लखनऊ: राज्यसभा के लिए निर्दलीय प्रत्याशी प्रीति महापात्रा की मौजूदगी के बाद सूबे के सियासी दलों को क्रॉस वोटिंग की चर्चाओं ने बेचैन कर दिया है। हालांकि, क्रॉस वोटिंग के साथ ही इन दलों के लिए एक बड़ा डर है प्रीफरेंस वोट में गलती। वोटिंग में वरीयता को लेकर विधायकों की छोटी सी भूल सारा खेल बिगाड़ सकती है।
बिगड़ सकता है खेल
-जानकारों के मुताबिक राज्यसभा चुनाव में वोटों की गिनती के लिए तय फार्मूले के जटिल होने से भूल की गुंजाइश है।
-तय है, कि पार्टियां अपने विधायकों को वरीयता के नाम देंगी कि किस विधायक को किस कैंडिडेट के लिए वोट करना है।
-लेकिन फार्मूले की जटिलता के चलते वरीयता देने में भूल से नतीजे उलट सकते हैं।
-दूसरी या तीसरी वरीयता के वोट देने में चालाकी भी दलों को मुश्किल में डाल सकती है।
वोटों की वैल्यू
-यूपी से राज्यसभा की 11 सीटों के लिए चुनाव होने हैं।
-हर विधायक के वोट की वैल्यू 100 वोटों के बराबर होती है।
-अगर 34 विधायक किसी प्रत्याशी के पक्ष में पहली वरीयता लिखते हैं तो वह विजयी माना जाएगा।
राज्यसभा के लिए वोटिंग फार्मूला
(कुल वोटर x 100 / कुल सीट +1)+1
(403 x 100 / 11+1)+1
(40300/ 12) +1
3358+1= 3359
-यानी 3359 वोट लाने वाला प्रत्याशी विजयी माना जाएगा।
-इसके लिए हर प्रत्याशी को कम से कम 34 विधायकों को पहली वरीयता का वोट देना होगा।
रखना होगा ध्यान
-मतदान के लिए सिर्फ रिटर्निंग आफिसर के दिए गए बैगनी स्केच पेन का ही प्रयोग होगा।
-यह विधायकों को मतपत्र के साथ दिया जाएगा।
-किसी अन्य पेन का प्रयोग करने पर मतपत्र अमान्य हो जाएगा।
-उम्मीदवारों के नाम के आगे वरीयता का क्रम अंकों में (1,2,3) लिखना होगा।
-मतपत्र पर विधायक अपना नाम या कोई अन्य शब्द नहीं लिखेंगे।
-न ही हस्ताक्षर करेंगे और न ही अंगूठे की छाप लगाएंगे।
-मतपत्रों पर वरीयता दर्शाने के लिए यदि कोई और चिन्ह लगाया गया तो मत पत्र खारिज कर दिया जाएगा।
-मतपत्र मान्य करने के लिए जरूरी है कि उम्मीदवार के नाम के सामने 1 अंक लिखकर अपनी वरीयता दर्शायें। अन्य वरीयताएं वैकल्पिक हैं अर्थात दूसरी अनुवर्ती वरीयताएं आप दर्शायें या न दर्शायें।
-इस बार मत देने में नोटा का भी प्रावधान रखा गया है।