते हैं। साइंस टेक्नोलॉजी से हम विकास और शांति के लिए काम कर रहे हैं। पर्यावरण की रक्षा के लिए हम काम कर रहे हैं। सोलर एनर्जी को बढ़ावा दे रहे हैं। इसके लिए अमेरिकी मदद जरूरी है। हम अपने अच्छे भविष्य के लिए नहीं बल्कि दुनिया के भविष्य के लिए काम कर रहे हैं।
आगे की स्लाइड में देखिए, पीएम मोदी से अमेरिकन सांसदों ने लिए ऑटोग्राफ , साथ ही सुनिए पूरा भाषण...
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सुनिए पीएम का भाषण
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