पुणे : शाकाहारी और शराब नहीं पीने वाले छात्रों को ही दिए जाने वाले गोल्ड मेडल के योग्य होने की पूर्व निर्धारित शर्त पर आलोचना का सामना कर रहे सावित्री बाई फुले पुणे यूनिवर्सिटी ने कहा कि उसने योग महर्षि रामचंद्र गोपाल शेलार के नाम पर स्थापित पुरस्कार को निलंबित कर दिया है।
यूनिवर्सिटी के शुक्रवार को जारी किए गए दिशा-निर्देशों के मुताबिक, गोल्ड मेडल पाने के लिए छात्रों को शाकाहारी होना अनिवार्य बताया गया था। लेकिन, सभी तरफ से हो रहे विरोध के बाद रविवार को इसे वापस ले लिया गया। दिशा-निर्देश के अनुसार, यूनिवर्सिटी के मांसाहारी छात्र पढ़ने-लिखने में काबिल होने के बावजूद गोल्ड मेडल पाने के हकदार नहीं होते।
इस बारे में मीडिया रिपोर्ट्स आने पर काफी विरोध हुआ। शिवसेना के युवा सेना अध्यक्ष आदित्य ठाकरे और एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले ने इस पर विरोध जताया था।
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आदित्य ठाकरे ने कहा कि ‘ये यूनिवर्सिटी है या रेस्टोरेंट? शिव सेना मानती है कि न किसी यूनिवर्सिटी और न ही सरकार को यह अधिकार है कि वे लोगों को बताएं कि उन्हें क्या खाना चाहिए। यूनिवर्सिटी को शिक्षा पर फोकस करना चाहिए।’
वहीं सुप्रिया सुले ने भी ट्विटर पर इस आदेश के बारे में अपनी नाराज़गी जताई थी। हालांकि ,विवाद उठने के बाद यूनिवर्सिटी ओर से दावा किया गया था कि सर्कुलर पुराना है और इसके दिशा-निर्देश यूनिवर्सिटी ने नहीं बनाए हैं बल्कि योग महर्षि शेलरमामा ट्रस्ट द्वारा यूनिवर्सिटी को सौंपें गए हैं।
उन्होंने कहा कि ‘आपत्तियों के बाद हमने 10 साल पुराना सर्कुलर वापस ले लिया है। समाज के विभिन्न तबके ने शर्त का विरोध किया था। अब हम शेलर परिवार (पदक के लिए धर्मार्थ देने वाले) को शर्त वापस लिए जाने की जानकारी देंगे।’