लखनऊ: अयोध्या मामले के पक्षकार सुन्नी वक्फ बोर्ड ने मालिकाना हक को लेकर चल रही सुनवाई को लेकर बुधवार (6 दिसंबर) को अपने ही वकील कपिल सिब्बल को कठघरे में खड़ा कर दिया। अयोध्या मामले के पक्षकार और सुन्नी वक्फ बोर्ड के नेता हाजी महमूद ने कहा, कि उनके संगठन ने कभी भी सुनवाई को 2019 के चुनाव तक टालने की बात नहीं कही थी।
हाजी महमूद ने कहा, तीन दिन पहले कपिल सिब्बल से उनकी मुलाकात दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट में 5 दिसंबर से शुरू होने वाली सुनवाई को लेकर हुई थी, लेकिन उसमें भी सुनवाई को टालने पर चर्चा नहीं हुई और न कोई बात हुई। कपिल सिब्बल कोर्ट में कांग्रेस की भाषा बोल रहे थे जो पूरी तरह से गलत था। उन्होंने कहा, 'मुकदमे में कांग्रेस पार्टी नहीं है और न ही कपिल सिब्बल अदालत में कांग्रेस के वकील की हैसियत से आए थे। उनको कांग्रेस नेता की तरह अपनी बात सुप्रीम कोर्ट में नहीं रखनी चाहिए थी।'
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सुन्नी वक्फ बोर्ड कोई राजनीतिक संगठन नहीं
हाजी महमूद ने कहा, कि 'सुन्नी वक्फ बोर्ड कोई राजनीतिक संगठन नहीं है। बोर्ड को चुनाव से कोई लेना-देना भी नहीं है। बोर्ड मामले का अदालत से हल चाहता है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि चुनाव कब होते हैं।'
सुप्रीम कोर्ट में तीन जजों की बेंच ने सुनवाई टालने को लेकर कपिल सिब्बल की दलीलों को मंगलवार को खारिज कर दिया था। उनके पिछले अगस्त में दिए बयान की याद दिलाई थी जिसमें सिब्बल ने कहा था कि अयोध्या के विवादित जमीन के मालिकाना हक की सुनवाई जनवरी 2018 में शुरू हो जानी चाहिए।
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बीजेपी हुई हमलावर
हाजी महमूद का बयान आते ही बीजेपी पूरी तरह कांग्रेस पर हमलावर हो गई। पार्टी प्रवक्ता संबित पात्रा ने कपिल सिब्बल के साथ पूरी पार्टी पर सवाल खड़े कर दिए। संबित पात्रा ने कहा, कि 'कपिल सिब्बल की कल सुप्रीम कोर्ट में दी गई दलील से साफ हो गया कि पार्टी मंदिर मामले को लटकाए रखना चाहती है।'