महंगाई की वजह से नहीं हुआ दरों में बदलाव, EMI में नहीं मिलेगी कोई राहत

Update:2016-06-07 00:05 IST

मुंबईः रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने मौद्रिक नीति की तिमाही समीक्षा करके ब्याज दरों के बारे पर फैसला लिया। रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने मंगलवार को सुबह 11 बजे अगले दो महीने की ब्याज दरों का एलान किया। आरबीआई ने रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट की दरों में कोई बदलाव नहीं किया। इस फैसले से जनता को ईएमआई में कोई राहत नहीं मिलेगी। आर्थिक विशेषज्ञों को पहले से ही उम्मीद थी कि बढ़ती महंगाई को देखते हुए ब्याज दरों (रेपो और रिवर्स रेपो रेट) में बदलाव शायद न हो। ब्याज ऐसे में बैंक से अगर आपने कर्ज लिया है तो इसकी ईएमआई में राहत मिलनी मुश्किल दिख रही है। फिलहाल रेपो रेट 5 साल के सबसे निचले स्तर पर है।

बदलाव के संकेत नहीं दिख रहे थे

रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने पिछले डेढ़ साल में ब्याज दरों में 1.5 प्रतिशत की कटौती कर जनता को बड़ी राहत दी है। लेकिन, हाल के दिनों में खुदरा महंगाई दर के बढ़ने और कच्चे तेल के भाव में लगी आग को देखते हुए ब्याज दरों में किसी बदलाव के संकेत नहीं दिख रहे थे।

 

क्या होते हैं रेपो और रिवर्स रेपो रेट?

-बैंक जिस दर पर रिजर्व बैंक से रुपया उधार लेते हैं, उसे रेपो रेट कहते हैं।

-जिस दर पर रिजर्व बैंक अन्य बैंकों से रुपया उधार लेता है, उसे रिवर्स रेपो रेट कहते हैं।

-रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया का रेपो रेट फिलहाल 6.5 फीसदी है. जबकि रिवर्स रेपो रेट 6 फीसदी है.

कब-कब घटी ब्याज दर?

-साल 2015 की शुरुआत में रेपो रेट 8 फीसदी था।

-जनवरी 2015 में ये घटकर 7.75 फीसदी हो गया।

-मार्च 2015 में रेपो रेट कम होकर 7.5 फीसदी हुआ।

-सितंबर 2015 में रेपो रेट को घटाकर 6.75 फीसदी किया गया।

-इस साल जनवरी में रेपो रेट 6.5 फीसदी हो गया।

इस दौरान बैंकों ने ईएमआई में कितनी राहत दी?

-जनवरी 2015 में बैंकों ने कर्ज पर ब्याज दरें कम नहीं की। तब ब्याज का बेस रेट 10 फीसदी था।

-मार्च 2015 में बैंकों ने ब्याज पर बेस रेट में 0.15 फीसदी कमी की।

-सितंबर 2015 में बैंकों का कर्ज पर बेस ब्याज रेट 9.35 फीसदी था।

-जनवरी 2016 में बैंकों ने बेस रेट को घटाकर 9.3 फीसदी किया।

-इस तरह पिछले डेढ़ साल में रेपो रेट 1.5 फीसदी घटा, लेकिन बैंकों ने ब्याज दरें 0.70 फीसदी ही घटाईं।

आपको कम, बैंकों को ज्यादा फायदा

जनवरी 2015 में रेपो रेट 8 फीसदी था, उस वक्त बैंकों ने हर 1 लाख पर आरबीआई को 8 हजार रुपए दिए और 10 फीसदी बेस रेट पर आपसे हर 1 लाख के 10 हजार रुपए लिए। यानी इस दौरान उनकी कमाई 2000 रुपए होती रही। अब रेपो रेट 6.5 फीसदी के हिसाब से बैंक रिजर्व बैंक से लिए गए कर्ज के हर 1 लाख पर 6500 रुपए ले रहे हैं और आपसे कर्ज के हर 1 लाख पर 9300 रुपए वसूल रहे हैं। यानी उनकी कमाई बढ़कर 2800 रुपए हो गई है। यानी आपको फायदा कम और बैंकों को ज्यादा हो रहा है।

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