लखनऊ: राजधानी को 100 साल में पहली बार संयुक्ता भाटिया के रूप में महिला मेयर मिली है। इस सीट के लिए भाटिया की सपा के मीरा वर्धन और बसपा के बुलबुल गोदियाल से सीधी टक्कर थी। पर चुनावी दौड़ में साइकिल और हाथी पीछे छूट गए, खिला कमल। भाटिया ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी मीरा वर्धन को 1,31,356 वोटों से मात दी।
दरअसल, इस बार लखनऊ मेयर की सीट महिला प्रत्याशी के लिए आरक्षित थी। इसी वजह से सभी दलों से महिला प्रत्याशी ही मैदान में उतारे थे।
विजय श्री मिलने बाद भाटिया ने सफाई और ट्रैफिक व्यवस्था सही करने को अपनी प्राथमिकता बताते हुए कहा कि इससे ज्यादा वोट पाने की उम्मीद थी। यदि वोटर लिस्ट में गड़बड़ी नहीं होती तो और बड़ी जीत हासिल होती। पूर्व मेयर और उप मुख्यमंत्री डा दिनेश शर्मा की तारीफ करते हुए भाटिया ने कहा कि उन्होंने काफी काम किए हैं, अब उन्हीं के कामों को आगे बढ़ाऊंगी। उन्हीं के पद चिन्हों पर आगे चलूंगी। महिलाओं की सुरक्षा के लिए सारे जरूरी कदम उठाए जाएंगे।
आपको बता दें, कि संयुक्ता भाटिया के परिवार की राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से नजदीकी मानी जाती है। उनके पति सतीश भाटिया लखनऊ कैंट से सन 1991 में भाजपा से ही विधायक रह चुके हैं। 2012 में भी संयुक्ता के पार्टी से मेयर प्रत्याशी घोषित होने की अटकलें लगाई जा रही थी। जानकारों का कहना है कि उनका नाम लगभग तय हो गया था। पर अंत में पार्टी हाईकमान ने मेयर प्रत्याशी के तौर पर डा दिनेश शर्मा के नाम पर मुहर लगा दी थी। उन चुनावों में डा शर्मा को जीत भी मिली।
देखा जाए तो देश को पहली महिला राज्यपाल और मुख्यमंत्री देने का गौरव भी प्रदेश को ही प्राप्त है। स्वर कोकिला के नाम से मशहूर नायडू 'यूनाइटेड प्राविंस' (अब उत्तर प्रदेश) की पहली राज्यपाल थीं। वह 15 अगस्त 1947 से दो मार्च 1949 तक राज्यपाल रहीं और सुचेता कृपलानी दो अक्तूबर 1963 से 13 मार्च 1967 तक प्रदेश की मुख्यमंत्री रहीं।